Life Style

किशन..किशन.. ओ किशन..पिताजी की रौबदार आवाज सुनकर किशन क्रिकेट के खेल को छोड़कर भागा दुसरे रास्ते से..ये रोज की कहानी थी..किशन छठी कक्षा में पढ़ता था..और स्कूल से आते ही वो गांव के दूसरे बच्चों के साथ नदी किनारे खेलने चला जाता था..पिताजी ढूंढते हुए आते और किशन बच कर भागता था

आज जब किशन घर पहुंचा तो उसने अपनी माँ से यूँ ही पुछा.. कि पिताजी मुझे इतना क्यों डाँटते है..तो माँ ने उसके सिर पर हाथ फिराते हुए थाली में खाना परोसा और मासुम किशन को अपने और उसके पिताजी के बीते दिनों के बारे  में बताया..कि बेटा तेरे पिताजी अपने भाइयों में सबसे छोटे है..और वो पढ़ाई पुरी करने के बाद अपनी दुसरे जिले के एक गाँव में पसंदीदा अध्यापक की नौकरी छोड़कर अपने गाँव में दादाजी की दुकान चलाने लगे थे और फिर ईश्वर ने हमें एक के बाद एक चार बेटियां दी..और उसमें पहली बेटी प्रेमा का देहांत मात्र 6 साल की उम्र में पिताजी की आँखों के सामने हो गया जब वो खेलते खेलते दुकान के सामने वाले मंदिर की छत से गिर गई..उसके बाद 5 वें नंबर पर तेरा जन्म हुआ बेटा.. तेरे जन्म पर तेरे पिताजी ने पुरे गाँव में जशन मनाया था..कि हमारे घर में भी बेटा हुआ है अब कोई गांव में ये नहीं कहेगा कि किस्मत वालों के घर में ही बेटा होता है तुम तो अभागे हो..इसलिए वो हमेशा तुझमें अपना सपना देखते है बेटा वो चाहते है कि तु बहुत बड़ा आदमी बने और परिवार का और गाँव का नाम रोशन करें..यकायक उस दिन किशन अपनी उम्र से बहुत बड़ा हो गया..

और अगले दिन से किशन बदल चुका था..अब वो स्कूल से आते ही खाना खाता था और सीधा पिताजी के पास दुकान जाता था..3 साल में पिताजी की संगत से किशन पढ़ने में पूरी स्कूल में अव्वल आने लगा..और साथ ही पिताजी की दुकानदारी भी संभालने लगा..खाली समय में वो पिताजी के साथ मिलकर अखबार में छपे फ़ोटो देखकर कागज पर हूबहू बनाने की कोशिश करता था..कहानियां पढ़ता था..दुकान पर रखे कैलकुलेटर से खेलता था

आज किशन का आठवीं कक्षा का रिजल्ट आया और उसने फिर स्कूल में प्रथम स्थान प्राप्त किया था…पिताजी ने बड़ा सपना देखा और मां से कहा हम इसे गाँव में नहीं रखेंगे और आगे किसी बड़े शहर में हॉस्टल में पढ़ने भेजेंगे और ..ऐसे पिताजी की जिद के आगे किसी की नहीं चली और मात्र 12 साल की उम्र में वो शहर के नामी स्कूल में 9 वीं कक्षा में प्रवेश ले चुका था..

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एक दिन सर्दी की रात में ग्यारह बजे घुप्प अंधेरे में गाँव के घर की घंटी बजी.. पिताजी ने दरवाजा खोला..सामने डरा सहमा किशन खड़ा था..जो स्कूल से भाग कर रेल में बैठकर घर आ गया था..क्योंकि वो कम उम्र और शहर की चकाचौंध में उलझ गया था उसकी दोस्ती अपने से बड़े लेकिन हॉस्टल में साथ रहने वाले बच्चो से हो गई थी..और वो हॉस्टल से भाग भाग कर क्रिकेट और फिल्में देखने का शौकीन बन गया था..दसवीं कक्षा में इसी वजह से वो 2nd डिवीजन से पास हुआ था..उसके बाद से वो उस अपराधबोध में आ गया था जो उसने कभी किया ही नहीं.. वो अंतर्मुखी बन चुका था..हमेशा सहमा सहमा रहता था..हर पल उसे असफलता काटने को दौड़ती थी..लेकिन वो ये सब पिताजी को समझा नहीं पा रहा था..

