March 23, 2023
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“अतीत की प्रतिज्ञा ,जब भविष्य को अंधकारमय बना दे, तो वर्तमान को सक्षम निर्णय लेना ,ही पड़ता है ।”

इस बार जब डेरा डाले तो एक कुदाल, गेंती ,फावड़ा ,दातेड़ी बनवा देना” नाना जी खाट पर बैठे पास पड़े लोहे का 8-10 किलो का गड्डर मामा जी को दिखाते हुए बोले।

“हां वो लोग आज कल में आने ही वाले हैं। ” मामा जी ने बोला।

मैं एक हाथ से आम चूसती दूसरी हाथ से फ्राक पकड़ चक्कर काटते हुए चौक में नाच रही थी की अचानक नाना जी और मामा जी की बात सुन मेरा 10 वर्ष का बाल मन अनेक विचारों से पोषित सस्पेंस मूवी में चला गया ,और सोचने लगी आखिर कौन आने वाले हैं जो इस लोहे के बड़े टुकड़े को औजारों में बदल देंगे और कैसे बदलेंगे क्या उनके पास कोई जादू होगा या फिर कोई…..!
“ऐ मुन्की चल बकरी चराने , यहां खड़ी खड़ी क्या सोच रही है?” मामा जी के बेटे ने मुझे मेरी ख्यालों की नींद से जगाते हुए कहा।
“भैया कौन आने वाले हैं जो औजार बना देते लोहे से” मैंने खुद से उलझने के बजाय भैया से पूछना बेहतर समझा।

“अरे गड़िया लौहार आने वाले हैं गांव में,एक महिना यहीं रहेंगे,गांव के चौराहे पर डेरा डालेंगे” भैया बोले।

पर भैया वो यहां क्यों आयेंगे और क्यों रहेंगे उनका कोई घर नहीं है क्या ,बोलो ना भैया , मैंने फिर अपने सवाल मुझसे लगभग एक साल बड़े अपने पिंकू भैया पर दागे। पर उनका ज्ञान मेरे ज्ञान की सीमाओं से ज्यादा फैला न था तो अंत में खीज कर बोले मुझे नी पता ,बक बक बक पिताजी से पूछ । मैं समझ गयी थी की अब मेरे प्रश्नों के तालों की कुंजी केवल मामा जी के पास है। मामा जी ये गडिया लौहार कौन है और ये गांव में क्यो आयेंगे और ये यहां क्यों रहेंगे इन का घर कहां है,और और और । अरे अरे रूक जा मेरी लाडो सांस तो भर ले ,गाय का दूध निकालते हुए रूक कर मामा जी बोले । सुन गडिया लौहार एक बहुत ही हुनरमंद जाति है,ये लोग चित्तौड़गढ़ में निवास करते थे , राज परिवार के लिए उन्नत किस्म के अस्त्र-शस्त्र बनाना ही इनका मुख्य कार्य था ।

महाराणा प्रताप के अकबर के साथ संघर्ष के समय ,जब राणा ने प्रण लिया था की जब तक पूर्ण स्वराज नहीं मिल जाता में चित्तौड़गढ़ नहीं लौटूंगा। तब राणा जी के साथ इस जाति के यौद्धाओं ने भी चित्तौड़गढ़ को छोड़ दिया था और प्रण लिया था कि जब तक मेवाड़ की धरा पर सिसोदिया वंश के राणा प्रताप का शासन नहीं स्थापित हो जाता हमारी जाति के लोग चित्तौड़गढ़ नहीं लौटेंगे,घर बनाकर नहीं रहेंगे, गाड़ी को ही घर समझेंगे और सदैव घूमंतू जीवन जीयेंगें। ये लोग राणा जी के साथ ही रहे और राणा जी के स्वर्गवास के पश्चात आस पास के क्षेत्रों में फैल गये। “तो ये वापस चित्तौड़गढ़ नहीं गये मामा जी” मैंने फिर एक सवाल दागा। नहीं बेटा ये वापस नहीं गये ,आजादी के बाद हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इन्हें चित्तौड़गढ़ में पुनर्स्थापित करने का आग्रह किया लेकिन इन लोगों ने कहा ,हम अपने पुरखों का वचन नहीं तोड़ सकते जो उन्होंने राणा जी के सामने दिया था। 16 वीं शताब्दी की वो प्रतिज्ञा उन्हें आज भी स्मरण थी।

मेरा बाल मन देश भक्ति और मेवाड़ की धरा के इन वीर ,कर्मठ ,वचन के पक्के रणबांकुरों,इस्पात के वीरों को देखने को लालायित हो गया। अचानक मामा जी बोले बेटा अब ये लोग अस्त्र शस्त्र नहीं बनाते क्योंकि समय बदल चुका है। अब ये औजार बनाते हैं,हम गांव वाले सालभर इनके आने का इन्तजार करते हैं क्योंकि इनके जैसे मजबूत औजार कोई साधारण व्यक्ति नहीं बना सकता । मैं निशब्द खड़ी थी , देशभक्ति के भाव ने मेरा रोम रोम आच्छादित कर दिया था , मैं गर्वित हो रही थी की मैंने इस वीर भूमि पर जन्म लिया जहां शताब्दियों के संघर्ष के बाद भी वीर अपनी प्रतीज्ञा नही तोड़ते। गर्मी की छुट्टीयों के वो दो तीन दिन सबसे कठीन निकले जब जीवन में पहली बार मैंने प्रतिक्षा को जाना था। आखिर वो दिन आ ही गया जब 3-4 सजी धजी बैल गाड़ियों में लगभग तीस चालीस लोग जिसमें महिलाएं बच्चे शामिल थे गांव में डेरा डालने आये थे। उनकी गाड़ियां साधारण बैल गाड़ियों से अलग थी बड़ी थी काफी सजी हुई थी , वे लोग गांव के चौराहे पर आकर रुके जहां पर एक बड़ा सा पीपल का पेड़ था जिसके चारों और बहुत बड़ा चबूतरा बना हुआ था सामने ठाकुर जी और हनुमान जी के बड़े मंदिर थे उस स्थान से गांव के चारों तरफ रास्ते जाते थे मंदिर के पुजारी का घर भी पास ही था पुजारी के घर के पास एक खाली स्थान था जो किसी की भी उपयोग की जगह नहीं थी कुछ ही देर में उन्होंने गांव के चौराहे के पास के खाली स्थल को चहलपहल से भर दिया और अपना डेरा डाल दिया।

