अजमेर के कुछ ख़ास स्थान
अजमेर के पास स्थित फॉय सागर झील अप्राकृतिक झीलों में से एक है जिसे फॉय नामक एक अंग्रेज़ ने 1892 के अकाल के समय राहत कार्यों के तहत बनवाया था | ये झील एकदम समतल सी दिखती है और यहाँ से अरावली की पहाड़ियां नज़र आती हैं | यह एक पर्यटन स्थल भी है | इस झील की क्षमता 15मिलियन क्यूबिक फीट की है और पानी करीब 14,000,000 स्क्वायर फीट में फैला हुआ है |
अना सागर झील को पृथ्वीराज चौहान के दादा ने 1135-1150 ईसवी में बनवाया था और उन्हीं के नाम से इस झील को जाना जाता है | 13 किलोमीटर फैली इस झील को आम जनता की मदद से बनाया गया था | झील के पास की पहाड़ी पर एक सर्किट हाउस बना हुआ है जो British Residency हुआ करता था | झील के बीचों बीच एक द्वीप है जहाँ नाव से जा सकते हैं | झील की अधिकतम गहराई 4.4 मीटर है और इसकी क्षमता 4.75 मिलियन क्यूबिक मीटर की है |
जब मुस्लिम संत मोईनुद्दीन चिश्ती अपने अनुयायियों के साथ अजमेर आये थे तो उन्हें इस झील से पानी लेने की अनुमति नहीं दी गई थी | फिर उन्होंने एक प्याला पानी लेने की अनुमति मांगी और उन्हें अनुमति मिल गई| जैसे ही उन्होंने प्याला भरा, झील का पानी स्वतः सूख गया | तब आमजन ने उनसे पानी लौटाने की गुज़ारिश करी जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया | तब से उनके भक्तों की तादाद बढ़ती चली गई |
इन्हीं मोईनुद्दीन चिश्ती को ख्वाजा गरीब नवाज़ के नाम से जाना जाता है | ये इस्लामिक scholar और philosopher थे | चिश्ती दरगाह अजमेर शरीफ के नाम से भी प्रसिद्द है | जितनी भी चिश्ती दरगाहें मौजूद हैं, उन सबमें से अजमेर की दरगाह सबसे ज्यादा पाक और प्रमुख कही जाती है | भारत सरकार द्वारा दरगाह के लिए बनाई गई समिति यहाँ का हिसाब किताब रखती है और आस पास के क्षेत्रों का रख रखाव भी करती है | कई धर्म संस्थाएं जैसे चिकित्सालय और धर्मशाला भी चलाई जाती हैं |