खैर,पिताजी ने हिम्मत नहीं हारी और नाराज मन से वो किशन को पास के एक दूसरे छोटे शहर में दुसरे हॉस्टल और सरकारी स्कूल में दाखिला दिला कर आये और साथ में लाल रंग की एक सुंदर साइकिल दिलाई..कुछ ही दिनों में किशन फिर से उसी पुराने रंग में चहकने लगा..सरकारी स्कूल , छोटा शहर और हाथ में साइकिल..थोड़ा सयाना भी हो गया था..क्योंकि अब इस हॉस्टल में उसे खाना बनाना और कपड़े धोना खुद करना होता था

समय अपनी रफ्तार से चल रहा था,आज बारहवीं साइंस का रिजल्ट आया किशन फिर से 1st डिवीजन से पास हुआ..फिर से पिताजी बहुत खुश हुए क्योंकि पुरे गाँव में किशन अकेला उस साल 1st डिवीजन से पास हुआ था..फिर पिताजी ने बड़ा सपना देखा और माँ को बोला..हम अपने किशन को डॉक्टर बनाएंगे.. और फिर से किशन अपने उसी पुराने शहर में आ गया जहाँ से वो पिताजी के सपने को अधुरा छोड़ भागा था..पिताजी ने एक घर किराये पर ले कर दिया शहर में और किशन वहाँ अपने एक दोस्त के साथ रहने लगा..अब किशन की लाल साइकिल बड़े शहर की सड़कें नापने लगी थी इस कोचिंग से उस कोचिंग..कुछ नए दोस्त बन गए थे..पढ़ाई भी पूरी लगन से करता था किशन.. देखते देखते एक साल गुजर गया

आज किशन बहुत निराश था.. उसे भय था कि उसकी पुरी साल की मेहनत का परिणाम आज आने वाला है अगर पास नहीं हुआ तो..और हुआ भी कुछ ऐसा ही..किशन प्री मेडिकल परीक्षा में पास तो हुआ लेकिन कुछ ही नंबरों से सलेक्ट नहीं हो पाया..एक बार फिर किशन और उसके पिताजी का सपना हाथ से छिटक गया, किशन अंदर तक टूट चुका था..किशन भारी मन से गाँव की बस में बैठा.. और जैसे ही घर पहुँचा उसमें अपने पिताजी का सामना करने का साहस नहीं बचा था..वो माँ से मिला..आज पहली बार किशन को पिताजी की अवस्था का पता चला कि किस तरह गाँव की दुकान से मेहनत कर करके पिताजी ने किशन के भविष्य को अपना सपना बनाया था..और किशन उस सपने को पुरा नहीं कर पा रहा था.. किशन ने अपने परिवार की अवस्था के सामने समर्पण कर दिया..

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पिताजी ने फिर हिम्मत नहीं हारी और किशन को फिर उसी शहर ले आये.. सामान्य कॉलेज में दाखिला करा दिया और पार्ट टाइम में किशन को अपने एक जानकर के माध्यम से दुकान पर नौकरी लगवा दी..दिन में कॉलेज शाम को दुकान..और महीने में एक बार गाँव.. किशन को अब सब समझ आने लगा था कि छोटे भाई की इंजीनियरिंग की पढ़ाई.. तीन बड़ी बहनों की शादी..और घर की सभी जिम्मेदारियां पिताजी अकेले अपने कंधे पर लेकर चल रहे थे..

आज किशन को अपने बड़े होने का अहसास हुआ..उसने माँ पिताजी से बात की..और पंडित जी के कहने पर जिस शहर में किशन के सारे सपने अधुरे रह गए थे..उसी शहर में किशन को पिताजी ने कर्ज लेकर एक दुकान लगवा दी..कुछ ही दिनों में किशन की दुकान बहुत बढ़िया चल पड़ी..पिताजी की मदद की वजह से किशन पर कभी आर्थिक बोझ आया ही नहीं..किशन फिर से..सबकुछ भूल गया..और अपनी दुनिया में मस्त हो गया..अब घर में किशन की शादी की बात चलने लगी..और अपने गाँव के पास वाले गाँव में किशन की शादी तय हो गई..

दुकान लगाने के 2 साल के भीतर किशन की शादी हो गई..किशन को राधा के रूप में अच्छी जीवन संगिनी मिली..दोनों अपनी जिंदगी मजे से गुजार रहे थे कि एक दिन राधा ने बताया..कि घर में नया मेहमान आने वाला है..किशन ने राधा से कहा..अगर बेटा हुआ तो हम उसका नाम राजा रखेंगे.. और बेटी हुई तो उसका नाम परी रखेंगे.. ईश्वर की कृपा से राधा की गोद में राजा आया..अब राधा राजा के साथ व्यस्त रहने लगी..वो दिन भर घर के काम करती और पुराने कैमरे से राजा के फोटो खिंचती रहती..कभी कभी राजा को लेकर दुकान आ जाया करती थी

एक दिन किशन का छोटा भाई चेतन एक कंपनी में काम करने का प्रस्ताव लेकर आया..और दोनों भाइयों ने निश्चय किया कि हम मिलकर दुकान के अलावा एक और काम शुरू करते है..जब जब चेतन की इंजीनियरिंग कॉलेज में छुट्टियां होती वो भाई भाभी के पास आ जाता दोनों भाई दिन में दुकान पर बैढते थे और जब जब भी समय मिलता वो नए काम काम को बढ़ाने का प्रयास करते..शुरुआत में लोगों ने उन्हें नकार दिया..उनका मजाक बनाया.. लेकिन किशन और चेतन एक बात समझ चुके थे कि यदि अपनी कहानी किसी को सुनानी है तो पहले हीरो बनना पड़ेगा.. जीरो को सुनना कोई पसंद नहीं करता है..उन्होंने सीखना शुरू किया..सीखते गए..करते गए.. इस बीच चेतन की पढ़ाई पुरी हुई और शादी भी हो गई..वो अपनी नौकरी की वजह से दुसरे शहर चला गया..

