Knowledge

बच्चों को मिले स्वछन्द वातावरण

वर्तमान समय में हम लोग आधूनिक परिवेश के बढ़ते असर के कारण बच्चों पर बहुत सी उम्मीदों एवं अनदेखे सपनों का बोझ डाल देते हैं । बच्चों पर लादा जाने वाला यह बोझ कहीं न कहीं उनके सर्वांगीण विकास में रूकावट तो नहीं है ? हमें आज इस मसले पर अपनी सकारात्मक सोच विकसित करने की आवश्यकता है । बच्चों का खेलकूद एवं खानपान आज की आपाधापी में बहुत ही नगण्य एवं कमजोर सा हो गया है । शहरों में बच्चे अब अपने घरों की चारदीवारी में न जाने किस कारण कैद- से रह गये हैं ! आजकल उनका सारा ध्यान सिर्फ़ कम्पयूटर , मोबाईल्स एवं तरह तरह के आधूनिक गैजेट्स तक सीमित रह गया है । यह युग वैसे तो तकनीकी युग के नाम से जाना जाता है लेकिन इसी तकनीकी युग ने आज बच्चों की आज़ादी बहुत हद तक छिन ली है । इस आज़ादी के छिन जाने से बच्चों का शारीरिक विकास भी काफी हद तक दुष्प्रभावित हुआ है । अभिभावकों को समय पर संभल कर अपने बच्चों को सही राह पर ले जाना होगा । टेलिविजन पर दिखाए जाने वाले सैकड़ों सिरियल्स एवं शोज़ ने बच्चों की खेलकूद गतिविधियों को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया है । बच्चों को आज इन सबसे थोड़ा दूर रखना चाहिए , उन्हें खेल गतिविधियों से रूबरू करवाया जाए जिससे उनके मन पर कृत्रिम विचारों का गैरज़रूरी बोझ न पड़े । बच्चों की हॉबीज में रचनात्मकता लाने का प्रयास अगर हम करते हैं तो निश्चित रूप से वे बच्चे भविष्य में बेहतर व्यक्तित्व के रूप में उभरते हैं । बच्चों पर पढ़ाई से संबंधित मानसिक दवाब न बनाकर उन्हें प्रेरणात्मक व्यक्तित्वों के जरीये समझाएं तो बच्चे सरलता से पढ़ाई को आसानी से गले लगा देते है । बच्चों का फ्रेंड सर्किल समन्वित होना चाहिए जिससे बच्चों की सोच सकारात्मक एवं गहरी होती जाती है । बच्चों में तरह तरह की स्कील्स डेवलेप करने की आज हमें सचमूच ज़रूरत है । स्कील डेवलपमेंट के लिए अच्छे एक्सपर्ट्ज की मदद भी ली जा सकती है । बच्चों को लोगों की भीड़ में बोलना सीखाए , उनमें गाने की कला भी विकसित करे । बच्चों को छोटी उम्र से ही अगर मंच पर बोलने का या कुछ परफॉर्म करने मौका मिलता है तो उनका स्टेज फियर बहुत हद तक दूर हो जाता है । इंसानी स्वभाव के अनुरूप कुछ बच्चे अन्तर्मुखी होते है तो कुछ बहुमुखी होते है । हालांकि दोनों ही गुण अपने आप में श्रेष्ठ है लेकिन आज समय की विशेष मांग है कि अगर आपके बच्चे सक्रिय हो , तेजतर्रार हो , होशियार हो तो , हमें उन अन्तर्मुखी बच्चों को बहुमुखी बनाने हेतु प्रयास करने चाहिए । माता पिता ऐसे बच्चो को जो लोगों के बीच बोलने में थोड़े -बहुत घबराते हो , हिचकिचाहट होती हो तो उन्हें विभिन्न खेलों में सक्रिय रखकर , बच्चों की अन्तराक्षरी करवाकर, एक्टिंग क्लासेज में भेजकर , पीडी क्लासेज के जरीये और गाने की कला सीखा कर उनमें सक्रियता लाए तो निश्चित रूप से बच्चे बहुमुखी बनते हैं । आजकल खान पान काफी हाईजेनिक एवं फास्ट फूड में बदल कर रह गया है जो कि पूर्णत: बिना पोषक तत्वों का है । पेरेन्टस को अपने बच्चों के स्वास्थय का ख़्याल रखने के लिए खानपान से जुड़े तमाम आवश्यक नियमों को ध्यान में रखा जाना चाहिए । बच्चों के खानपान में हरे पत्तियों वाली सब्जियां , दूध , दाल एवं फ्रूट्स को शामिल करना बेहद फायेदेमंद रहता है । सिन्थेटिक और प्रिजर्व्ड खाद्य पदार्थो के सेवन से तौबा करें तो बहुत अच्छा है । संतुलित भोजन बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में तीव्र गति से इज़ाफा करता है । बच्चों को शारीरिक व्यायाम , योग प्राणायाम इत्यादि से भी परिचित कराये , उन्हें सिखाए तो निश्चित रूप से बच्चो का आत्मविश्वास बढ़ता है । बच्चे इससे तनावमुक्त भी रहते हैं । पेरेन्ट्स अपने बच्चों पर झुंझलाने , मारने पीटने की बजाय प्यार से पेश आये तो बच्चे कठिन कामों को भी आसानी से पूरा कर लेते हैं । बच्चों को पढ़ाई के बोझ से तनावमुक्त रखने हेतु पेरेन्ट्स या घर का कोई भी एक सदस्य उन्हें गार्डन्स , मॉल्स इत्यादि में आधे घंटे तक भी घूमाये तो वे अवश्य स्ट्रेस- फ्री रहेंगे जिससे पढ़ाई में भी उनका मन लगेगा । अभिभावकों को समय समय पर अपने बच्चों को क्रियेटिव कार्यशालाओं में भेजते रहना चाहिए जिससे उनका स्तर सचमूच में बेहतर बनेगा । आजकल शिक्षा -व्यवस्था काफी महंगी , लचर एवं लम्बी अवधि की होने के कारण समय एवं धन की बर्बादी के सिवाय ओर कुछ नहीं होता है। इससे बचने हेतु शहरों में आजकल क्रियेटीव कॉर्सेज जैसे कि मॉडलिंग , एक्टींग , एंकरिंग , आरजेइंग , डीजेइंग , कॉरियोग्राफी , जर्नालिज्म , फेशन डिजाइनिंग इत्यादि का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है । आप भी अपने बच्चों को इन क्रियेटीव कॉर्सेज में भेजकर क्रियेटीव बना सकते हैं । इन कॉर्सेज के सहारे भी एक अच्छे कॅरियर की उम्मीद अब जगने लगी है । आप स्वयं बच्चों में खेलों के प्रति रूचि जगाये उन्हें ग्राउंड में ले जाकर कोई न कोई गेम ज़रूर खेलना सिखाए । अगर आप खेलना नहीं जानते है तो विशेष गेम की किसी एकेडमी या कॉच का प्रबंध करके भी बच्चों में इस तरह की खूबियां विकसित कर सकते हैं ।

रक्षित परमार , उदयपुर ,राजस्थान ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *