जानिए क्या है Alternative Schooling, क्यों हो रही है अब लोकप्रिय !
क्या आप नहीं चाहते कि आपका बच्चा किताबों से हटकर भी कुछ सीखे ? असल में आजकल बच्चे किताबों में इतना ज्यादा घुस गए हैं कि सही प्रैक्टिकल नॉलेज तो इन्हें मिल ही नहीं पाती | और क्या ये किताबी ज्ञान जीवन को गहराई से समझने के लिए काफी है ? नहीं, आज की पीढ़ी को और बहुत कुछ जानना समझना है और उन सब बातों के लिए सिर्फ किताबी ज्ञान काफी नहीं है | “Alternative schooling” इन सब बातों का हल है | प्रचलित पढ़ाई के तरीकों से हटकर जो शिक्षा दी जाती है उसे “Alternative schooling” कहते हैं | यह पद्यति हमारे देश के लिए नई नहीं है | शिक्षा के वैदिक और गुरुकुल तरीके इस का उदाहरण हैं |
आजकल स्कूल में पढ़ाई के एक क्रमबद्ध तरीके को अपनाया हुआ है | कोर्स की किताबों के अलावा ज्यादा कुछ अनुभव नहीं कर पाते हैं आजकल के विद्यार्थी | इसी के चलते कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहाँ “Alternative schooling” को अपनाया गया है | वैदिक और गुरुकुल काल में विद्यार्थियों को खुले आसमान के नीचे प्रकृति के बीच शिक्षा दी जाती थी | यह सिर्फ मान्यता नहीं बल्कि एक सच्चाई है कि खुले वातावरण में इन्सान का दिमाग ज्यादा अच्छी तरह से सोच पाता है | हम आपको कुछ ऐसे विद्यालयों के बारे में बताते हैं जहाँ बच्चों का मानसिक विकास किताब और प्रकृति के मिलेजुले तरीकों से किया जाता है | अनुभव के आधार पर पाई हुई शिक्षा विद्यार्थियों का सम्पूर्ण मानसिक विकास करती है |
ईशा होम स्कूल – कोयम्बटूर
कोयम्बटूर,तमिलनाडु में है ईशा होम स्कूल | इसकी स्थापना 2005 में सद्गुरु द्वारा की गई थी | सद्गुरु की विचारधारा यह कहती है कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ बच्चे के दिमाग को तेज़ करना नहीं होता, बल्कि पूरी गहराई से जीवन के हर बिंदु को संतुलित करना होता है | इस स्कूल में “घर” और “स्कूल” के बीच तालमेल बैठाकर एक पाठ्यक्रम बनाया गया है जहाँ बच्चा परीक्षा के डर और दबाव से बिलकुल मुक्त है | इस स्कूल के बेहतरीन शिक्षक भी विद्यार्थियों को “Symbiotic learning process” के माध्यम से शिक्षित करते हैं |
SECMOL- लद्धाख
कुछ युवा लद्धाखियों ने अपनी यूनिवर्सिटी की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद Students’ Educational and Cultural Movement of Laddakh(SECMOL) के नाम से यह संस्था खोली | उन्होंने विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा को लेकर कई कठिनाइयों का सामना करते देखा था | उन्होंने ये भी समझा कि ये विद्यार्थी सांस्कृतिक तौर पर काफी कश्मकश में थे और उनका ध्यान केन्द्रित भी नहीं था | अतः सरकारी स्कूलों की शिक्षण पद्यति को सुधारने हेतु उन्होंने 1988 में सिन्धु घाटी में ‘फ़े’ नामक गाँव में यह संस्था खोली | इस संस्था के माध्यम से उन्होंने छात्र-छात्राओं को अधूरी शिक्षा से होने वाले नुक्सान से अवगत कराया | इन बातों को बेहतरीन रूप से समझाने के लिए उन्होंने विडियो, रेडियो प्रोग्राम का सहारा लिया और साथ ही सौर ऊर्जा वाली इको-फ्रेंडली बिल्डिंग का निर्माण कर सभी को जाग्रत किया | उनके द्वारा किये गए शिक्षा सुधारों के अंतर्गत स्थानीय भाषा की किताबें जिससे भाषा की दिक्कत ना हो और अच्छे कुशल अध्यापकों की नियुक्ति भी है जो बच्चों को सही और आसान तरीकों से पढ़ा सकें |
ऋषि वैली स्कूल – आंध्रप्रदेश
यह स्कूल Jiddu Krishnamurthy ने पारंपरिक विषयों के साथ पर्यावरण की सराहना और संरक्षण, कला और संगीत, एथलेटिक्स को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया | उन्होंने अपने जन्म स्थान आंध्रप्रदेश के मदनापल्ली में यह स्कूल खोला | शिक्षा के अलावा कम्युनिटी सर्विस और अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियाँ, विचारों का आदान प्रदान, परिचर्चाएं और क्लब मीटिंग्स भी होती हैं | पुरानी घाटी के रिशिकोंडा पहाड़ियों के नीचे स्थित इस स्कूल का नाम वहां साधना करने वाले ऋषियों को समर्पित है |
शिबुमी स्कूल – बेंगलुरु
यह स्कूल भी Jiddu Krishnamurthy की सोच पर ही आधारित है | यहाँ भी स्वच्छंद वातावरण में सहयोग के आधार पर शिक्षा प्रदान की जाती है | बातचीत और चिंतन के आधार पर स्वयं को समझने की कला पर आधारित यह स्कूल साउथ बेंगलुरु के सोमनाहल्ली गाँव में है |
सहयाद्री स्कूल – पुणे
तिवई हिल पर स्थित यह स्कूल समुद्र से 770 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है | इस स्कूल में होड़ या प्रतियोगिता को प्राथमिकता नहीं दी जाती | यहाँ हर संभव प्रयास किये जाते हैं कि विद्यार्थी हर क्षेत्र में कुशलता हासिल करें और शिक्षक के साथ उनका नजदीकी संपर्क बना रहे | तात्पर्य यह कि आपसी सदभाव, आदर और तालमेल से विद्यार्थियों के लिए सीखने का उचित माहौल बनाया जाता है |
MIRAMBIKA FREE PROGRESS SCHOOL
यह स्कूल श्री औरोबिन्दो घोष और मदर टेरेसा की दी हुई शिक्षाओं और आधारित है | यह दिल्ली के औरोबिन्दो आश्रम में स्थित है | यहाँ की शिक्षा इस बात पर आधारित है कि हर इंसान का जन्म किसी न किसी तरह के विकास के उद्देश्य से होता है | सबका आदर सम्मान, अनेकता में एकता और अनुशासनपूर्ण स्वतंत्रता इस स्कूल का ध्येय है |
अभया स्कूल, हैदराबाद
हैदराबाद के रंगारेड्डी जिले में जून 2002 में अभया स्कूल की स्थापना हुई थी | बच्चे की आयु के हिसाब से जिस तरह तीन चरणों में विकास होता है और उसी हिसाब से विज्ञान, कला और मानविकी विज्ञान के अनुसार शिक्षा प्रदान करी जाती है | यहाँ माना जाता है कि बुद्धिमता का अर्थ है दिल, दिमाग और हाथों के बीच का सामंजस्य, न कि रटने की क्रिया |
द हेरिटेज स्कूल – गुडगाँव, रोहिणी, वसंत कुञ्ज
हेरिटेज स्कूल में प्रयोगात्मक शिक्षा पर ज़ोर दिया जाता है | अनुशासन पर कोई भी ढील दिए बगैर प्रयोग की स्वतंत्रता के आधार पर स्वयं की रूचि के हिसाब से विषय चुनने की छूट देते हुए यहाँ शिक्षा दी जाती है | यहाँ बच्चे स्व-विश्लेषण करते हुए बहुत कुछ सीखते हैं |
मरुदम फार्म स्कूल – तमिलनाडु
2009 में अलग अलग सामाजिक पृष्ठभूमि वाले कुछ छात्रों और शिक्षकों के एक समूह ने इस स्कूल की स्थापना करी | यहाँ तमिल और अंग्रेजी भाषा में पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं | प्रकृति से गहरे सम्बन्ध बनाते हुए यहाँ के छात्र-छात्राएं वन संरक्षण, आर्गेनिक फार्मिंग करते हैं | यहाँ आर्ट एंड क्राफ्ट, फिजिकल एजुकेशन और खेल-कूद को भी प्राथमिकता दी जाती है |
सेंटर फॉर लर्निंग – बेंगलुरु
सेंटर फॉर लर्निंग विद्यार्थियों के इन्द्रियों और भाषा एवं संख्यात्मक गुणों को निखारने के उद्देश्य से शुरू किया गया था | यहाँ सभी दिशाओं में बच्चों के विकास पर ध्यान दिया जाता है | उनकी रूचि के अनुसार कला, प्रकृति, विचारशील होने की क्षमता, शारीरिक विकास और अनुशासन के आधार पर शिक्षा दी जाती है | हर एक छात्र को उसकी क्षमता के के आधार पर ही आँका जाता है, ज़रूरत से ज्यादा हुनर निखारना या दिमाग के विकास पर ध्यान देना इस संस्था का उद्देश्य नहीं है | यहाँ माना जाता है कि सबकी एक सीमा होती है, उससे ज्यादा कोई भी आगे नहीं बढ़ सकता |
THE SCHOOL, KFI, CHENNAI
Jiddu Krishnamurthy की ही विचारधाराओं और आधारित यह स्कूल 1973 में POES Garden में खोला गया और फिर 1979 में इसे Damodar Gardens of The Theosophical Society में स्थानांतरित कर दिया गया |