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एक गाना था “छुई मुई सी तुम लगती हो”…. क्या आप जानते हैं कि ये छुई-मुई क्या है ? 

छुई-मुई एक ऐसे पौधे का नाम है जिसे हाथ लगाओ तो वो अपनी पत्तियां बंद कर देता है | आजकल यह पौधा गिने चुने स्थानों पर ही दिखता है, मगर पहले अक्सर घरों में इसे लगाया जाता था | इसे इंग्लिश में touch-me-not या shy plant कहते हैं | शर्माता हुआ से ये पौधा छूने पर अपनी पत्तियां सिकोड़ लेता है और थोड़ी देर बाद खोल देता है | भारत के अलावा यह पौधा बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, फ़िलीपीन्स, थाईलैंड और जापान में पाया जाता है | यह अधिकतर छांवदार जगह या पेड़ों के नीचे मिलता है | इसमें हलके गुलाबी रंग के फूल खिलते हैं जो बड़े ही सुन्दर दिखते हैं | 

इस पौधे का दवाई के रूप में भी इस्तेमाल होता है | इसकी पत्तियों के रस से घाव जल्दी भर जाते हैं | ऐसा माना जाता है कि इसका रस सांप के ज़हर के असर को भी कम कर देता है | मगर ज़हर उतारने के लिए इसे किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही काम में लिया जाना चाहिए | पाइल्स, अल्सर, दस्त, सूजन, डायबिटीज़, फंगल इन्फेक्शन, लीवर आदि बीमारियों में भी इसका इस्तेमाल होता है | 

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आजकल हर किसी को आँखों की कोई न कोई समस्या रहती है | जलन, आँख से पानी बहना, आँखों की थकान वगैरह-वगैरह | ये बहुत ही सामान्य सी बात हो गई है कि हम बहुत ज्यादा समय कंप्यूटर के सामने बिताते हैं, और जब कंप्यूटर बंद कर रखा हो तो मोबाइल फ़ोन पर लगे रहते हैं | ऐसी स्थितियों में सबकी आँखें कमज़ोर हो ही रही हैं |

असल में हम कंप्यूटर के सामने इतने ज्यादा घंटे बिताते हैं कि पलकें झपकाना तो भूल ही जाते हैं | इस कारण से हमारी आँखों में ड्राईनेस की समस्या आम हो चली है | कंप्यूटर के सामने बैठने के बाद हमको बार बार पलकें झपकाना बहुत ज़रूरी है | ऐसा करना अगर हमारी आदत में नहीं है, तो हमको आगे चलकर बहुत परेशानी उठानी पड़ सकती है | आप सोचने लगे होंगे कि हाँ ये बात तो सही है, हम एकटक कंप्यूटर स्क्रीन को देखते रहते हैं और पलकें झपकाने का विचार हमारे आस-पास भी नहीं फटकता |

अब ये तो लगभग असंभव सी बात है कि हम कंप्यूटर को तिलांजलि दे दें | हमारे सारे काम पेपर-फ्री क्रान्ति के चलते कंप्यूटर के द्वारा ही होते हैं | आसान भी लगता है कि घर बैठे हम अपने अलग अलग बिल का पेमेंट भी ऑनलाइन कर रहे हैं, लाइन में लगने के झंझट से बच रहे हैं | तो बस इतना ध्यान रखिये कि पलकें झपकाना बेहद ज़रूरी है | ऐसा करने से दिमाग भी सक्रिय होता है और पलकें झपकाने के फलस्वरूप आँखों में जो लिक्विड यानि तरल बनता है वो हमारी आँखों को ड्राईनेस से बचाता है | तो यह आदत स्वयं भी डालें और अपने साथियों को भी बीच-बीच में टोककर उन्हें पलकें झपकाने की याद दिलाते रहें | जब भी घर में फ्री बैठे हों, पांच मिनट का समय अपनी आँखों के लिए निकालें और ककड़ी की स्लाइसेस अपनी आँखों पर रखकर कुछ देर आराम भी कर लें | 