अब किशन अपने परिवार के साथ एक शहर में चेतन अपने परिवार के साथ दुसरे शहर में और माताजी पिताजी गाँव में…

समय कहाँ रुकने वाला था..किशन भी अपनी गति से चल रहा था..परंतु किशन को एक बात मन ही मन में हमेशा कचोटती रहती थी कि जीवन में वो वह काम नहीं कर पाया जो उसका और उसके पिताजी का सपना था..वो काम तो कर रहा था..पैसे भी कमा रहा था..लेकिन उसका सपना अधुरा रह गया था..वो अंतर्मुखी व्यवहार की वजह से कभी अपनी मन की बात किसी को कह नहीं पाता था..इसी बात को लेकर अक्सर किशन और राधा की आपस में नोंक झोंक हो जाया करती थी..दोनों फिर एक दुसरे को मनाते थे ..

समय की रफ्तार के आगे किसकी चली है..अब किशन और राधा का परिवार में एक और सदस्य बढ़ चुका था..प्रेम.. राजा का छोटा भाई.. किशन ने घर की सारी जिम्मेदारियां अपने ऊपर ले ली थी..राधा उसका साथ दे रही थी..और दोनों अपने सपनों के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे थे..उधर चेतन और उसकी पत्नी दमयंती भी नौकरी छोड़कर अपना कारोबार करने लगे थे..उनके भी दो बच्चें हो गए थे..तीनों बहने अपने अपने घर परिवार में खुशहाल जिंदगी जी रही थी..माताजी पिताजी अब गाँव छोड़कर कभी चेतन के पास तो कभी किशन के पास रहने लगे थे..समय गुजरता गया

राजा अब बड़ा हो गया था..और आज पुरा परिवार बहुत खुश था..आज राजा का प्री मेडिकल का रिजल्ट आया.. राजा बहुत अच्छे नम्बरों से select हो गया था..आज किशन बहुत खुश था और उसे और राधा को अपने राजा पर गर्व हो रहा था भाई प्रेम भी बहुत खुश हो रहा था..और परिवार में हर सदस्य किशन राधा और राजा को बधाइयाँ दे रहे थे..और क्यों नहीं आज राजा की वजह से किशन और उसके पिताजी का सपना पुरा हो गया था

किशन के जीवन में आज फिर एक बहुत बड़ा दिन आया है..जिस कंपनी का काम किशन और चेतन ने मिलकर शुरू किया था..आज पुरा परिवार उसमें रम गया था..आज किशन और राधा उस कंपनी में सर्वोच्च पद पर पहुँच गए है..और आज उनका शहर के सबसे बड़े स्टेडियम में सम्मान होने वाला है..इनडोर स्टेडियम के बाहर लम्बी कतार लगी हुई है अंदर आने वालों की..अंदर एक तरफ शानदार लाइटों से स्टेज सज़ा हुआ है और …आखिर इंतजार की घड़ियां समाप्त हुई..अब वो पल आ गया जब स्टेज से किशन और राधा का नाम पुकारा जाता है..काले रंग के सूट में किशन और लाल रंग के लंबे डिज़ाइनर गाऊन में राधा दोनों आज बहुत खूबसूरत लग रहे है..खचाखच भरे हॉल में सीटियां बज रही है लोग फोटो ले रहे है..आवाज कर रहे है..राधा-किशन, राधा-किशन…

किशन और राधा के खुशी के आंसू थम नहीं रहे है..किशन का सपना था डॉक्टर बनना ,आज बहुत सारे डॉक्टर उस हॉल में मौजूद है जो किशन को सुनने आये है, दोनों अपने मन को काबू करने का नाकाम प्रयास कर रहे है..लोग उनकी सफलता की कहानी सुनने को बेताब हो रहे है..बहुत ही मुश्किल से अपनी आवाज को संभालते हुए किशन और राधा आत्मविश्वास से अपनी कहानी सुनाते है..पुरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा है..

