जीवन की अभिलाषा
गीत तो है, पर मुझे एक आवाज़ चाहिए |
मीत तो है, पर मुझे एक तुम जैसा साथ चाहिए |
लक्ष्य तो है, दिल मे बस एक आगाज़ चाहिये |
धुन तो है ,पर एक साज़ चाहिए |
मंजिल तो तय, अपनी बस एक राह चाहिए |
बस तुमारा साथ चाहिए |सिर्फ़ और सिर्फ़ तुमारा साथ चाहिए |
नई भोरे का प्रभात चाहिए |
सिर्फ़ तुमारा साथ चाहिए |
बीज तो है पर नव धरा चाहिए |
प्रेरणा और साहस से सिंचत कर सकू एक ऐसा फुब्बार चाहिए |
है आग वही तुममे, बस वही आग चाहिए |
तिमिर से लड़ सकू बस एक दिया का प्रकाश चाहिए |
न बुझे वो दिया दो हाथ मेरे और बस दो हाथो का साथ चाहिए |
सिर्फ़ और सिर्फ़ तुमारा साथ चाहिए |
– अरविन्द पाठक
– 9001021888