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किस्सा टाली का
“ऐ ऐ देख यो कई पड़्ग्यो “
“अरे केरी कोई नी या तो टाली मरगी “
“गज्या थारा हाथ ऊं टाली मरी अबे गणो पाप चड़ेला “
भैया क्या हुआ है,टाली क्या होता है? , मैंने पूछा
“थू चुप रे मुन्नी अबार टेंशन वेई गी है” गजू भैया डाटते हुए बोले। पर हुआ क्या है मैने दिनू भाई और तल्लू भाई की तरफ देखते हुए पूछा ।
“अरे यार मुन्नी,थारे अणी गज्जु भैया ने केरी तोड़ने के लिए जो पत्थर नाका था तो वो टाली के माते पड़ गया ।
और वा नीसे पड़ीने मर गई। ” दिनू भैया और तल्लू भैया जो मेरे मामा के बेटे गज्जु भैया के दोस्त थे मुझे अपनी सो काल्ड हिन्दी में समझाते हुए बोले।
ओह ! फिर तो हमसे बड़ा पाप हो गया , हां वाईस वात है अबे कितर उरण होंगे पाप से।
“भैया सबसे पहले इस गिलहरी का कुछ करें।”
वो तीनों ना समझने के भाव से मुझे देखने लगे । अरे भैया टाली को हिन्दी में गिलहरी बोलते हैं। उन तीनों के चेहरे पर आश्चर्य की रेखा और बड़ी हो गई।
इतने सालों में वो टाली को टाली ही बोलते थे गिलहरी जैसा भद्र शब्द बहुत नया था ।
खैर दीनू भैया ने टूटे फूटे मंत्रो का उच्चारण किया ,तल्लु और गज्जु भैया ने अन्तिम संस्कार और मैंने ईश्वर से माफी मांगी लेकिन हम चारों का पाप बहुत बड़ा था एक जीव हत्या का पाप ।
अतः हमारे दल ने बच्चों की पंचायत बुलाई सभी बच्चों में हिन्दी एवं अंग्रेजी की ज्ञाता मैं ही थी क्योंकि शहर के स्कूल में पढ़ती तो मुझे सबमें बहुत सम्मान दिया जाता ।
नानी के घर गर्मी की छुट्टीयों में एक अलग ही आनन्द था। खैर बच्चों की पंचायत ने सर्वसम्मति से निर्णय किया कि हम चारों के कारण टाली की हत्या हुई है इसलिए हमें पाप मुक्ति के लिए 2 दिन बाद पड़ने वाली निर्जला एकादशी का निर्जल उपवास करना होगा । और उस दिन गांव से 3 किमी दूर स्थित महादेव के मन्दिर में माफी मांगनी होगी।
ग्यारस के पहले कि रात्रि 12 बजे तक हम लोगों ने खूब खाया और खूब पानी पिया ताकि उपवास के दिन कोई कष्ट न हो ।
हम 11-12 साल के बच्चों को ये क्या पता कि पेट एक अन्धा कुआं है जिसे रोज भरना पड़ता है।
मनुष्य स्वभाव है जिस दिन व्रत करता है उसी दिन भूख ज्यादा लगती है। खैर रात्रि को दो दिवस का भोजन पेट में ठूसने के बाद हम निश्चित होकर सो गये ।
सुबह आंख तब खुली जब दीनू भैया अपनी छत से हमें आवाज देते मिले । मैं उठी तो देखा गज्जु भैया अभी घोड़े बैंच कर सोये थे।
“का मुन्नी थारे अबी तक परबात नी वी क्या घड़ी हात बजरी है।”
“तवड़ा भी आ गया है।”
आपण को मादेवजी के जाणा है जल्दी हापड़ो ।”
“हां भैया हम आते हैं।”
मैंने जल्दी से गज्जु भाई को उठाया । नहा धोकर जब मैं घर के बाहर निकली ।
गेट पर गज्जु भाई, दीनू और तल्लू भाई के साथ लगभग बेहोशी की अवस्था में मिले।
“क्या हुआ।”
“क्या हुआ करीरी अबे , केरी खाणी केरी खाणी रे चक्कर में वा टाली मरगी ने अबे मा तीनी हांज हुदी परा मरांला देखजे।” गज्जु भैया चिल्लाते हुए बोले।  ऐ मुन्नी मेरी हां नी आरी है राते अतरा पाणी पिया तो भी तर लग गई अबार। बहुत ही विकट परिस्थिति प्यास मुझे भी लगी थी लेकिन इन सबकी हालत देखते हुए आकस्मिक बच्चों की पंचायत बुलाई गई और निर्णय हुआ कि केवल उपवास रखा जाये क्योंकि हत्या अनजाने में हुई,पानी पी सकते हैं। बस फिर क्या पानी का मटका और हम चार ,खैर पानी आज तक कभी इतना स्वादिष्ट न लगा था । इतने में मामी जी ने आवाज दी लो आज उपवास है तो आमरस बनाया है सब पीलो । हे ईश्वर ये कैसी परिक्षा खैर आमरस भी तो तरल ही है। सो हम सबने बिना कुछ सोचे फटाफट गटक लिया। पेट का कुआ एक बार भर चुका था और हम चारों तैयार थे महादेव के दर्शन यात्रा पर जाने के लिए।
क्रमश: रास्ते में पानी पीते प्रभु गुण गाते नाचते कूदते हम आखिर मन्दिर के लगभग करीब पहुंच चुके थे । मन्दिर के 100 मीटर परिधि में मेले जैसा माहौल था ,कितनी दूकाने सुसज्जित थीं। प्रसाद-फूल माला की , खिलौनों की और और ओह यह क्या ये कैसी खुशबू हवाओं में फैली थी गरम गरम तेल में कूद कूद कर हमें अपनी ओर बुलाते आलू के पकोड़े, अपनी रसभरी घुमावदार आकृति से रस टपकाती जलेबियां , छम आवाज के साथ देशी घी में तैरते मालपूए, मोतियों जैसे चमकती साबूदाना खिचड़ी। अहा मुंह में इतनी लार का जमावड़ा आज से पहले कभी ना हुआ था । खैर हमने मन को कठोर किया और मन्दिर में प्रवेश कर दर्शन करने पहुंचे महादेव के अद्भुत दर्शन करने के बाद हमने पास ही स्थित ठाकुर जी के मन्दिर में भी दर्शन किये। लेकिन पेट की अन्तड़ियां अब सूखने लगी थी ,लगता था जैसे भोजन को खाये जाने कितने दिन हो चुके,बाहर से आती स्वादिष्ट व्यंजनों की गंध ने हमें ओर कमजोर कर दिया था ।