आयोजको से निवेदन करके किशन और राधा अपने बच्चों और माताजी पिताजी को स्टेज पर बुलाते है..पुरा हॉल अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है परिवार के सम्मान में और किशन के पिता को दो शब्द कहने के लिए कहा जाता है..किशन के पिता अपने आंसू रोक नही पाते है..वो बहुत कुछ बोलना चाहते है लेकिन बोल नही पा रहे है..वो सिर्फ इतना बोलते है कि “मुझे अपने बच्चों पर गर्व है”..और काँपते हाथों से माइक किशन को थमा देते है और किशन भीड़ की तरफ रुख करके बोलता है..दोस्तों.. “अपने सपनों को कभी मरने मत देना..” सपनों के पीछे लगे रहना एक दिन ऐसा आएगा जब आपके माता पिता आप को बिना कहे बहुत कुछ कह जाएंगे.. जैसे आज मुझे अपने परिवार का एक एक सदस्य कह रहा है..हमें आप पर गर्व है..एक दिन आप स्टेज पर होंगे और आपका परिवार कह रहा होगा.. “हमें आप पर गर्व है..” सामने तकरीबन 10हजार लोंगो की भीड़ में पहलीं कतार में खड़े चेतन, दमयंती और तीनों बहनों के परिवार खड़े तालियाँ बजा रहे है..और चेतन और दमयंती ये सोच कर खुश हो रहे है कि अगला नाम उनका पुकारा जाने वाला है..!

समाप्त

क्या आपके घर में भी कोई किशन बड़ा हो रहा है..?क्या आपके यहाँ भी कोई चेतन है..?क्या आप भी किसी राधा के माता या पिता है..?क्या आपका राजा भी सपने बुन रहा है..?हजारों डरे सहमे बच्चें गाँवों से शहरों में आते है हर साल उच्च शिक्षा के लिए.. यदि आपका बच्चा भी इनमें से एक है तो एक शिक्षा अपने बच्चे को जरूर देना जो किशन के पिता ने किशन को दी थी कि चाहे जो हो जाय “ईमानदारी और सपनों को कभी दामन थामे रखना,  एक दिन समय तुम्हारा होगा..और लोग तुम्हारे जैसा बनना चाहेंगे”

– Name : Praveen Kumar jain

 – Email : campraveenpriya@gmail.com

City

 

Join us in India’s first ever run for Alzheimer’s awareness

Forum Purple Run is an initiative by FORUM to raise awareness about Alzheimer’s so that people can recognize it and procure the right treatment.

Alzheimer’s is a progressive and irreversible neurological disorder that impairs basic neurological functioning. It is the 5th leading cause of death in people over 55 years of age, and in India, more than 4 million people suffer from some form of dementia.

A run for awareness, sensitivity, and dignity – Forum Purple Run is the only run that brings together the entire family to run for a prime cause.

Forum Purple Run event will be held across 8 Malls in 6 Cities:

  1. Forum Mall Koramangala, Bangalore
  2. Forum Neighbourhood Mall, Bangalore
  3. Forum Shantiniketan, Bengaluru
  4. Forum Vijaya Mall, Chennai
  5. Forum Fiza Mall, Mangalore
  6. Forum Sujana Mall, Hyderabad
  7. Forum Centre City, Mysore
  8. Forum Celebrations Mall, Udaipur

This event will witness over 20,000 people running across all the 8 Forum Malls in 6 cities at the same time for one single cause to raise awareness for Alzheimer’s.

Join us in our initiative to create a world without Alzheimer’s.

8 Malls. 6 Cities. 1 Run.

Run to END Alzheimers.

Run to Remember.

Register now.

Registration Avenues:

  1. Online registration link: http://go.eventshigh.com/pw03f
  2. On ground registration: Contact Information desk on ground floor at Mall

 

Run Categories: 5 Km and 10 Km

Registration fee:

5 Km Registration Fee 10 Km Registration Fee
Without Timing Chip With Timing Chip With Timing Chip
₹ 150 ₹ 300 ₹ 450

Prizes

S. no. Prizes 5 km (Male / Female) 10km (Male / Female)
1 1st Prize Rs.15,000 worth Gift Vouchers Rs.15,000
2 2nd Prize Rs.10,000 worth Gift Vouchers Rs.10,000
3 3rd Prize Rs.5,000 worth Gift Vouchers Rs.5,000

 

Community Partner: One2all

Business

इस वर्ष निर्माण एक्सपो में सम्पूर्ण दक्षिण राजस्थान से आर्किटेक्ट, इंजीनियर, इंटीरियर डिज़ाइनर, बिल्डर और वे सभी उपभोक्ता उदयपुर आएंगे जिनको निर्माण कार्य से जुड़ी जानकारी की आवश्यकता है। निर्माण एक्सपो के आयोजक लोटस एसोसिएट्ज़ से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार निर्माण क्षेत्र से जुड़े लोगों और उपभोक्ताओं को 20 से 23 सितंबर को एक मंच पर लाने वाले है और यह बताया गया है कि पिछली तरह इस बार भी निर्माण एक्सपो पूर्णतया पेशेवर रूप में ही होगा, यहाँ कोई भी एक्सहिबिटर सामग्री बेच नही सकते है ताकि यहाँ पर आने वाले निर्माण कार्य से जुड़े लोग, उपभोक्ता और विद्यार्थी व्यवस्थित रूप से जानकारियाँ प्राप्त कर सके। पिछले बार के कई एक्सहिबिटर्स के साथ इस बार कई और नामी कम्पनीज भी निर्माण एक्सपो 2019 में हिस्सा ले रही है।