मैं उनके चेहरे देख रही थी बिल्कुल हम जैसे ही दिखते थे लेकिन हम से कितने अलग एक घुमंतू जीवन जीने वाली प्रजाति। कुछ ही देर में औरतों ने वहां गाड़ी के नीचे ही रसोई बना दी चूल्हा तैयार कर दिया आदमी औजार बनाने की अपनी मशीन को जमीन में गाड़ने लगे जिसे घुमाकर आग पैदा होती थी और ऊपर इस्पात पिघलाया जाता था और उसे मनचाहा आकार दिया जाता था।
छोटे-छोटे बच्चे वही मिट्टी में खेलने लगे नंगे पांव मैले कपड़े कपड़ों में भी केवल ऊपर का तन ढका हुआ था। मैं चौराहे पर खड़ी सब कुछ अपनी नजरों से देख रही थी। फिर मन सवाल में उलझ गया की अचानक मैंने देखा मामा जी अपनी लूना से शहर जा रहे थे। मामा जी मैं भी आऊं आपके साथ ? मैंने पूछा। मामा बोले आजा आगे बैठ जा। अब मैं,मामा ,लूना ,गांव के रास्ते और मेरे प्रश्न। मामा जी अगर ये लोग ऐसे ही घूमते रहते हैं तो वो छोटे छोटे बच्चे स्कूल कब जाते हैं,और फिर वो लोग बड़े होकर नौकरी भी करते होंगे ना। मामा जी एक बड़ी उदासी की सांस छोड़ते हुए बोले “ये बच्चे कभी स्कूल नहीं जाते ,पढ़ते भी नहीं बस औजार बनाना इनका पुश्तैनी काम है”।
ओह!
गर्मी की छुट्टियां खत्म हो गई मैं अपने घर लौट गई हर साल छुट्टियों में गड़िया लोहार को आते देखती उन बच्चों को भी देखती।जब बड़ी हुई तो समझी गड़िया लोहार की प्रजाति पूरे भारत में फैल चुकी है दिल्ली में तो इनकी 40000 की आबादी है। मैं जब छोटी थी तो एसटीडी और पीसीयू हुआ करते थे आज हर जेब में मोबाइल है तकनीक इतनी विकसित हो गई। खेतों में अब साधारण औजार की जगह मशीनरी ने ले ली सब कुछ अपग्रेड हो गया।

लेकिन गड़िया लोहार का जीवन आज भी वही है गाड़ी में सिमटा हुआ दिशाहीन अर्थहीन असाक्षर।
सरकार आज भी प्रयास कर रही है कि शायद यह लोग अपनी पुरानी रीति और प्रतिज्ञा से आगे बढ़े।

“अतीत की प्रतिज्ञा ,जब भविष्य को
अंधकारमय बना दे, तो वर्तमान को
सक्षम निर्णय लेना ,ही पड़ता है ।”

मुझे खुशी है की आज गडिया लौहार प्रगति पथ से जुड़ने को आगे आ रहे हैं। उनके बेरोजगार और दिशाहीन भविष्य को संवारने के लिए सरकार के साथ कई संस्थाएं कार्य कर रही है। अब उन्हें लगता है की भविष्य को सुधारने के लिए प्रतिज्ञा तोड़ने से उनके पूर्वज नाराज नहीं होंगे बल्कि उन्हें शुभाशीष देंगें। मुझे आशा है नया सवेरा एक नयी सोच के साथ गडिया लौहार के जीवन में प्रगति और उन्नति का संचार करेगा। आज हम सब भी प्रण करें की शहर के किनारे गाड़ियों में बसे इनके डेरों को जब देखें तो इनके गौरवशाली इतिहास को याद कर मन ही मन‌ नतमस्तक हो जायें।और कोशिश करें इनके जीवन को उन्नति के पथ पर लाने की। शायद हमारा एक प्रयास किसी परिवार का पूरा जीवन बदल दे ।

बॉलीवुड और टीवी जगत की दुनिया से एक दुखद खबर आई है. कई सारी बॉलीवुड फिल्मों और पॉपुलर टीवी शो मन की आवाज प्रतिज्ञा में ठाकुर सज्जन सिंह का रोल बॉलीवुड और टीवी जगत की दुनिया से एक दुखद खबर आई है. कई सारी बॉलीवुड फिल्मों और पॉपुलर टीवी शो मन की आवाज प्रतिज्ञा में ठाकुर सज्जन सिंह का रोल प्ले कर

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