अत: मन्दिर परिसर में हमारी एक और आकस्मिक वार्ता हुई जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय किया गया की हम सभी गिलहरी के नाम से गाय को चारा खिलायेंगे और आधे दिवस का व्रत भी हम उसको समर्पित करते हैं लेकिन अब भूखे रहे तो किसी भी क्षण मृत्यु हमारा वरण कर लेगी। अहा ! हम सबने पकवानों कि दुकानों के बाहर ऐसे दौड़ लगाई जैसे इससे ज्यादा बड़ा सुख क्या। कोई साबुदाना खिचड़ी ,तो कोई पकौड़े तो कोई मालपूए पर टूट पड़ा। पेट की आग को मिटा हम सब एक स्वर्णिम आन्नद को प्राप्त कर चुके थे । खैर शाम ढलने को थी और हम सब खुश थे कि हमने आधा दिन उपवास , महादेव दर्शन और गाय को चारा खिलाकर उस टाली को एक सद्गति दे दी थी । जाते हुए सूरज ने हमें सिखाया था श्रद्धा, अनुराग और जीवों के प्रति अगाध प्रेम क्योंकि हम भारतीय सनातनी हैं जो कण कण में ईश्वर को देखते हैं|

जय श्री राम ।
✍️राधा
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पृथ्वीराज चौहान अजमेर 

बारहवीं शताब्दी में चौहान वंश के पृथ्वीराज चौहान अपने शौर्य और वीरता के लिए जाने जाते हैं| उनका जन्म 1168 में अजमेर में महाराजा सोमेश्वर चौहान और महारानी कमला देवी के यहाँ हुआ था | बचपन में ही पृथ्वीराज चौहान ने अपने खाली हाथों ही शेरको मार गिराया था | गुजरात के राजा भीमदेव को उन्होंने मात्र 13 वर्ष की अल्पायु में परास्त किया था | उनकी इस बहादुरी के लिए उनके दादाश्री अंगम ने उन्हें दिल्ली का राजा घोषित कर दिया था

पृथ्वीराज चौहान ने एक सुदढ़ राजपूत राज्य कायम किया और उसे उत्तर पश्चिम तक फैला दिया | इनका विवाह संयुक्ता से हुआ जो उनके दुश्मन जयचंद्र गढ़वाल की पुत्री थीं | पृथ्वीराज संयुक्ता की प्रेम कहानी भारतीय इतिहास में बेहद प्रसिद्द है

1911 में पृथ्वीराज ने शहाबुद्दीन मुहम्मद घौरी को परास्त किया और बिना कोई चोट पहुंचाए उसे माफ़ कर दिया | घौरी ने 1192 में फिर से पृथ्वीराज पर हमला बोल दिया और इस बार युद्ध जीत लिया | पृथ्वीराज चौहान को घौरी ने न सिर्फ कैद किया बल्कि गर्म सलाखों से दाग कर उन्हें अँधा बना दिया

कुछ समय उपरान्त पृथ्वीराज ने घौरी को तीरंदाजीके मुकाबले में अपने मित्र चाँद बरदाई की मदद से मार गिराया किन्तु घौरी के अंगरक्षक ने उन्हें मार दिया

पृथ्वीराज रासो चाँद बरदाई द्वारा लिखी गई एक कविता है, जो कि उन्हीं के दरबार में कवि भी थे | इसमें पृथ्वीराज चौहान की जीवनी दर्शाई गई है |

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जनता के नाम मानवता का सन्देश #one2all की तरफ से
भारत एक ऐसा देश है जहाँ विभिन्न धर्म पाए जाते हैं | इन धर्मों के बारे में हम सभी जानते हैं | हमें शुरू से
भाई चारा निभाने और सभी को समान नज़र से देखना सिखाया गया है | हम यहाँ किसी पद या ओहदे की
बात नहीं करते क्योंकि जब हमारे देश में विभिन्न धर्मों की कोई बात नहीं थी जैसे कि रामायण और महाभारत
के ज़माने में, तब से एक ही पाठ पढ़ाया जाता रहा है और वो है मानवता का पाठ | मनुष्यों के साथ शिष्टाचार
को बढ़ावा देते हुए सभी ऋषि मुनियों ने एक ही बात सिखलाई कि मानवता सबसे बड़ा धर्म है |