Contact For Stall Booking : +91-7737001000   +91-82902888800

 

निर्माण क्षेत्र की बिग ब्रांड्स होगी निर्माण एक्सपो में

20 सितंबर को शुरू होने वाले 4 दिवसीय निर्माण एक्सपो में कंस्ट्रक्शन और इंटीरियर डेकोरेशन व्यवसाय से जुड़े कई बड़े ब्रांड नज़र आएंगे। इस बार निर्माण एक्सपो का प्रचार सम्पूर्ण दक्षिण राजस्थान के स्तर पर चल रहा है जिससे दक्षिण राजस्थान से सभी निर्माण व्यवसाय से जुड़े व्यवसायी, पेशेवर लोग और उपभोक्ता नई नई जानकारियां प्राप्त करेंगे। निर्माण एक्सपो के संचालकों के अनुसार बाजार में इतने उत्पाद और ब्रांड्स बढ़ गए है कि किसी को अपने लिए कोई निर्णय लेने हो तो पूरे बाजार में घूमना बहुत मुश्किल हो जाता है इसलिए निर्माण एक्सपो में हर वो चीज जो भवन निर्माण से संबंध रखती है उनके कई ब्रांड वहाँ देखने को मिलते है। उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, चित्तौड़, राजसमंद, पाली, सिरोही आदि जिलों से जितने भी भवन निर्माण से जुड़े कंसलटेंट और बिल्डर है उनको एक विशेष आमंत्रण से एक्सपो में बुलाया जाएगा, इसके लिए इस श्रेणी के कई लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा चुके है।

विजिटर रजिस्ट्रेशन के लिए वेबसाइट लिंक पर और एक्सहिबिशन में रेजिस्ट्रेशन डेस्क मौजूद रहेंगे। बिना रजिस्ट्रेशन के एक्सहिबिशन में प्रवेश संभव नहीं होगा।

Visit: www.nirmaanexpo.com

Online Partner – One2all

Life Style

कहानी जो भुल गया जगत वो बतलाता हुं,

शब्द सुमन इस पावन भुमि को चढाता हुं,

ये भुमि है शौर्य त्याग बलिदानों की,

मिट्टी के मान पर मिटने वालो के अभिमानों की,

शीश कटे और धड़ लडे ऐसे अमर वीरों की,

पन्ना प्रताप मीरा सांगा हाडी रानी और हमीरो की,

जहां बप्पा रावल ने, राज प्रभु एकलिंग के नाम किया,

बनकर दीवान स्वयं यहां, राजधर्म का सारा काम किया,

जहां पद्मिनी अमर हो गयी जल जौहर के अंगारों में,

गोरा बादल से बालक भी कूद पड़े तीर तलवारों में,

जहां कुंभा ने तुर्को के विजय रथ का पहिया मोड़ा था,

८० घाव लगे तन पर फिर भी सांगा ने रणभुमि को नहीं छोड़ा था,

जहां मीरा ने भक्ति में विष का भी था पान किया,

जहां पन्ना ने देश की खातिर चंदन को बलिदान किया,

पहला स्वतंत्रता का दीप जला था भारत की इसी माटी में,

साक्षात महाकाल लडा था प्रताप बन हल्दीघाटी में,

जहां चेतक जैसा जीव भी राष्ट्र की खातिर अड गया,

लेकर प्रताप को अकबर के सेनानायक पर चढ़ गया,

झुक गई थी जब तलवारें दिल्ली के दरबारों में,

तब मेवाड़ अटल खड़ा था तोपों के अंगारों पे,

गीता के उपदेश वाला मुख तुर्की देहलीज़ पर थुक नहीं सकता,

शीश झुका जो एकलिंग के आगे, वो कहीं और झुक नहीं सकता,

भय मृत्यु का नहीं हमको रणचंडी के हम पुजारी हैं,

हमारा एक एक वीर लाखों तुर्को पर भारी है,

धिक्कार उन राजवंशों पर जो तुर्की चरणों में शीश धरते हैं,

मृत्यु कायर की होती है, हम तो वीरगति को वरते हैं,

किया रण महा भीषण, सार्थक अपना नाम किया,

अकबर के अहंकार का राणा ने काम तमाम किया,

शरणागत वत्सल नारायण के भक्तों को शरण दिया,

एक लाख शीश कटने पर भी अभय का वचन दिया,

महाकाल का साथ यहां पूरा दिया भवानी ने,

रण जाते पति को अपना शीश दिया था हाडी रानी ने,

आऐ थे स्वयं जगन्नाथ यहां, जगदीश रुप धरकर,

प्रकटे थे द्वारिकानाथ, चार भुजा जी रुप धरकर,

मेवाड़ की केसर पताका कभी झुकी नहीं,

आजादी की आंधी यहां कभी रुकी नहीं,

नारी नारी यहां सिंहनी जैसी, नर यहां माटी के नंदन है,

श्री एकलिंग जी की पुण्य धरा को कोटि कोटि वंदन है।

– दक्षेश पानेरी

paneridakshesh@gmail.com

Life Style

गीत तो है, पर मुझे एक आवाज़ चाहिए |
मीत तो है, पर मुझे एक तुम जैसा साथ चाहिए |
लक्ष्य तो है, दिल मे बस एक आगाज़ चाहिये |
धुन तो है ,पर एक साज़ चाहिए |
मंजिल तो तय, अपनी बस एक राह चाहिए |
बस तुमारा साथ चाहिए |सिर्फ़ और सिर्फ़ तुमारा साथ चाहिए |

