सपनों का सफर..गाँव से शहर तक
किशन..किशन.. ओ किशन..पिताजी की रौबदार आवाज सुनकर किशन क्रिकेट के खेल को छोड़कर भागा दुसरे रास्ते से..ये रोज की कहानी थी..किशन छठी कक्षा में पढ़ता था..और स्कूल से आते ही वो गांव के दूसरे बच्चों के साथ नदी किनारे खेलने चला जाता था..पिताजी ढूंढते हुए आते और किशन बच कर भागता था
आज जब किशन घर पहुंचा तो उसने अपनी माँ से यूँ ही पुछा.. कि पिताजी मुझे इतना क्यों डाँटते है..तो माँ ने उसके सिर पर हाथ फिराते हुए थाली में खाना परोसा और मासुम किशन को अपने और उसके पिताजी के बीते दिनों के बारे में बताया..कि बेटा तेरे पिताजी अपने भाइयों में सबसे छोटे है..और वो पढ़ाई पुरी करने के बाद अपनी दुसरे जिले के एक गाँव में पसंदीदा अध्यापक की नौकरी छोड़कर अपने गाँव में दादाजी की दुकान चलाने लगे थे और फिर ईश्वर ने हमें एक के बाद एक चार बेटियां दी..और उसमें पहली बेटी प्रेमा का देहांत मात्र 6 साल की उम्र में पिताजी की आँखों के सामने हो गया जब वो खेलते खेलते दुकान के सामने वाले मंदिर की छत से गिर गई..उसके बाद 5 वें नंबर पर तेरा जन्म हुआ बेटा.. तेरे जन्म पर तेरे पिताजी ने पुरे गाँव में जशन मनाया था..कि हमारे घर में भी बेटा हुआ है अब कोई गांव में ये नहीं कहेगा कि किस्मत वालों के घर में ही बेटा होता है तुम तो अभागे हो..इसलिए वो हमेशा तुझमें अपना सपना देखते है बेटा वो चाहते है कि तु बहुत बड़ा आदमी बने और परिवार का और गाँव का नाम रोशन करें..यकायक उस दिन किशन अपनी उम्र से बहुत बड़ा हो गया..
और अगले दिन से किशन बदल चुका था..अब वो स्कूल से आते ही खाना खाता था और सीधा पिताजी के पास दुकान जाता था..3 साल में पिताजी की संगत से किशन पढ़ने में पूरी स्कूल में अव्वल आने लगा..और साथ ही पिताजी की दुकानदारी भी संभालने लगा..खाली समय में वो पिताजी के साथ मिलकर अखबार में छपे फ़ोटो देखकर कागज पर हूबहू बनाने की कोशिश करता था..कहानियां पढ़ता था..दुकान पर रखे कैलकुलेटर से खेलता था
आज किशन का आठवीं कक्षा का रिजल्ट आया और उसने फिर स्कूल में प्रथम स्थान प्राप्त किया था…पिताजी ने बड़ा सपना देखा और मां से कहा हम इसे गाँव में नहीं रखेंगे और आगे किसी बड़े शहर में हॉस्टल में पढ़ने भेजेंगे और ..ऐसे पिताजी की जिद के आगे किसी की नहीं चली और मात्र 12 साल की उम्र में वो शहर के नामी स्कूल में 9 वीं कक्षा में प्रवेश ले चुका था..
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एक दिन सर्दी की रात में ग्यारह बजे घुप्प अंधेरे में गाँव के घर की घंटी बजी.. पिताजी ने दरवाजा खोला..सामने डरा सहमा किशन खड़ा था..जो स्कूल से भाग कर रेल में बैठकर घर आ गया था..क्योंकि वो कम उम्र और शहर की चकाचौंध में उलझ गया था उसकी दोस्ती अपने से बड़े लेकिन हॉस्टल में साथ रहने वाले बच्चो से हो गई थी..और वो हॉस्टल से भाग भाग कर क्रिकेट और फिल्में देखने का शौकीन बन गया था..दसवीं कक्षा में इसी वजह से वो 2nd डिवीजन से पास हुआ था..उसके बाद से वो उस अपराधबोध में आ गया था जो उसने कभी किया ही नहीं.. वो अंतर्मुखी बन चुका था..हमेशा सहमा सहमा रहता था..हर पल उसे असफलता काटने को दौड़ती थी..लेकिन वो ये सब पिताजी को समझा नहीं पा रहा था..