यदि आज के सभी धर्म ग्रंथों के हिसाब से भी चलें और उन्हें बारीकी से पढ़ें तो सभी का सार है “मानवता” |
जातिवाद ने पाँव पसारे जरूर, किन्तु धर्म के सबक नहीं बदले | कभी बदलेंगे भी नहीं | हमारे देश में आपसी
तालमेल से जीवन व्यतीत करने की शिक्षा बच्चों को होश संभालते ही देनी नहीं पड़ती, वे तो ये सब परिवार में
देखते हुए ही सीख जाते हैं | गीली मिट्टी के समान होते हैं बच्चे, इसलिए हम सभी का कर्तव्य है कि हम
धर्मों की एकता का पाठ अपने अन्दर उतार कर बच्चों को सिखाएं और अपने देश की तरक्की में योगदान दें
ना कि बाधा बनें |

आए दिन होने वाले फसादों और घटनाओं ने इंसान का दिल झकझोर कर रख दिया है | यदि उचित शिक्षा दी
जाए और सामंजस्य बना कर रखा जाए तो ये परेशानी हमेशा के लिए ख़त्म हो जाए,ऐसा हमारा विचार है |
इसी विचार के साथ आप सबका ध्यान हर ऊंच नीच से हटाकर हम सभी से निवेदन करते हैं कि देश को सुद्रढ़
करने के लिए आगे बढ़ें |

जय हिन्द जय भारत

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      बलात्कार [ एक सत्य घटना ]

मुन्नी! उठ देख बाहर क्या हो रहा है हमारी कालोनी में चोर आया है ,सब उसे पीट रहे हैं।
चोर!!!! मैने चद्दर में से मुंह निकालते हुए डर और उत्सुकता के सम्मिलित भाव से दीदी को देखते हुए बोला।
हां, चोर अब उठ मुन्नी
अपनी आँखों को मसलते हुए, क्षणिक मन में खयाल आया की छत पर देर तक सोते रहने के मजे तो बस गर्मी की छुट्टियों में ही ले सकते हैं और इस निगोड़े चोर ने सब बिगाड़ दिया
“अरे मुन्नी बिस्तर में बैठी क्या सोच रही है इधर आ ना ”
इस आवाज को सुनते ही मेरी सारी इंद्रियांं एक साथ काम करने लगी,क्योंकि ये मेरी सहेली सोनु की आवाज थी, जो अपनी छत से मेरी छत पर दौड़ती आ रही थी, तब छतों के बीच दीवार नहीं हुआ करती थी हम सब बच्चे घरों की छतों पर सरपट दौड़ते थे, रेस करने को,
अरे उठ तुझे चोर नहीं देखना क्या? दीदी छत की डोली पर खड़ी- खडी़ फिर से मेरी तरफ देख बोली।
“पर मुझे डर लगता है चोर बहुत डरावने होतें हैं। “मैं अपनी गोल- गोल आखोँ को फैलाते हुए बोली।
“अरे नी लगेगा मुन्नी ये चोर डरावना नहीं है” सोनु ने इतना कहा और मेरा हाथ खींच कर उसके घर की छत की डोली तक ले गयी।
नींद से सराबोर मैंने जब अपनी आँखों को मसलते हुए, डर और उत्सुकता के मिश्रित भाव के साथ छत से नीचे झांका
पूरी कालोनी के लोग, मेरे घर से एक घर दूर भगवती अंकल के घर के आसपास खड़े थे, मैं सोनु के घर की छत पर खड़ी थी जो भगवती अंकल के घर के बिल्कुल सटा हुआ था तो उस घर के आसपास होने वाला घटनाक्रम मुझे स्पष्ट दिख रहा था।
अचानक मैने देखा भगवती अकंल एक मोटे से डंडे को हाथ में लिये, गुस्से में लाल पिले होते हुए, अजीब सी गालियाँ दे रहे थे, (वे गालियाँ मुझ 8 साल की बच्ची के लिए अनजान थी,लेकिन आज उन अपमान जनक शब्दों का अर्थ जानती हूँ )
और उस मोटे डंडे से मेरी दीदी जितनी बड़ी लगभग 16-17 साल की लड़की को पीट रहे थे।
इनको अंकल क्यों मार रहे हैं सोनु, मेरे ये पुछने पर वो तपाक से बोली
“अरे मुन्नी यही तो चोर है ”

चोर! लेकिन मेरी कल्पनाओं का चोर तो काला सा, बड़ी-बड़ी दाढ़ी-मूछो वाला, लाल- लाल आखोँ वाला था बड़ा ही भयानक और डरावना था

पर ये तो डरावनी नहीं थी, बिखरे -उलझे बाल, रूआसी उदास आँखे, बहुत रोने से चेहरे पर मंडित आसूंओं के निशान, सूखे होठ, डर से थरथराता शरीर, कपड़ों के नाम पर बदन पर सिर्फ सफेद मेक्सी जो नीचे से खून से लाल हुए जा रही थी ,खुद के रक्तिम कपड़ों को अपने हाथों से ढकने का निष्फल प्रयास करती हुई जाने क्यों वो आदमियों की टोली से डरते हुए, बार -बार वहाँ जाने की कोशिश कर रही थी, जहाँ मम्मी और सब आन्टी खड़ी थीं।
“इसने क्या चुराया होगा ?” मेरा बाल मन सोच में खो गया………. !
लेकिन अचानक मैंने देखा वो लड़खड़ाते हुए हाथ जोड़कर सब औरतों से मदद मांग रही थी कि अचानक सामने रहने वाले आंटी बोले इसने मेरी बेटी की मैक्सी चुराई है।
कोने वाले घर में रहने वाली आंटी बोली सारी रात आटो की आवाजें आ रही थी ,हमने खिड़की से देखा आटो में बैठे 5-6 लड़के हाथ में तलवार लिए इधर-उधर आटो दौड़ा रहे थे।
इतने में मेरे बिल्कुल बगल में रहने वाली आंटी बोली हमारी गुड्डा पढ़ रही थी रात में बाहर नीम के पेड़ के पास एक लाल रंग से सनी बिना कपड़ो की खुले बाल वाली चुड़ेल देख डर गई बिचारी , कहीं वो यही तो ना थी ।
भगवती अंकल बीच में लपके मेरे खुले आंगन में पड़े बिस्तर पर सो गई सारे बिस्तर खराब कर दिये।

