पटवों की हवेली (जैसलमेर)
हवेली के पीले पत्थर
जैसलमेर का नाम आते ही रेत के धोरों के बाद सबसे पहला ख़याल आता है पटवों की हवेली का जो कि पत्थर पर करी हुई कशीदानुमा बारीक कारीगरी का बेजोड़ नमूना है | यह हवेली एक अकेली बड़ी हवेली नहीं है बल्कि 5 छोटी हवेलियों का समूह है | 1805 में एक अमीर व्यापारी गुमान चंद पटवा ने इसका निर्माण करवाया था | इस अमीर व्यापारी ने अपने 5 बेटों के लिए इस हवेली में अलग अलग माले बनवाये थे जिन्हें सम्पूर्ण होने में लगभग 50 साल का समय लग गया था | इस हवेली में बेहद खूबसूरत वॉल पेंटिंग्स और पीले पत्थर पर बारीक खुदाई वाले झरोखे हैं | महज़ इसका दरवाज़ा ही भूरे रंग का है, बाकी पूरी हवेली पीले पत्थर से बनी हुई है |
अपनी बारीक खुदाई के लिए जानी जाने वाली यह हवेली जैसलमेर के सबसे खूबसूरत उदाहरणों में अपने किस्म की अनूठी और एकमात्र हवेली है | इसकी बारीक खुदाई देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबा लेता है | यह हवेली शहर की तंग गली में अपनी भव्यता लिए खड़ी है |
कई प्रकार से भीतर से खंडित होने के बाद भी आज भी आप इस हवेली में कुछ पेंटिंग्स और कांच का काम देख सकते हैं | आज इस हवेली को सरकार के पुरातत्व विभाग ने अपने अधीन ले रखा है और उनका दफ़्तर भी इसी हवेली के अन्दर है | हवेली के अन्दर मेहराबनुमा दरवाज़े हैं और हर एक मेहराब(arch) पर अलग अलग व्यक्तिगत चित्रण किया हुआ है|
ज्ञात हुआ है कि एक साल बहुत तेज़ बारिश में हवेली का एक हिस्सा ढह गया था जिसका जीर्णोद्धार करने में बहुत समय लगा | डर इस बात का था कि यदि हवेली की नींव कमज़ोर पड़ी और यह संपूर्ण रूप से ढह गई तो आसपास का इलाका भी ख़त्म हो जाएगा क्योंकि तंग गली में आमजन के भी मकान हैं |
1970 के दशक में (असली तारीख और समय ज्ञात नहीं हो पाया है ) इस हवेली की जब देखरेख नहीं हो पा रही थी तो फ्रांस से आये कुछ अधिकारियों ने इसे अपने साथ ले जाने की बात करी थी और हवेली का सौदा करने के लिए मालिक को मना लिया था | तभी कुछ गणमान्य लोगों के कानों में यह बात पड़ी थी और उन्हें खतरे का आभास हुआ था कि फ्रांसीसी हवेली की एक एक दीवार को अपने साथ अपने देश ले जाना चाहते हैं |
यह बात जैसलमेर के इतिहास के लिए शर्मनाक और बेहद दर्दनाक घटना होती यदि वे गणमान्य व्यक्ति सौदा होने के पहले इस बात को हवेली के मालिक तक ना पहुंचाते | हवेली की दीवारें उखाड़ कर ले जाने का अर्थ था आसपास की समस्त संपत्तियों को हानि पहुँचाना और जैसलमेर की खूबसूरती में दाग लगाना | सौदा किसी प्रकार निरस्त कर राजस्थान की इस धरोहर को बचा लिया गया |
अब इस हवेली को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है और इसे देखने वालों की नज़रें इस पर से हटती ही नहीं हैं | किन्तु इस हवेली के अन्दर छोटे चमगादड़ों ने अपना घर बना रखा है जो कि डर पैदा करता है | हालांकि गाइड पर्यटकों को आगाह करते रहते हैं, परन्तु यह चर्चा का विषय है |