उदयपुर का खूबसूरत गणगौर घाट वह घाट है जहाँ उदयपुर वासी पूरी श्रद्धा के साथ गणगौर पर्व के समापन के समय प्रतिमाओं का विसर्जन करते आये हैं | अब समस्त झीलों के पानी की शुद्धता को ध्यान में रखते हुए विसर्जन करने की मनाही है | हिन्दू त्योहारों के समय गणगौर घाट बहुत महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है |
किसी जलाशय के किनारे आम जनता के लिए स्नान करने एवं कपड़े धोने के लिए बनी जगह को घाट कहा जाता है | गणगौर के पावन पर्व को इस घाट पर मनाये जाने के कारण ही इसका नाम गणगौर घाट पड़ा |
संध्या के समय पवन के हलके झोकों के साथ घाट पर बैठे हुए यदि कानों में कोई मधुर संगीत पड़ जाए तो यहाँ बैठने का आनंद दुगुना हो जाता है | अनेकों प्रवासी भी यहाँ शान्ति से अपनी शाम बिताने आते हैं और पर्यटक तो झील से उठते संगीत की यादें संजो कर साथ ले जाते हैं |