उसकी जिव्हा जैसे शब्दों को बोलने के प्रयास में व्यर्थ थी।उसकी आंखों से रिसते आंसू और शरीर से रिसता खून उसके दर्द को बता रहा था पर
मानवता उस दिन अवकाश पर थी ,इनसानियत घुंघट ओढ़ कर बैठी थी ।
अंत में सब लोगों ने उसे मार पीट कर हमारी गली से निकाल दिया।
और वो रोती हुई बेबस हालात में खून से भरी उस मैक्सी को पहने ,शरीर से टपकते खून के साथ जाने कहां चली गई।
भगवती अंकल ने सामने के पार्क में वो खून से सने बिस्तर फेंक दिये।

उसी दिन शाम को अचानक पुलिस वाले कुछ पूछताछ करने आये ।
उनमें से एक पुलिस अधिकारी हमारे रिश्तेदार थे सो पिता जी के आमंत्रण पर चाय पीने घर आये ।
बातों बातों में उन्होंने मां -पिताजी को बताया की एक नामचीन कालेज में पढ़ने वाले लेकिन आपराधिक प्रवृत्ति वाले कुछ लड़कों ने उसी कालेज की छात्रा जो हास्टल में रहती थी को कल दिन में कालेज के बाहर से किडनेप कर लिया ।
और उसका सामुहिक बलात्कार किया ।
रात में लड़की मौका देखकर निर्वस्त्र अवस्था में भागी ।
उन लोगों ने उसका पीछा किया ,उसे मारने के लिए और खबर है वो लड़की इसी तरफ आई थी ।
बिचारी बच्ची के माता पिता का बुरा हाल है।
उनमें से एक गुंडा पकड़ा गया आज सुबह उसी ने सारी कहानी बताई।
आगे पुलिस अंकल ने पूछा क्या आपने उस लड़की को देखा ।
मेरे मा पापा स्तब्ध थे ।
साथ ही स्तब्ध थी हमारी पूरी कालोनी।
एक अपराधबोध का भाव सबको खा रहा था ।
लेकिन क्या मेरे कालोनी वाले उन बलात्कारियों के समान अपराधी नहीं थे।
गुंडों ने अगर उसका शारीरिक शोषण किया था तो क्या हमारी कालोनी ने उसका मानसिक शोषण नहीं किया था ।
आज भी बचपन की ये घटना मेरी रूह कपां देती है।
आज भी मेरी आंखे उन दीदी को ढूंढती है जिनके साथ गलत किया था मेरे आसपास रहने वाले मेरे अपनों ने ।
काश एक बार मैं उनसे माफी मांग सकूं की माफ कर दो उन‌ नर पिशाचों को जो सभ्य समाज में रहते हैं बड़े बड़े विषयों पर सरकार और प्रशासन को दोष देते हैं लेकिन जहां इन्सानियत की बात आती है तो इतना घृणित कार्य करने से नहीं चूकते।

✍ राधा

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डॉ आनंद गुप्ता अध्यक्ष, डॉ कुशल गहलोत सचिव

उदयपुर। उदयपुर चैप्टर ऑफ रेडियोलॉजी की वर्ष-2022 की नवीन कार्यकारिणी की घोषणा की गई।

अध्यक्ष डॉ. आनंद गुप्ता ने बताया कि नवीन कार्यकारिणी में वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. एनसी शर्मा और डॉ. एनके कदम को संरक्षक, डॉ. कुशल गहलोत को सचिव, डॉ. कपिल व्यास और डॉ. मनीष सेठ को उपाध्यक्ष, डॉ. अनिल बंसल को संयुक्त सचिव, डॉ. सुनील मंगलानी को कोषाध्यक्ष मनोनीत किया गया।

इसके अलावा कार्यकारिणी सदस्यों के रूप में डॉ. ऋतु मेहता, डॉ. रामवीर सिंह, डॉ. हरिराम, डॉ. भरत जैन, डॉ. तपेंद्र तिवारी एवं डॉ. संदीप ओला को मनोनीत किया गया।

इसके अलावा डॉ. सीताराम, डॉ. राजाराम शर्मा एवं डॉ. कार्तिकेय को अकादमिक समन्वयक मनोनीत किया गया।

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जैसा की हम सब जानते है की त्यौहार का मौसम चल रहा है और सभी लोग व्रत करते है ! अब सवाल ये उठता है की व्रत कैसे करे ? क्या सिर्फ भूखे पेट रहना ही व्रत है ? क्या शरीर को कष्ट देना व्रत है ?