खैर,पिताजी ने हिम्मत नहीं हारी और नाराज मन से वो किशन को पास के एक दूसरे छोटे शहर में दुसरे हॉस्टल और सरकारी स्कूल में दाखिला दिला कर आये और साथ में लाल रंग की एक सुंदर साइकिल दिलाई..कुछ ही दिनों में किशन फिर से उसी पुराने रंग में चहकने लगा..सरकारी स्कूल , छोटा शहर और हाथ में साइकिल..थोड़ा सयाना भी हो गया था..क्योंकि अब इस हॉस्टल में उसे खाना बनाना और कपड़े धोना खुद करना होता था
समय अपनी रफ्तार से चल रहा था,आज बारहवीं साइंस का रिजल्ट आया किशन फिर से 1st डिवीजन से पास हुआ..फिर से पिताजी बहुत खुश हुए क्योंकि पुरे गाँव में किशन अकेला उस साल 1st डिवीजन से पास हुआ था..फिर पिताजी ने बड़ा सपना देखा और माँ को बोला..हम अपने किशन को डॉक्टर बनाएंगे.. और फिर से किशन अपने उसी पुराने शहर में आ गया जहाँ से वो पिताजी के सपने को अधुरा छोड़ भागा था..पिताजी ने एक घर किराये पर ले कर दिया शहर में और किशन वहाँ अपने एक दोस्त के साथ रहने लगा..अब किशन की लाल साइकिल बड़े शहर की सड़कें नापने लगी थी इस कोचिंग से उस कोचिंग..कुछ नए दोस्त बन गए थे..पढ़ाई भी पूरी लगन से करता था किशन.. देखते देखते एक साल गुजर गया
आज किशन बहुत निराश था.. उसे भय था कि उसकी पुरी साल की मेहनत का परिणाम आज आने वाला है अगर पास नहीं हुआ तो..और हुआ भी कुछ ऐसा ही..किशन प्री मेडिकल परीक्षा में पास तो हुआ लेकिन कुछ ही नंबरों से सलेक्ट नहीं हो पाया..एक बार फिर किशन और उसके पिताजी का सपना हाथ से छिटक गया, किशन अंदर तक टूट चुका था..किशन भारी मन से गाँव की बस में बैठा.. और जैसे ही घर पहुँचा उसमें अपने पिताजी का सामना करने का साहस नहीं बचा था..वो माँ से मिला..आज पहली बार किशन को पिताजी की अवस्था का पता चला कि किस तरह गाँव की दुकान से मेहनत कर करके पिताजी ने किशन के भविष्य को अपना सपना बनाया था..और किशन उस सपने को पुरा नहीं कर पा रहा था.. किशन ने अपने परिवार की अवस्था के सामने समर्पण कर दिया..
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पिताजी ने फिर हिम्मत नहीं हारी और किशन को फिर उसी शहर ले आये.. सामान्य कॉलेज में दाखिला करा दिया और पार्ट टाइम में किशन को अपने एक जानकर के माध्यम से दुकान पर नौकरी लगवा दी..दिन में कॉलेज शाम को दुकान..और महीने में एक बार गाँव.. किशन को अब सब समझ आने लगा था कि छोटे भाई की इंजीनियरिंग की पढ़ाई.. तीन बड़ी बहनों की शादी..और घर की सभी जिम्मेदारियां पिताजी अकेले अपने कंधे पर लेकर चल रहे थे..
आज किशन को अपने बड़े होने का अहसास हुआ..उसने माँ पिताजी से बात की..और पंडित जी के कहने पर जिस शहर में किशन के सारे सपने अधुरे रह गए थे..उसी शहर में किशन को पिताजी ने कर्ज लेकर एक दुकान लगवा दी..कुछ ही दिनों में किशन की दुकान बहुत बढ़िया चल पड़ी..पिताजी की मदद की वजह से किशन पर कभी आर्थिक बोझ आया ही नहीं..किशन फिर से..सबकुछ भूल गया..और अपनी दुनिया में मस्त हो गया..अब घर में किशन की शादी की बात चलने लगी..और अपने गाँव के पास वाले गाँव में किशन की शादी तय हो गई..