नई भोरे का प्रभात चाहिए |
सिर्फ़ तुमारा साथ चाहिए |
बीज तो है पर नव धरा चाहिए |
प्रेरणा और साहस से सिंचत कर सकू एक ऐसा फुब्बार चाहिए |
है आग वही तुममे, बस वही आग चाहिए |
तिमिर से लड़ सकू बस एक दिया का प्रकाश चाहिए |
न बुझे वो दिया दो हाथ मेरे और बस दो हाथो का साथ चाहिए |
सिर्फ़ और सिर्फ़ तुमारा साथ चाहिए |

–  अरविन्द पाठक

– 9001021888

ascent303@gmail.com

 

 

Life Style

*छत पे सोये बरसों बीते*

*तारों से मुलाक़ात किये*

*और चाँद से किये गुफ़्तगू*

*सबा से कोई बात किये।*

 

*न कोई सप्तऋिषी की बातें*

*न कोई ध्रुव तारे की*

*न ही श्रवण की काँवर और*

*न चन्दा के उजियारे की।*

 

*देखी न आकाश गंगा ही*

*न वो चलते तारे*

*न वो आपस की बातें*

*न हँसते खेलते सारे।*

 

*न कोई टूटा तारा देखा*

*न कोई मन्नत माँगी*

*न कोई देखी उड़न तश्तरी*

*न कोई जन्नत माँगी।*

 

*अब न बारिश आने से भी*

*बिस्तर सिमटा कोई*

*न ही बादल की गर्जन से*

*माँ से लिपटा कोई।*

 

*अब न गर्मी से बचने को*

*बिस्तर कभी भिगोया है*

*हल्की बारिश में न कोई*

*चादर तान के सोया है।*

 

*अब तो तपती जून में भी न*

*पुर की हवा चलाई है*

*न ही नानी माँ ने कथा*

*कहानी कोई सुनाई है।*

 

*अब न सुबह परिन्दों ने*

*गा गा कर हमें जगाया है*

*न ही कोयल ने पंचम में*

*अपना राग सुनाया है।*

 

*बिजली की इस चकाचौंध ने*

*सबका मन भरमाया है*

*बन्द कमरों में सोकर सबने*

*अपना काम चलाया है।*

 

*तरस रही है रात बेचारी*

*आँचल में सौग़ात लिये*

*कभी अकेले आओ छत पे*

*पहले से जज़्बात लिये!!!*

Regards,

Gaurav kothari

Udaipur

9413093674.

Life Style

हम बन्दे  है भारत माँ के, नित नया है जोश हमारा,

मातृभूमि  के शान में हम ना आने देते बाधा,

हम वीर शिवा, राणा, सुभाष के यूही नहीं वंशज कहलाते, 2

हम जननी जन्म भूमि  के यूही अंग रक्षक नहीं कहलाते,

हे! शोर्य और साहस आकाश सा, 2

यूही भारतीय सेना नहीं कहलाते,

हम मौत को भी मात दे दे जब बारी देश की रक्षा की आये,

जल, थल, वायु तीनो में है मातृभूमि के रक्षक हम, 2

सरहद है महफ़ूज हमारी, अपने इन जवानो से,

हर दुश्मन से हम लोहा लेले, हर दुश्मन को है! मार गराये,

आंधी बन जाये, तूफ़ान बन जाये हम बन जाये आग का गोला,2

काल भी बन जाये महाकाल भी बन जाये,

जब वक़्त आये देश की रक्षा का,

बुरी नयत से देखा जब जब, भारत माँ के आंचल को,2

तब तब किया संहार दुश्मनों का भारत माँ के वीर जवानो ने,

हम बदे है, भारत माँ के, नित नया है जोश हमारा।

हम बदे है, भारत माँ के, नित नया  है जोश हमारा।

लेखक

अक्षय कुमार सुथार

 

 

 

 

aksmcs95@gmail.com

ऋषभदेव (उदयपुर)

Life Style

मेरी कोख से आये यहाँ और,मुझे ही कोख में मार दिया

बेटा पाने की ख़्वाहिश में,सारी हद को पार किया

अपने घर में भी मुझको,कभी ना किया रक्षित है

बताओ मेरे देश की बेटी,आज कहाँ सुरक्षित है

 