आइये जानते है की मैं क्या सोचता हूँ व्रत के बारे में !

खाने पीने की चीज़ो से दूरी बनाना व्रत का नियम है जिसे सभी लोग जानते है और मानते है , पर क्या सिर्फ भोज्य पदार्थो से दूरी बना लेने से व्रत सफल हो जायेगा ?

व्रत का असल मतलब है संयम और नियंत्रण .

अब किस बात का संयम और किस पर नियंत्रण ?

सिर्फ शरीर को कष्ट देना और भूखे रहने से कभी व्रत सफल नहीं हो सकता . अगर सही अर्थ में व्रत करना है तो नीचे दिए बिन्दुओ पर गौर करे और उन को अनुसरण करने का प्रयास करे , जिस दिन आप इन सभी चीज़ो को करने में सफल होंगे तभी आप का व्रत सही मायने में सफल होगा .

१) भोज्य पदार्थो से दूरी बनाये पर सर्वथा भूखे न रहे इस तरह से आप अपने शरीर को कष्ट दे कर मानसिक संताप को निमंत्रण दे रहे है , भोजन न करे पर फल, जूस, शिकंजी इत्यादि का सेवन करे ताकि आपके पेट में अम्लीय तरल का उत्पादन न हो .

२) वाणी पर संयम बनाये रखे किसी पर क्रोध करना या अपशब्द कहना वैसे तो आम जीवन में भी नहीं करना चाहिए पर व्रत के दिन में इस बात का ख़ास ध्यान रखे की आप के शब्दों से किसी को भी ठेस न पहुंचे .

३) झूठ न बोले , जैसा की हम आम तौर पर करते है की छोटी छोटी बातो पर झूठ का सहारा ले कर टालमटोल करते है, तो वैसे तो झूठ को ज़िन्दगी में से ही निकाल बाहर करना चाहिए पर व्रत के दिन में इस बात का विशेष ध्यान रखे की मुँह से एक भी झूठ न निकले .

४) क्रोध न करे , छोटी छोटी बातो पर झल्लाना , चिड़चिड़ाना आज कल बहुत ही आम बात हो गयी है और हमने इसे आम जीवन का हिस्सा बना लिया है , इस आदत से बहार निकले और व्रत के दिन विशेष ध्यान रख कर अपने क्रोध पर नियंत्रण करे .

५) मन पर नियंत्रण , जैसा की हम सभी जानते है की हमारा मन एक बन्दर की तरह है , हमेशा उछलता कूदता रहता है कभी इस पेड़ पर कभी उस शाख पर , तो इस प्रवृत्ति पर रोक लगाना भी एक सफल व्रत के लिए उत्तम मंत्र है .

६) व्रत के दिन किसी की भूख प्यास ख़तम करने का साधन बने , चाहे वो मनुष्य हो अथवा पशु पक्षी या पेड़ पौधे हो.

७) व्रत के दिन भूल से भी किसी को पीड़ा / कष्ट न पहुचाये चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक , अपना कार्य स्व्यं करे और दूसरो को भी इस के लिए प्रेरित करे .

८) अच्छे और धार्मिक साहित्य का अध्यन करे .

अगर आप ने ऊपर दिए कार्य व्रत के दिन करने शुरू कर दिए तो मैं आप को यकीन दिला कर बोलता हु की कुछ ही व्रत के बाद आप इन सभी चीज़ो का महत्व समझने लगेंगे और कुछ ही समय में ये सभी सद्कार्य आप की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन जायेंगे और आप के आस पास के लोग परिवार और समाज में आप एक प्रियजन बन जायेंगे जिन के बिना किसी भी आयोजन को सिद्ध करना मुश्किल होगा .मुझे ज्ञात है की मैंने जो विधि बताई है वो आप को कोई और नहीं बताएगा और इस में कई लोग विरोध भी कर सकते है पर आप भी कर के देखिये वास्तव में फर्क दिखेगा.

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गोवा और कर्नाटक की सरकारों को अपने पाले में करने के बाद भाजपा यह मानकर चल रही थी की देर सवेर वह मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को भी चारों खाने चित कर देगी और अन्य राज्यों की तरह यहां पर भी अपनी सत्ता स्थापित करने में कामयाब हो जाएगी। उसके नेता भी समय-समय पर यह घुड़की देकर कांग्रेसी नेताओं को डरा रहे थे कि वे जब चाहेंगे तब मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिरा देंगे।

