चाय पीने का नशा
एक छोटी सी बात मन के भी तर कभी कभी इस तरह समाती है कि कलम पर उंगलियों की पकड़ मज़बूतब हो जाती है | एक ऐसी ही घटना ने मुझे नशे से सम्बंधित कुछ शब्द लिखने का मौका दे दिया | ” इस बात का मेरे मुंह से निकलना था कि यह एक लज़ीज़ भोजन की तरह परोसने का ज़रिया बन गया | तो चलिए कुछ इस तरह पेश करते हैं हम अपनी बात – दारू पीकर तो इंसान बहकने लगता है …
अपनी खुद की कही हुई बात भूल जाता है …पीने की मना ही नहीं है …पीयो मगर बहक कर ऊल- जुलूल हरकतें करने को नहीं , हीं बल्कि हलके फुल्के मज़े के लिए पीयो | अपने अन्दर छुपे हुनर को बाहर निकालना और उससे अपनी पहचा न बनाना -यही ज़िन्दगी है| नशा चाय से भी होता है| बहुत से लोग बिना चाय के तड़पने लगते हैं, जैसे ही चाय हलक से नीचे उतरती है उनकी ऊर्जा का जवाब नहीं होता | नशा तो देशभक्ति का भी होता है…अपने देश के लिए मर मिटने का नशा क्या होता है यह हम सभी जानते हैं| अपनों की कद्र करना , उनकी देखभाल करना और उन्हें खुश रखने की भा वना रखना भी नशा है| नशा विचारों का भी होता है, किसी चीज़ को पाने का भी नशा होता है, एक जूनून होता है जो इंसान को हर प्रकार की हिम्मत देता है| फिर लोग सिर्फ दारू की बात क्यों करते हैं!!
खुली हवा में सांस लो , लम्बी सांस लो और अपने खुद के बारे में सोचो | हम क्या नहीं कर सकते| ज़िन्दगी झूम कर जीयो मगर बिना पीये झूम लो , दोस्तों !! हमारे अन्दर ज़िन्दगी जीने का सही जज़्बा हो तो यही एक नशा बन जाता है| खुल के जीयो और जीने दो ,इससे बेहतर क्या होगा !! पीना और जीना …उफ़्फ़ लोग इसी बात को एकमात्र सत्य मानते हैं| “नशे में कौन नहीं है मुझे बताओ ज़रा ” शायर को शायरी के लिए पीने की ज़रूरत नहीं …
उसको तो मोहब्बत की खूबसूरती का नशा होता है, ठीक वैसे से ही माली को फूल खिलाने और बगिया सजाने का नशा होता है| नशे की बात करें तो सुकून का नशा भी जबरदस्त होता है हर कोई सुकून की तलाश में है पर कितने लोग इसे पाते हैं यह तय कर पा ना बहुत मुश्किल है| कोई तोरा होगी जो सुकून दिलाएगी मगर कौ नसी ? पैसे सेकीचा इतनी ज्यादा है कि सुकून ख़त्म हो चुका है| आज कोई भी शान्ति से नहीं बैठता , सब अलग ही गणित में लगे हैं, दारु के नशे में सुकून तलाशते हैं| यह भी तो सोचो , दोस्तों से हंसी मज़ाक करके पुराने अच्छे दिन याद करके कितना अच्छा लगता है| दोस्ती का नशा अपना लो , अपनी तना व भरी ज़िन्दगी से राहत पाने का नशा अपना लो | भूल जाओ कि पैसा सब कुछ है, हैबस यह याद रखो कि पैसा चीज़ें खरीद सकता है मन की शान्ति नहीं |
सच ही तो कहा गया है कि पैसा मिलता है मगर यार नहीं तो तुम गरीब हो , और अगर हर वक़्त साथ देने वाले यार दोस्त हैं तो तुम अमीर हो | पैसे से दारू का नशा तो मिल जाएगा मगर अमन चैन से मिलने वाली अच्छी सेहत का नशा कहीं नहीं मिलेगा | ऐसा काम हम क्यों करें जो हमसे हमारी शान्ति छीन ले? ले बरसात में भी गने का नशा , किसी की बातें याद करने का नशा , अच्छीयादों के सहारे जीने का नशा ,घनी ज़ुल्फ़ों के साये का नशा , उफ़ ये शायरों के मस्त अंदाज़ …इनमें डूब जाने का नशा ,संगीत की लहरें हो या समुन्दर की …इनको छू कर पाने का नशा , अँधेरे से निकल कर रोशनी के एहसास का नशा , किसी की चाहत को पाने का नशा और अपने या उसके शायरा ना अंदाज़ पर हंसने से होने वाला नशा , काश कोई समझे कि दुनिया खुद एक नशे की बोतल है और उस नशे को ढूंढने का नशा ….
क्या क्या बताएं हम उन्हें जो