देखा जिसने जहाँ मुझे और,इतना यूँ लाचार किया

अपने भीतर रखी जो तुमने,इंसानियत को मार दिया

नाज़ुक बदन ये रहता मेरा,दर्द से सदा ग्रसित है

बताओ मेरे देश की बेटी,आज कहाँ सुरक्षित है

 

मेरा कोई वज़ूद नहीं है,ऐसा सबने सोच लिया

मामूली पैसों के खातिर,मुझको यूँ दबोच लिया

सारे ज़माने में अब तो,यही एक बस रीत है

बताओ मेरे देश की बेटी,आज कहाँ सुरक्षित है

 

देखा जिसने तन्हा मुझे और,इतना अत्याचार किया

सारे ज़माने के समक्ष,मुझको यूँ शर्मसार किया

पलकें मेरी भर आयी और,खुशियां मुझसे वंचित है

बताओ मेरे देश की बेटी,आज कहाँ सुरक्षित है

 

तन की खूबसूरती के खातिर,इज़्ज़त को तार तार किया

मर्दानगी दिखाकर तुमनें,मुझ पर इतना प्रहार किया

ज़ख्म दिये है ज़माने ने,अब कुछ ना अपेक्षित है

बताओ मेरे देश की बेटी,आज कहाँ सुरक्षित है

–  शायर हिमांशु सुथार

Email: himanshudk2012@gmail.com

Knowledge

गोवा और कर्नाटक की सरकारों को अपने पाले में करने के बाद भाजपा यह मानकर चल रही थी की देर सवेर वह मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को भी चारों खाने चित कर देगी और अन्य राज्यों की तरह यहां पर भी अपनी सत्ता स्थापित करने में कामयाब हो जाएगी। उसके नेता भी समय-समय पर यह घुड़की देकर कांग्रेसी नेताओं को डरा रहे थे कि वे जब चाहेंगे तब मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिरा देंगे।

जब कभी मीडिया द्वारा उनके ऐसे बयानों की आलोचना की जाती थी तब तक भाजपा नेता यह कहकर अपनी बात संभालते नजर आते थे कि हमें सरकार गिराने की आवश्यकता ही नहीं है। यह सरकार तो अपने बोझ तले खुद ही गिर कर धराशाई हो जाएगी। भाजपा नेता कभी इस सरकार को गिराने का कारण निर्दलीयों को, कभी बसपा अथवा सपा विधायकों को, तो कभी असंतुष्ट कांग्रेसी मंत्रियों व विधायकों को बता रहे थे। उनके निरंतर चल रहे इन दावों के चलते आम जनमानस में भी यह धारणा बनने लगी थी कि आज नहीं तो कल कॉन्ग्रेस शासित मध्य प्रदेश सरकार की भी गोवा और कर्नाटक की तर्ज पर आफत आने वाली है।

लेकिन आज एक संशोधन विधेयक में मतदान के नाम पर जो कुछ हुआ उसने भाजपा को फिलहाल तो चारों खाने चित कर के रख दिया है। यहां बता दें कि उक्त मतदान में भाजपा के दो विधायकों ने कांग्रेस सरकार के पक्ष में मतदान किया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस बात का खुलासा करते हुए दावा कर दिया है कि हमें भाजपा के 2 विधायकों का समर्थन हासिल है। कांग्रेस शासन के इस मैनेजमेंट ने एक बात तो तय कर दी है कि जो लोग इस सरकार को और सरकार चलाने वालों को नौसिखिया समझ रहे हैं उन्हें अब अपनी राय ठीक कर लेनी चाहिए।

वैसे भी चुनी हुई सरकार के बारे में मनगढ़ंत अफवाहों को हवा देना शासकीय कार्यों को दुष्प्रभावित करने की चेष्टा ही कहा जाएगा। यदि मध्यप्रदेश में भी ऐसा होता है तो यह कहा जा सकता है कि सरकार किसी की भी रहे अथवा किसी की जाए, अफवाहों के बीच निर्मित अनिश्चितता का माहौल आम आदमी का नुकसान करने वाला वातावरण सिद्ध होता है। जैसा कि कर्नाटक में देखने को मिला, वहां लंबे समय तक विधायकों की रेलम पेल और इस्तीफे देने के नाटक इस स्तर पर चले कि एक पार्टी सरकार को बचाने के उद्यम में लगी रही तो दूसरी उसके रास्ते में कांटे बिछाने में ताकत लगाती दिखाई दी।

इस सब के चलते आम आदमी के हित के काम ठप ही पड़े रहे और अभी तक ठप पड़े हुए हैं। अब नई सरकार बनने के बाद इन कार्यों को गति मिले तो मिले। लेकिन मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अपनी कार्यप्रणाली से यह संकेत दे दिया है कि भाजपा को यहां की सरकार से छेड़खानी करना आसान कार्य सिद्ध होने वाला नहीं है। वैसे भी इन कार्यों की सराहना नहीं की जा सकती। क्योंकि भाजपा अपने स्थापना काल से ही शुचिता और पारदर्शिता की बातें करती रही है। अब यदि यही पार्टी विभिन्न प्रांतों में विरोधी दलों की सरकारें गिराने और वहां अपने पक्ष की सरकारें स्थापित करने के कुचक्र रचती है तो यह अपने कहे से फिरने वाली बात ही होगी।

