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जैसा की हम सब जानते है की त्यौहार का मौसम चल रहा है और सभी लोग व्रत करते है ! अब सवाल ये उठता है की व्रत कैसे करे ? क्या सिर्फ भूखे पेट रहना ही व्रत है ? क्या शरीर को कष्ट देना व्रत है ?

आइये जानते है की मैं क्या सोचता हूँ व्रत के बारे में !

खाने पीने की चीज़ो से दूरी बनाना व्रत का नियम है जिसे सभी लोग जानते है और मानते है , पर क्या सिर्फ भोज्य पदार्थो से दूरी बना लेने से व्रत सफल हो जायेगा ?

व्रत का असल मतलब है संयम और नियंत्रण .

अब किस बात का संयम और किस पर नियंत्रण ?

सिर्फ शरीर को कष्ट देना और भूखे रहने से कभी व्रत सफल नहीं हो सकता . अगर सही अर्थ में व्रत करना है तो नीचे दिए बिन्दुओ पर गौर करे और उन को अनुसरण करने का प्रयास करे , जिस दिन आप इन सभी चीज़ो को करने में सफल होंगे तभी आप का व्रत सही मायने में सफल होगा .

१) भोज्य पदार्थो से दूरी बनाये पर सर्वथा भूखे न रहे इस तरह से आप अपने शरीर को कष्ट दे कर मानसिक संताप को निमंत्रण दे रहे है , भोजन न करे पर फल, जूस, शिकंजी इत्यादि का सेवन करे ताकि आपके पेट में अम्लीय तरल का उत्पादन न हो .

२) वाणी पर संयम बनाये रखे किसी पर क्रोध करना या अपशब्द कहना वैसे तो आम जीवन में भी नहीं करना चाहिए पर व्रत के दिन में इस बात का ख़ास ध्यान रखे की आप के शब्दों से किसी को भी ठेस न पहुंचे .

३) झूठ न बोले , जैसा की हम आम तौर पर करते है की छोटी छोटी बातो पर झूठ का सहारा ले कर टालमटोल करते है, तो वैसे तो झूठ को ज़िन्दगी में से ही निकाल बाहर करना चाहिए पर व्रत के दिन में इस बात का विशेष ध्यान रखे की मुँह से एक भी झूठ न निकले .

४) क्रोध न करे , छोटी छोटी बातो पर झल्लाना , चिड़चिड़ाना आज कल बहुत ही आम बात हो गयी है और हमने इसे आम जीवन का हिस्सा बना लिया है , इस आदत से बहार निकले और व्रत के दिन विशेष ध्यान रख कर अपने क्रोध पर नियंत्रण करे .

५) मन पर नियंत्रण , जैसा की हम सभी जानते है की हमारा मन एक बन्दर की तरह है , हमेशा उछलता कूदता रहता है कभी इस पेड़ पर कभी उस शाख पर , तो इस प्रवृत्ति पर रोक लगाना भी एक सफल व्रत के लिए उत्तम मंत्र है .

६) व्रत के दिन किसी की भूख प्यास ख़तम करने का साधन बने , चाहे वो मनुष्य हो अथवा पशु पक्षी या पेड़ पौधे हो.

७) व्रत के दिन भूल से भी किसी को पीड़ा / कष्ट न पहुचाये चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक , अपना कार्य स्व्यं करे और दूसरो को भी इस के लिए प्रेरित करे .

८) अच्छे और धार्मिक साहित्य का अध्यन करे .

अगर आप ने ऊपर दिए कार्य व्रत के दिन करने शुरू कर दिए तो मैं आप को यकीन दिला कर बोलता हु की कुछ ही व्रत के बाद आप इन सभी चीज़ो का महत्व समझने लगेंगे और कुछ ही समय में ये सभी सद्कार्य आप की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन जायेंगे और आप के आस पास के लोग परिवार और समाज में आप एक प्रियजन बन जायेंगे जिन के बिना किसी भी आयोजन को सिद्ध करना मुश्किल होगा .मुझे ज्ञात है की मैंने जो विधि बताई है वो आप को कोई और नहीं बताएगा और इस में कई लोग विरोध भी कर सकते है पर आप भी कर के देखिये वास्तव में फर्क दिखेगा.