दुकान लगाने के 2 साल के भीतर किशन की शादी हो गई..किशन को राधा के रूप में अच्छी जीवन संगिनी मिली..दोनों अपनी जिंदगी मजे से गुजार रहे थे कि एक दिन राधा ने बताया..कि घर में नया मेहमान आने वाला है..किशन ने राधा से कहा..अगर बेटा हुआ तो हम उसका नाम राजा रखेंगे.. और बेटी हुई तो उसका नाम परी रखेंगे.. ईश्वर की कृपा से राधा की गोद में राजा आया..अब राधा राजा के साथ व्यस्त रहने लगी..वो दिन भर घर के काम करती और पुराने कैमरे से राजा के फोटो खिंचती रहती..कभी कभी राजा को लेकर दुकान आ जाया करती थी
एक दिन किशन का छोटा भाई चेतन एक कंपनी में काम करने का प्रस्ताव लेकर आया..और दोनों भाइयों ने निश्चय किया कि हम मिलकर दुकान के अलावा एक और काम शुरू करते है..जब जब चेतन की इंजीनियरिंग कॉलेज में छुट्टियां होती वो भाई भाभी के पास आ जाता दोनों भाई दिन में दुकान पर बैढते थे और जब जब भी समय मिलता वो नए काम काम को बढ़ाने का प्रयास करते..शुरुआत में लोगों ने उन्हें नकार दिया..उनका मजाक बनाया.. लेकिन किशन और चेतन एक बात समझ चुके थे कि यदि अपनी कहानी किसी को सुनानी है तो पहले हीरो बनना पड़ेगा.. जीरो को सुनना कोई पसंद नहीं करता है..उन्होंने सीखना शुरू किया..सीखते गए..करते गए.. इस बीच चेतन की पढ़ाई पुरी हुई और शादी भी हो गई..वो अपनी नौकरी की वजह से दुसरे शहर चला गया..
अब किशन अपने परिवार के साथ एक शहर में चेतन अपने परिवार के साथ दुसरे शहर में और माताजी पिताजी गाँव में…
समय कहाँ रुकने वाला था..किशन भी अपनी गति से चल रहा था..परंतु किशन को एक बात मन ही मन में हमेशा कचोटती रहती थी कि जीवन में वो वह काम नहीं कर पाया जो उसका और उसके पिताजी का सपना था..वो काम तो कर रहा था..पैसे भी कमा रहा था..लेकिन उसका सपना अधुरा रह गया था..वो अंतर्मुखी व्यवहार की वजह से कभी अपनी मन की बात किसी को कह नहीं पाता था..इसी बात को लेकर अक्सर किशन और राधा की आपस में नोंक झोंक हो जाया करती थी..दोनों फिर एक दुसरे को मनाते थे ..