हालांकि कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस ने सरकार बनाकर जो कुछ किया था वह भी कम से कम लोकतांत्रिक सम्मत तो नहीं था। यह बात अलग है कि इन दोनों पार्टियों ने अन्य दलों और निर्दलीयों के साथ मिलकर आंकड़ों की बाजीगरी खेलते हुए वहां अपने पक्ष की सरकार स्थापित कर ली थी। पूर्व में भी केंद्र में बैठी सरकारों द्वारा इस तरह के अनैतिक कार्य करने के उदाहरण देखने को मिलते रहे हैं और आज भी केंद्र में बैठी भाजपा जो कुछ कर रही है और जो कुछ करने का प्रयास में जुटी हुई है, उसे देख कर अब भाजपा को पार्टी विद डिफरेंस कहा जाना अप्रासंगिक हो गया है।

यदि इस पार्टी ने शीघ्र ही अपनी कार्यप्रणाली को ठीक नहीं किया तो हो सकता है उसे आम जनता के कोप का भाजन बनना पड़ जाए। क्योंकि राजनीति में किसी भी दल के सितारे एक जैसे सदा नहीं रहते। एक समय ऐसा भी था जब कांग्रेस के एकछत्र शासन के चलते जनसंघ और भाजपा लोकसभा में इकाई के आंकड़े तक सिमट कर रह गई थी। कालांतर में कांग्रेस की भी बदहाली देखने में आती रही है। आज भी कांग्रेस अपने बुरे दिनों का सामना करने के लिए बाध्य है। तो फिर क्या गारंटी है कि भविष्य में यह दुर्गति भारतीय जनता पार्टी की नहीं हो सकती।

यह बात इसलिए भी कहने की बाध्यता है, क्योंकि भाजपा वही सब कुछ कर रही है जिसका वह अनेक दशकों से विरोध करती आई है। देश और प्रदेश का प्रबुद्ध वर्ग उसकी करतूतों को कतई सराहता दिखाई नहीं दे रहा है। वैसे भी लोकतंत्र में राजनैतिक दलों और नेताओं को आम जनता के जनादेश का सम्मान करना सीखना चाहिए और कम से कम मध्यप्रदेश में तो जनादेश यही है कि कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार का संचालन करें। चूंकि भाजपा एक मजबूत विपक्ष के रूप में मध्यप्रदेश में स्थापित है।

अतः उसे अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए। जनता ने उसे विपक्ष की भूमिका निभाने का और सत्ता पर नैतिकता के अंकुश लगाए जाने का दायित्व सौंपा है। एक तरह से देखा जाए तो विपक्षी दल का दायित्व सत्ता पक्ष से ज्यादा गंभीर होता है। सत्ता पक्ष केवल सरकार का संचालन करना संभालती है।

जबकि विपक्ष को सत्ता के हर सही और गलत कदम पर नजर रखना होती है। यह कार्य एक प्रकार से सत्ता पक्ष के क्रियाकलापों का ऑडिट करने जैसा होता है। भाजपा लंबे समय तक विपक्ष में रहती आई है और उसे सत्ता में रहने का भी अच्छा खासा अनुभव हो चुका है। अतः उसे अपने इन अनुभवों का लाभ विपक्षी धर्म का पालन करते हुए आम जनता तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए।

मोहन लाल मोदी

9479771017

प्रधान संपादक

शब्दघोष

shabdghosh@gmail.com

 

Life Style

A Poem From Heart of a Daughter To her Mom

“DARI SAHMI SI, BHOLI BHALI SI  REHTI THI MERI MAA,

JINDAGI KE THAPEDO SE JHUJHTI REHTI THI MERI MAA,

ANKHON MAI ANSUOO KE SAMANDAR LIYE, JANE KITNE SAALO TAK SOI NAHI MERI MAA,

KITNI HI BAAR ATMSAMMAN KO CHOTT PAHUCHI, BETIYON KE PAIDA HONE PE TANE BHI SAHE,

PRANN LIYA TABHI PHIR, BETIYON KO AGE BADHAYEGI MERI MAA,

DUNIYA KE KATHIN RASTO PE CHALNA SIKHAYEGI MERI MAA,

WO DIN BHI AYA, DUNIYA UNKE SAMNE JHUK HI GAYI,

MERI MAA SABSE MAJBOOT BAN GAYI,

GARV KERTE JIN BETIYO PER SABHI,

UNKO ISKE KABIL BANANE WALI HAI MERI MAA,

HUMARE DILO MAI HUMESHA JO REHTI THI, REHTI HAI, AUR RAHEGI ,,,…AISI HAI HUMARI MAA.

Thanks

– Ulka Paliwal

ulka7paliwal@gmail.com