अजीबोगरीब शौक कुछ लोगों में एक अजीब पागलपन होता है | ऐसा जिसे हम सामान्य लोग सोच भी नहीं सकते | किसी को ऊटपटांग चीज़ें खाने का शौक होता, किसी को जोकरों जैसे कपड़े पहनने का | पता नहीं दुनिया में क्या क्या होता है !! शायद ये किसी बीमारी से ग्रस्त होते हैं | बिआन्का […]
Life Style
बचपन मत छीनो पेपर में आज ये शब्द देखते ही बहुत सारे ख़याल मन में उमड़ने लगे | सत्य ही तो है न कि बच्चों का बचपन लगभग छिन गया है | हम गाँव के बच्चों को मजदूरी करते देखते हैं | जिस उम्र में बच्चों को खेलना कूदना और पढ़ना चाहिए, उस उम्र में […]
क्या आपने कभी चूल्हे पर बना खाना खाया है ? ज़रूर खाया होगा | पहले घरों में कुकिंग गैस के आगमन के बाद भी मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाया जाता था | गैस तो तब काम में लेते थे जब घर में आए मेहमानों के लिए चाय बनानी होती थी | यहाँ तक कि […]
कहाँ गए वो दिन…कुछ यादें वो मेरा बचपन था | आज भी जब गाँव के लोगों को सर पर लकड़ी तोकते देखती हूँ, तो याद आता है कि ऐसी लकड़ियों की तलाश हमको भी रहती थी जब हम बच्चे थे | अच्छी लकड़ी ढूंढ कर के उसको छीलना, उसके एक कोने को नुकीला करना और […]
टाई (NECK TIE) करीने से सिला हुआ कपड़े का एक लम्बा टुकड़ा जिसे गले में शर्ट की कालर के नीचे बाँधा जाता है, टाई के नाम से जग में मशहूर है | इसे बाँधने के लिए अलग अलग प्रकार की गांठें होती हैं | यह ज्यादातर पुरुषों के परिधान का हिस्सा है, महिलाएं भी इसे […]
चाय पीने का नशा एक छोटी सी बात मन के भी तर कभी कभी इस तरह समाती है कि कलम पर उंगलियों की पकड़ मज़बूतब हो जाती है | एक ऐसी ही घटना ने मुझे नशे से सम्बंधित कुछ शब्द लिखने का मौका दे दिया | ” इस बात का मेरे मुंह से निकलना […]
भारतीय लोक कला मंडल भारतीय लोक कला मंडल की स्थापना 1952 में विश्वविख्यात लोककलाविद पदमश्री(स्व.) श्री देवीलाल सामर द्वारा की गई | लोक कला के संरक्षण, उत्थान, विकास और प्रचार हेतु इस कला मंडल को स्थापित कर विश्व में विशिष्ट संस्कृति की पहचान लिए हमारा शहर उदयपुर चहुँ ओर ख्याति प्राप्त कर चुका है | […]
* जीवन * रूप है एक होटल का, यात्री है हम सब कुछ समय के, कोई रहता है नब्बे तो कोई सत्तर, कोई पचास, तो कोई चालीस, किसी ने, एसी, कमरा बुक कराया है ,तो किसी ने नॉन एसी , कोई कॉमन हाल में खड़ा है, तो कोई बाहर यूं ही खड़ा है, जानते हैं हम सभी के, रह कर जाएंगे चंद दिनों में, […]
किशन..किशन.. ओ किशन..पिताजी की रौबदार आवाज सुनकर किशन क्रिकेट के खेल को छोड़कर भागा दुसरे रास्ते से..ये रोज की कहानी थी..किशन छठी कक्षा में पढ़ता था..और स्कूल से आते ही वो गांव के दूसरे बच्चों के साथ नदी किनारे खेलने चला जाता था..पिताजी ढूंढते हुए आते और किशन बच कर भागता था आज जब किशन […]
कहानी जो भुल गया जगत वो बतलाता हुं, शब्द सुमन इस पावन भुमि को चढाता हुं, ये भुमि है शौर्य त्याग बलिदानों की, मिट्टी के मान पर मिटने वालो के अभिमानों की, शीश कटे और धड़ लडे ऐसे अमर वीरों की, पन्ना प्रताप मीरा सांगा हाडी रानी और हमीरो की, जहां बप्पा रावल ने, राज प्रभु […]