“गणगौर” अर्थात ‘गण’ यानि ‘शिव’ और ‘गौर’ यानि ‘पार्वती’ |
राजस्थान में मनाया जाने वाला पर्व गणगौर बहुत ही मनभावन और रंग बिरंगा पर्व है | इस पर्व को महिलाएं बहुत ही उत्साह से मनाती हैं | यह पर्व विशेष रूप से सुन्दर वैवाहिक जीवन की कामना को लेकर मनाया जाता है | इस पर्व को राजस्थान से अन्य राज्यों में पलायन कर गए लोग भी मनाते हैं | होली के अगले दिन से ही इस पर्व को मनाने की तैयारी शुरू कर दी जाती है | होलिका दहन के पश्चात बची राख को महिलाएं अगली सुबह एकत्रित कर उससे सोलह पिंडियाँ(राख में पानी मिलाकर मुठ्ठी से बाँधा जाता है) बनाई जाती हैं जो पूजन प्रक्रिया में काम में आती हैं | होली के सोलहवें दिन इस पर्व को पूरे धूमधाम से एवं विधि विधान से मनाया जाता है | सुहाग के प्रतीक इस पर्व को अनेकों कथाओं से जोड़ा गया है किन्तु सबसे बड़ी बात यही है कि अच्छे वैवाहिक जीवन की कामना लिए महिलाएं और युवतियां इस पर्व को सदियों से मनाती चली आई हैं |
दो शब्दों से बना है एक शब्द “गणगौर” अर्थात ‘गण’ यानि ‘शिव’ और ‘गौर’ यानि ‘पार्वती’ | प्रभु शिव और माता पार्वती के वैवाहिक प्रेम को दर्शाता यह पर्व महिलाओं को अत्यंत प्रिय है | इस दिन सिर्फ विवाहित महिलाएं ही नहीं बल्कि नवयुवतियां भी उपवास रखती हैं | विवाहित महिलाएं प्रभु शिव और माता पार्वती से सुन्दर और लम्बे वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं और नवयुवतियां अपने लिए एक अच्छे वर की कामना करते हुए इस पर्व को मनाती हैं |
यह पर्व लगभग चौदह दिन तक चलता है | महिलाएं एकत्रित होकर शिव पार्वती के गुणगान करते हुए गीत गाती हैं | प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर सभी क्रियाओं से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर महिलाएं और युवतियां अपने सिर पर लोटा रखकर बगीचों में जाती हैं और वहां से ताजा पानी भरकर उसमें हरी दूब और फूल रखकर लोटा सिर पर लिये हुए ही गीत गाते हुए घर की ओर आती हैं | सारे घर में इस जल से छिड़काव करके मिट्टी से चौकोर वेदी बनाकर केसर,चन्दन और कपूर लगाती हैं | फिर शिव पार्वती की प्रतिमाओं की स्थापना करके उनकी पूजा की जाती है | कन्याएं दीवार पर कुमकुम, मेहँदी और काजल की सोलह सोलह बिंदियाँ लगाती हैं | ये तीनों चीजें सुहाग की प्रतीक मानी जाती हैं | एक दूसरे को शिव पार्वती के प्रेमपूर्ण वैवाहिक जीवन की कथाएँ सुनाते हुए सभी भक्ति भाव से अभिभूत हो जाती हैं |
अनेकों व्यंजनों को मोहल्ले की महिलाएं एक साथ मिलकर बनाती हैं | पूजन सामग्री के तौर पर प्रयोग किये जाने वाले व्यंजनों में बेसन की पूरियां, खीर,मीठे पकोड़े, मैदे और बेसन की पपड़ियाँ आलू की सब्जी और आटे से बना हलवा होता है | मैदा और बेसन की पपड़ियों को एक दूसरे के घर में बांटना भी परंपरा का हिस्सा है |