समय की रफ्तार के आगे किसकी चली है..अब किशन और राधा का परिवार में एक और सदस्य बढ़ चुका था..प्रेम.. राजा का छोटा भाई.. किशन ने घर की सारी जिम्मेदारियां अपने ऊपर ले ली थी..राधा उसका साथ दे रही थी..और दोनों अपने सपनों के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे थे..उधर चेतन और उसकी पत्नी दमयंती भी नौकरी छोड़कर अपना कारोबार करने लगे थे..उनके भी दो बच्चें हो गए थे..तीनों बहने अपने अपने घर परिवार में खुशहाल जिंदगी जी रही थी..माताजी पिताजी अब गाँव छोड़कर कभी चेतन के पास तो कभी किशन के पास रहने लगे थे..समय गुजरता गया
राजा अब बड़ा हो गया था..और आज पुरा परिवार बहुत खुश था..आज राजा का प्री मेडिकल का रिजल्ट आया.. राजा बहुत अच्छे नम्बरों से select हो गया था..आज किशन बहुत खुश था और उसे और राधा को अपने राजा पर गर्व हो रहा था भाई प्रेम भी बहुत खुश हो रहा था..और परिवार में हर सदस्य किशन राधा और राजा को बधाइयाँ दे रहे थे..और क्यों नहीं आज राजा की वजह से किशन और उसके पिताजी का सपना पुरा हो गया था
किशन के जीवन में आज फिर एक बहुत बड़ा दिन आया है..जिस कंपनी का काम किशन और चेतन ने मिलकर शुरू किया था..आज पुरा परिवार उसमें रम गया था..आज किशन और राधा उस कंपनी में सर्वोच्च पद पर पहुँच गए है..और आज उनका शहर के सबसे बड़े स्टेडियम में सम्मान होने वाला है..इनडोर स्टेडियम के बाहर लम्बी कतार लगी हुई है अंदर आने वालों की..अंदर एक तरफ शानदार लाइटों से स्टेज सज़ा हुआ है और …आखिर इंतजार की घड़ियां समाप्त हुई..अब वो पल आ गया जब स्टेज से किशन और राधा का नाम पुकारा जाता है..काले रंग के सूट में किशन और लाल रंग के लंबे डिज़ाइनर गाऊन में राधा दोनों आज बहुत खूबसूरत लग रहे है..खचाखच भरे हॉल में सीटियां बज रही है लोग फोटो ले रहे है..आवाज कर रहे है..राधा-किशन, राधा-किशन…
किशन और राधा के खुशी के आंसू थम नहीं रहे है..किशन का सपना था डॉक्टर बनना ,आज बहुत सारे डॉक्टर उस हॉल में मौजूद है जो किशन को सुनने आये है, दोनों अपने मन को काबू करने का नाकाम प्रयास कर रहे है..लोग उनकी सफलता की कहानी सुनने को बेताब हो रहे है..बहुत ही मुश्किल से अपनी आवाज को संभालते हुए किशन और राधा आत्मविश्वास से अपनी कहानी सुनाते है..पुरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा है..
आयोजको से निवेदन करके किशन और राधा अपने बच्चों और माताजी पिताजी को स्टेज पर बुलाते है..पुरा हॉल अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है परिवार के सम्मान में और किशन के पिता को दो शब्द कहने के लिए कहा जाता है..किशन के पिता अपने आंसू रोक नही पाते है..वो बहुत कुछ बोलना चाहते है लेकिन बोल नही पा रहे है..वो सिर्फ इतना बोलते है कि “मुझे अपने बच्चों पर गर्व है”..और काँपते हाथों से माइक किशन को थमा देते है और किशन भीड़ की तरफ रुख करके बोलता है..दोस्तों.. “अपने सपनों को कभी मरने मत देना..” सपनों के पीछे लगे रहना एक दिन ऐसा आएगा जब आपके माता पिता आप को बिना कहे बहुत कुछ कह जाएंगे.. जैसे आज मुझे अपने परिवार का एक एक सदस्य कह रहा है..हमें आप पर गर्व है..एक दिन आप स्टेज पर होंगे और आपका परिवार कह रहा होगा.. “हमें आप पर गर्व है..” सामने तकरीबन 10हजार लोंगो की भीड़ में पहलीं कतार में खड़े चेतन, दमयंती और तीनों बहनों के परिवार खड़े तालियाँ बजा रहे है..और चेतन और दमयंती ये सोच कर खुश हो रहे है कि अगला नाम उनका पुकारा जाने वाला है..!
समाप्त
क्या आपके घर में भी कोई किशन बड़ा हो रहा है..?क्या आपके यहाँ भी कोई चेतन है..?क्या आप भी किसी राधा के माता या पिता है..?क्या आपका राजा भी सपने बुन रहा है..?हजारों डरे सहमे बच्चें गाँवों से शहरों में आते है हर साल उच्च शिक्षा के लिए.. यदि आपका बच्चा भी इनमें से एक है तो एक शिक्षा अपने बच्चे को जरूर देना जो किशन के पिता ने किशन को दी थी कि चाहे जो हो जाय “ईमानदारी और सपनों को कभी दामन थामे रखना, एक दिन समय तुम्हारा होगा..और लोग तुम्हारे जैसा बनना चाहेंगे”
– Name : Praveen Kumar jain
– Email : campraveenpriya@gmail.com