जब कभी मीडिया द्वारा उनके ऐसे बयानों की आलोचना की जाती थी तब तक भाजपा नेता यह कहकर अपनी बात संभालते नजर आते थे कि हमें सरकार गिराने की आवश्यकता ही नहीं है। यह सरकार तो अपने बोझ तले खुद ही गिर कर धराशाई हो जाएगी। भाजपा नेता कभी इस सरकार को गिराने का कारण निर्दलीयों को, कभी बसपा अथवा सपा विधायकों को, तो कभी असंतुष्ट कांग्रेसी मंत्रियों व विधायकों को बता रहे थे। उनके निरंतर चल रहे इन दावों के चलते आम जनमानस में भी यह धारणा बनने लगी थी कि आज नहीं तो कल कॉन्ग्रेस शासित मध्य प्रदेश सरकार की भी गोवा और कर्नाटक की तर्ज पर आफत आने वाली है।

लेकिन आज एक संशोधन विधेयक में मतदान के नाम पर जो कुछ हुआ उसने भाजपा को फिलहाल तो चारों खाने चित कर के रख दिया है। यहां बता दें कि उक्त मतदान में भाजपा के दो विधायकों ने कांग्रेस सरकार के पक्ष में मतदान किया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस बात का खुलासा करते हुए दावा कर दिया है कि हमें भाजपा के 2 विधायकों का समर्थन हासिल है। कांग्रेस शासन के इस मैनेजमेंट ने एक बात तो तय कर दी है कि जो लोग इस सरकार को और सरकार चलाने वालों को नौसिखिया समझ रहे हैं उन्हें अब अपनी राय ठीक कर लेनी चाहिए।

वैसे भी चुनी हुई सरकार के बारे में मनगढ़ंत अफवाहों को हवा देना शासकीय कार्यों को दुष्प्रभावित करने की चेष्टा ही कहा जाएगा। यदि मध्यप्रदेश में भी ऐसा होता है तो यह कहा जा सकता है कि सरकार किसी की भी रहे अथवा किसी की जाए, अफवाहों के बीच निर्मित अनिश्चितता का माहौल आम आदमी का नुकसान करने वाला वातावरण सिद्ध होता है। जैसा कि कर्नाटक में देखने को मिला, वहां लंबे समय तक विधायकों की रेलम पेल और इस्तीफे देने के नाटक इस स्तर पर चले कि एक पार्टी सरकार को बचाने के उद्यम में लगी रही तो दूसरी उसके रास्ते में कांटे बिछाने में ताकत लगाती दिखाई दी।

इस सब के चलते आम आदमी के हित के काम ठप ही पड़े रहे और अभी तक ठप पड़े हुए हैं। अब नई सरकार बनने के बाद इन कार्यों को गति मिले तो मिले। लेकिन मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अपनी कार्यप्रणाली से यह संकेत दे दिया है कि भाजपा को यहां की सरकार से छेड़खानी करना आसान कार्य सिद्ध होने वाला नहीं है। वैसे भी इन कार्यों की सराहना नहीं की जा सकती। क्योंकि भाजपा अपने स्थापना काल से ही शुचिता और पारदर्शिता की बातें करती रही है। अब यदि यही पार्टी विभिन्न प्रांतों में विरोधी दलों की सरकारें गिराने और वहां अपने पक्ष की सरकारें स्थापित करने के कुचक्र रचती है तो यह अपने कहे से फिरने वाली बात ही होगी।

हालांकि कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस ने सरकार बनाकर जो कुछ किया था वह भी कम से कम लोकतांत्रिक सम्मत तो नहीं था। यह बात अलग है कि इन दोनों पार्टियों ने अन्य दलों और निर्दलीयों के साथ मिलकर आंकड़ों की बाजीगरी खेलते हुए वहां अपने पक्ष की सरकार स्थापित कर ली थी। पूर्व में भी केंद्र में बैठी सरकारों द्वारा इस तरह के अनैतिक कार्य करने के उदाहरण देखने को मिलते रहे हैं और आज भी केंद्र में बैठी भाजपा जो कुछ कर रही है और जो कुछ करने का प्रयास में जुटी हुई है, उसे देख कर अब भाजपा को पार्टी विद डिफरेंस कहा जाना अप्रासंगिक हो गया है।

यदि इस पार्टी ने शीघ्र ही अपनी कार्यप्रणाली को ठीक नहीं किया तो हो सकता है उसे आम जनता के कोप का भाजन बनना पड़ जाए। क्योंकि राजनीति में किसी भी दल के सितारे एक जैसे सदा नहीं रहते। एक समय ऐसा भी था जब कांग्रेस के एकछत्र शासन के चलते जनसंघ और भाजपा लोकसभा में इकाई के आंकड़े तक सिमट कर रह गई थी। कालांतर में कांग्रेस की भी बदहाली देखने में आती रही है। आज भी कांग्रेस अपने बुरे दिनों का सामना करने के लिए बाध्य है। तो फिर क्या गारंटी है कि भविष्य में यह दुर्गति भारतीय जनता पार्टी की नहीं हो सकती।

यह बात इसलिए भी कहने की बाध्यता है, क्योंकि भाजपा वही सब कुछ कर रही है जिसका वह अनेक दशकों से विरोध करती आई है। देश और प्रदेश का प्रबुद्ध वर्ग उसकी करतूतों को कतई सराहता दिखाई नहीं दे रहा है। वैसे भी लोकतंत्र में राजनैतिक दलों और नेताओं को आम जनता के जनादेश का सम्मान करना सीखना चाहिए और कम से कम मध्यप्रदेश में तो जनादेश यही है कि कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार का संचालन करें। चूंकि भाजपा एक मजबूत विपक्ष के रूप में मध्यप्रदेश में स्थापित है।

