नेकटाई का इतिहास
टाई (NECK TIE)
करीने से सिला हुआ कपड़े का एक लम्बा टुकड़ा जिसे गले में शर्ट की कालर के नीचे बाँधा जाता है, टाई के नाम से जग में मशहूर है | इसे बाँधने के लिए अलग अलग प्रकार की गांठें होती हैं | यह ज्यादातर पुरुषों के परिधान का हिस्सा है, महिलाएं भी इसे ख़ास यूनिफ़ॉर्म के हिस्से के रूप में पहनती हैं और कुछ स्कूलों में भी यूनिफ़ॉर्म के साथ टाई का चलन होता है |
Origin of टाई
टाई की शुरुआत 1618 से 1648 के मध्य हुई थी | क्रोएशिया के लोगों ने अपनी फ्रेंच सर्विस के दौरान अपने पारंपरिक रूमालों/स्कार्फ को गले में बांधना शुरू किया था | स्कार्फ बाँधने की कला ने फ्रेंच लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था | क्रोएशियन शब्द Croats, Hrvati और फ्रेंच शब्द Croates में ज्यादा अंतर नहीं होने के वजह से इस स्कार्फ का नाम Cravat पड़ा | फ्रांस के नन्हे राजा Louis XIV ने 7 साल की उम्र में लेस से बने Cravat को 1646 में पहनना शुरू कर एक फैशन की शुरुआत करी | यह फैशन यूरोप में आग की तरह फैला और हर कोई इस तरह के कपड़े अपने गले में बाँधने लगा | इन Cravats को गले में बंधा रखने के लिए cravat strings को बो(bow) की तरह बाँधा जाता था | क्रोएशिया में इंटरनेशनल टाई दिवस 18Oct. को मनाया जाता है|
आधुनिक टाई
तब से लेकर अब तक टाई ने कई रूप बदले | First World War के पश्चात हाथ से पेंट करी हुई टाई का प्रचलन हुआ जिनकी चौड़ाई 4.5 इंच हुआ करती थी | इस किस्म की टाई 1950 तक चलन में रही | Second World War के समय आज के मुकाबले छोटी टाई का चलन था | मगर 1944 के आसपास टाई ना सिर्फ चौड़ी होती गई बल्कि काफी हद तक चटकीली और डिज़ाइनदार भी | 21वीं सदी के शुरुआत में टाई 3 ½ से 3 ¾ इंच चौड़ी हो गई और उसमें कई डिज़ाइन भी मिलने लगे | लम्बाई 57 इंच या उससे ज्यादा भी रखी जाने लगी | 2009 में टाई के चौड़ाई कुछ कम करी गई |
टाई को कई तरह की गांठों द्वारा बाँधा जाता है और फैशन के आगमन ने टाई-पिन का भी निर्माण किया जो सोने-चांदी के एवं रत्नों से सज्जित भी होते हैं | टाई बांधना एक कला है, यह हर कोई आसानी से नहीं बाँध पाता, ठीक वैसे ही जैसे हमारे राजस्थान में पगड़ी बांधना एक कला है | टाई को ज्यादा कस कर नहीं बांधना चाहिए क्योंकि इसकी गाँठ बिलकुल गले के बीचों बीच की हड्डी पर आती है और कसने से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है |