December 3, 2024
Inspirational Story

बांसवाड़ा का जनसंहार – राजस्थान का “जलियांवाला बाग”

17 नवम्बर 1913 को बांसवाड़ा साक्षी रहा था एक ऐसे जनसंहार का जिसमें 1500 आदिवासी लोगों पर गोलियां दागी गई थी जिसमें से 329 मारे गए थे | ये जनसंहार अंग्रेजों द्वारा किया गया था | इस जनसंहार को राजस्थान का “जलियांवाला बाग” कहा जाता है | ये आदिवासी मानगढ़ की चोटी पर एकत्रित हुए थे जो कि राजथान-गुजरात सीमा पर है | सभी आदिवासी अपने नेता गोविन्द गुरु से प्रेरित होकर अंग्रेजों को देश से बाहर फेंकने के इरादे से एकत्रित हुए थे | गोविन्द गुरु ने स्वामी दयान्द सरस्वती से प्रेरित होकर “भीलों का भगत आन्दोलन” चलाया था जिसमें समस्त भीलों से शाकाहारी होने और समस्त प्रकार के नशे से दूर रहने की शपथ ली गई थी | यह आन्दोलन धीरे धीरे अंग्रेजों से खिलाफ़त करते हुए राजनीतिक मोड़ लेने लगा और अंग्रेजों द्वारा लगाये गए करों का विरोध किया जाने लगा | इस आन्दोलन से घबराकर अंग्रेजों ने इसे दबाने का निश्चय किया | गोविन्द गुरु अपने दल को मानगढ़ पर एकत्रित होकर अपने आन्दोलन को सक्रिय करने में लगे थे | अंग्रेजों ने उनसे मानगढ़ की पहाड़ी छोड़ने के लिए कहा जिसके लिए आदिवासियों ने मना कर दिया | तब 17 नवम्बर को अंग्रेजों ने मेजर एस. बेली और कैप्टेन ई.स्टाइली के कहने पर तोपों और बंदूकों से हमला बोल दिया | आंकड़ों को अभी तक सत्यापित नहीं किया जा सका है किन्तु वहां के लोगों के अनुसार लगभग 2500 लोग मारे गए थे | गोविन्द गुरु को पकड़ कर उस इलाके से बाहर निकाल दिया था | इस जगह को आज मानगढ़ धाम के नाम से जाना जाता है |

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