अतः उसे अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए। जनता ने उसे विपक्ष की भूमिका निभाने का और सत्ता पर नैतिकता के अंकुश लगाए जाने का दायित्व सौंपा है। एक तरह से देखा जाए तो विपक्षी दल का दायित्व सत्ता पक्ष से ज्यादा गंभीर होता है। सत्ता पक्ष केवल सरकार का संचालन करना संभालती है।

जबकि विपक्ष को सत्ता के हर सही और गलत कदम पर नजर रखना होती है। यह कार्य एक प्रकार से सत्ता पक्ष के क्रियाकलापों का ऑडिट करने जैसा होता है। भाजपा लंबे समय तक विपक्ष में रहती आई है और उसे सत्ता में रहने का भी अच्छा खासा अनुभव हो चुका है। अतः उसे अपने इन अनुभवों का लाभ विपक्षी धर्म का पालन करते हुए आम जनता तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए।

मोहन लाल मोदी

9479771017

प्रधान संपादक

शब्दघोष

shabdghosh@gmail.com

 

Knowledge

Once a child completes his senior secondary school, his biggest dream is to get into a good college or a university. The dream of getting into IIT / JEE, PMT, PET, and other such prestigious programmes is the most common one. Not getting a seat in these programmes often leads to depression and frustration.
But one must remember that not getting into these programmes is not the end of the world. There are lots of top class universities around the world that provides a lot of exciting programmes to make these students future ready.
There is a range of degrees and diplomas offered by foreign universities some of which are not available in India. Many universities offer students to take a lot of odd combinations of subjects unlike the traditional programmes offered by Indian universities. I certainly do not mean to undermine any Indian university or our fantastic educational system but just wanted to stress that there is huge variety of educational programmes offered abroad which can open the doors to a lot many career options. There is a lot of focus also on entrepreneurship programmes with sound knowledge about startups and crowd-funding.
But to get into foreign universities is not an easy cakewalk. One needs to be familiar with different examinations and other formalities. I am providing with some most important tests which students are expected to take before they move to any foreign country for higher education. Since we Indians are not the native speakers of English, one needs to prove proficiency in English before flying off.

Everybody is a genius. But if you judge a fish by its ability to climb a tree, it will live its whole life believing that it is stupid. – Albert Einstein

IELTS
International English Language Testing System (IELTS) is an English language proficiency exam that measures the language ability of candidates who wants to study or work in a country where English is the language of communication. The four basic language skills – listening, reading, speaking, and writing – are tested. Students need to take the Academic test and other applicants should opt for the General test. One can take IELTS exam with the British Council.

TOEFL Exam
Test of English as a Foreign Language (TOEFL) measures the ability of non-native speakers of English This test is developed and administered by Educational Testing Service (ETS), which sets the questions, conducts the test, and sends each examinee the score report.
TOEFL test is conducted on more than 50 test dates per year. Just like IELTS, TOEFL also tests candidates in four sections, namely, Reading, Listening, Speaking and Writing.

IELTS is more preferred in UK, Australia and New Zealand. TOEFL is popular among applicants to universities in US and Canada.
GMAT Exam
The Graduate Management Admission Test (GMAT) is a computer adaptive test which assesses a person’s analytical, writing, quantitative, verbal and reading skills in standard written English. This test is taken in preparation for being admitted into a graduate management program, such as MBA and Masters in Finance related courses.

SAT Exam
SAT is required to be taken by students seeking admission in undergraduate schools. SAT exam evaluates the written, verbal and mathematical skills of the candidates.
Applicants to undergraduate courses, particularly in US and Canada, are required to take the SAT exam. SAT exam is conducted in three sections, namely, Math, Critical Reading and Writing.

GRE Exam
The Graduate Record Examination (GRE) is required to be taken by students seeking admission in Masters in Science (MS) or MBA. This computer-based exam has been developed to evaluate the verbal, analytical and mathematical skills of the candidates. GRE also has subject tests, apart from the basic GRE exam. The subject tests being offered currently are Biochemistry, Biology, Chemistry, Literature, Mathematics, Physics, and Psychology.

Documents Required for Student Visa Application
Two major documents required by every country and college/university are:
Valid passport
Validity may range from minimum one year till the end of the course. There must be a few blank pages in the passport for stamping for visa.
Bonafide Certificate
One needs to provide a proof that he/she is a bonafide student.

Other documentary requirements are largely country specific. Medical reports and bank account details are also required by a large number of countries.


About the author – Ashish Bhatnagar is currently working as the Principal (Cambridge) with Rockwoods High School in Udaipur. He was instrumental in bringing International education to the Lakecity by getting affiliation of the Cambridge University, UK for the school.

He has a vast experience of teaching International curriculum at various senior leadership positions in India, Saudi Arabia and South-Central African country – Malawi. He has also conducted a lot of workshops for teachers, MDP for corporate and career counseling sessions for students.