भीलों के बारे में कुछ शब्द
ये information ख़ास तौर पर उन youngsters लिए है जिन्होंने भील जाति का सिर्फ नाम सुना है किन्तु उसके विषय में ज्यादा कुछ जानते नहीं हैं |
भील जाति मूलतः मेवाड़ की रहने वाली है और यह जाति तीरंदाजी में पारंगत होती है | भील लोग लड़ाके होते हैं और प्राप्त तथ्यों के अनुसार ये दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जाति है | राजस्थान की जनता का 40% हिस्सा भीलों से भरा है | रामायण और महाभारत में भी भीलों का वर्णन आता है | रामायण के अनुसार माता शबरी भील जाति से थीं |
ये लोग बाघदेव(tiger God) की पूजा करते हैं | स्थानीय देवी देवताओं में शीतलामाता और भैरो बाबा को माना जाता है | भीलों के अपने मंदिर नहीं होते और ये अपने इलाके के जादू टोने वाले लोगों के संपर्क में अधिक रहते हैं क्योंकि इस जाति में अंधविश्वास बहुत है | धार्मिक अनुष्ठान “भगत जी “ द्वारा संपन्न किए जाते हैं और मुखिया वहां के आपसी झगड़ों को सुलझाते हैं |
भील गीत-संगीत के शौक़ीन होते हैं | इनकी जाति रंगों से भरपूर होती है | “गैर” और “घूमर” नृत्यों द्वारा ये अपने देवी देवता को प्रसन्न करने में जुट जाते हैं | गारा मिट्टी के खिलौने बनाने में भीलों को महारथ हासिल है | इनके भोजन में मक्की की बहुतायत होती है और गेंहू का उपयोग सिर्फ तीज-त्योहारों पर किया जाता है |