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Weddings are always one of the most special days in a person’s life and he or she gives it his or her best shot to make this day the most memorable one and perfect. In recent times, a destination wedding is a hit idea for a beautiful fairy tale wedding.

According to Magic Lights, when it comes to a destination wedding in India, Udaipur, a city in the state of Rajasthan is always amongst the top preferences. There are many reasons to love the city and pick it for your perfect destination wedding.

Some of those reasons are listed below.

  1. NATURAL SCENIC BEAUTY
    The city is mesmerizing and full of natural landscape beauty with serene peaceful lakes around, mountains, and an amazing climate to make your special day. In all the wedding preparations, decorations, and everything, the scenic beauty is like a cherry on top. All the wedding pictures have different vibrance and joy to them owing to such a beautiful backdrop. The atmosphere of the city is so serene, peaceful and has romance and love all in the air which is perfect for an ideal wedding.
  2. ROYALNESS
    The city of Udaipur is a place of rich heritage and culture. It imbibes strong royal vibes and carries the legacy of rich royalty and rich historic past from generations to generations. This royal touch to the wedding is the icing on the cake that adds to the elegance, class and grace to the wedding and the arrangements. There are many royal palaces, forts and resorts that are culturally rich where the weddings and the rituals or ceremonies can take place.
  3. LUXURIOUS ACCOMMODATIONS
    Keeping in mind the royalty of the city, there are many resorts and hotels that have opened up that offer luxurious accommodation and logistics to the host couple. They are tightly integrated with the traditional heritage along with all the modern facilities available. These resorts and hotels take care of accommodations, logistics, decorations, music, and also provide a core team to help the host with all the preparations. They are usually situated strategically so that the local market is easily accessible but also keeping close to the scenic beauty that the city is known for.
  4. GOOD CONNECTIVITY OF THE CITY
    Udaipur city is situated in a very good location as it has good connectivity with the rest of the country. It has airports, road transport options as well as all other major transports available to make the logistics and traveling easy and well-manageable for the hosts and their esteemed guests. All the major cities of the country like Jaipur, Ahmedabad, Delhi, Mumbai, Chennai, Hyderabad, etc. are all well-connected to the city. The resorts and the hotels are also connected well with local markets making the last minute wedding shopping easy.
  5. GOOD WEATHER
    The Udaipur city is also known for its good weather conditions. Unexpected rains, extreme heat or cold are a big turn off in a wedding but that is not a problem to be worried about in Udaipur. It has a pleasant climate owing to nature that surrounds it. It is an ideal condition for a wedding with a pleasant sun in the day and cool relaxing breezes in the evening. And the monsoons are just surreal and magical.
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अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में (WOMEN OF SUBSTANCE-2020) का भव्य आयोजन होटल रेडिसन में दिनांक 07.03.2020 को अरावली फाउण्डेशन की तरफ से किया गया कार्यक्रम के सहप्रायोजक आर.के. आई.वी.एफ. एवं बी.एन.आई उदयपुर थे, कार्यक्रम में वन टू आॅल एवं पाश्र्व कला का भी सहयोग रहा कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शकुंतला सरूप्रिया ने किया।

कार्यक्रम के शुभआरम्भ में मुख्य अतिथि डाॅ. आनंद गुप्ता, डाॅ. तरूण अग्रवाल एवं अनिल छाजेड ने दिप प्रज्वलन कर किया इसके पश्चात अलपेश लोढा ने फुलो के गुलदस्ते एवं मुमेंटो देकर स्वागत किया। कार्यक्रम के स्वागत भाषण में डाॅ. तरूण अग्रवाल ने सभी अतिथियो एवं विजेताओ का स्वागत किया तथा आभार प्रकट किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. आनंद गुप्ता ने महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिलाओ के योगदान की सराहना की तथा वर्तमान परिपेक्ष में पुरूषो के साथ

