ईमानदारी की मिसाल – मोहम्मद सादिक भाई
ये मेरे शहर उदयपुर के हाजी मोहम्मद मुश्ताक़ सक़्का साहब निवासी सौदागर हाउस के पास गणेशनगर पहाड़ा हैं जिन्होंने मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी रोड़ पर रास्ते में पड़े लगभग 50000 रुपये 1 लेपटॉप और सोने के जेवरातों को वापस उसके असली मालिक तक पहुंचाया है | शहर में हाथीपोल के पास अजंता होटल गली में मोटर साईकल की बिल्कुल बहुत छोटी सी दुकान आज़ाद व्हील रिपेयर के मालिक हाजी साहब को जब ये बैग रात को साढ़े 10 बजे रोड़ पर पड़ा हुआ मिला तो आपने अपने स्तर पर आधे पौन घण्टे तक उसके मालिक को बहुत तलाशा लेकिन बैग में कोई पहचान वाली चीज नही थी तो आपने वो बैग बाद में पास ही स्थित पुलिस चौकी पर जमा कराने की सोची | चौकी पर जाते ही पुलिस वालों ने आपकी बहुत इज्जत की और बताया कि जिसका ये बैग है वो बहुत परेशान थी और रिपोर्ट लिखवा कर गयी है | पुलिस चौकी वाले खुद आपको उनकी मोटर साईकल पर बैठा कर बैग मालिक के घर ले गये जहां आपकी बहुत तारीफ हुई और आपसे कहा गया के आप कुछ रुपये ईनाम ले लो लेकिन आपने मना कर दिया और कहा के ये मेरा फ़र्ज़ और इंसानियत का तकाजा है |
काबिले सद अहतराम है आपकी शख्सियत जिन्होंने उदयपुर में ना केवल सक़्का बिरादरी का बल्कि मुस्लिम बिरादरी का नाम रोशन किया है आपके वालिद साहब मरहूम हाजी शफी उस्ताद का नाम भी शहर में बड़े अदब से याद किया जाता है जिन्होंने इस शहर में सभी धर्म और समुदायों के नोजवानों को बड़े बड़े भारोत्तलक और पहलवान बनाया है जिन्होंने स्थानीय राज्य ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी देश का नाम रोशन किया है
मैं आपकी शख्सियत को सलाम करता हूँ
अल्लाह पाक आपको बार बार अपने घर की और अपने हबीब सल्लाहो अलैहे वससल्लम के दर की हाजरी नसीब फरमाए
आमीन
From मोहम्मद सादिक भाई