कंधे से कंधे मिलाकर हर क्षेत्र में उनके योगदान की महत्वता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर उन्होने सम्मानित होने वाली महिलाओ के विशिष्ट कार्यो पर प्रकाश डाला तथा इस तरह के कार्यक्रमो की जरूरतो पर बल दिया।

इस कार्यक्रम में सम्मानित होने वाली महिलाओ में विनिता बोहरा (आई.ए.एस), शाकुंतलम की डाॅ. शकुंतला पवांर, सी.पी.एस स्कूल की अलका शर्मा,महिला सृमद्धि बैंक की पुष्पा सिंह, एडवोकेट रागिनी शर्मा, विख्यात कवयत्री एवं साहित्यकार विमला भण्डारी, श्रीमती कहानी भाणावत महता, किरण खतरी, शिखा सकसेना, लाडकवंर लौहार, एनिमल एड की एरीका इब्राहिम, ब्रहमाकुम्हारी की रिटा बेहन, कत्थक आश्रम की चंद्रकला चैधरी, योगा क्षैत्र में शुभा सुराणा, दैनिक भास्कर की निवेदिता मनीष, घुमोसा की सुरभी जैन, रक्षा राकेश, बेडमिंटन खिलाडी माया चावत, जी.डी. गोयनका स्कूल की प्रियंका शर्मा, सरला मुंदडा, विजय लक्ष्मी गलुंण्डीया, प्यारी रावत, मनिषा भटनागर, सरिता सुनारिया, सुरभी ढिंग, आई.आई.एम उदयपुर की शानु लोढा, कला आश्रम की सरोज शर्मा, शिखा पुरोहित, एवं डाॅ. रीतू महता मुख्य रही।

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डिस्टिंग्विश टोस्टमास्टर्स व कॉंटेस्ट चीफ़ जज सोनिया केसवानी की अगुवाई में आज रविवार को विज्ञान समिति, अशोक नगर में उदयपुर टोस्टमास्टर्स क्लब के इंटर्नैशनल स्पीच कॉंटेस्ट चेयरपर्सन विधि गर्ग व टेबल टॉपिक कॉंटेस्ट चेयरपर्सन विष्णु शंकर शर्मा के सहयोग से सफल आयोजन हुआ ।

सोनिया केसवानी ने बताया कि इंटर्नैशनल स्पीच कॉंटेस्ट के विजेता ताहिर लुक्कावाला व फ़र्स्ट रनरअप विकास माहेश्वरी, इंटर्नैशनल टेबल टॉपिक कॉंटेस्ट के विजेता ताहिर लुक्कावाला, फ़र्स्ट रनरअप शानू लोढ़ा व सेकंड रनरअप विकास माहेश्वरी रहे ।

 

 

उदयपुर टोस्टमास्टर्स क्लब, कम्युनिटी क्लब, विश्व व्याप्त टोस्टमास्टर्स इंटरनेशनल का एक हिस्सा है जो मेम्बर्ज़ में कम्युनिकेशन, लीडरशिप और पब्लिक स्पीकिंग को प्रभावी बनाता है।

उदयपुर में टोस्टमास्टर्स क्लब के इन्स्टिटूशनल क्लब आईआईएम उदयपुर और टेक्नो एनजेआर कॉलेज में भी चल रहे हे।

Entertainment

निरोगी राजस्थान अभियान के तहत चल रहे कार्यक्रमों में रविवार को विशेष जागरुकता कार्यक्रम हुआ | जिला प्रशासन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा दक्ष डांस एकेडमी के संयुक्त तत्वावधान नृत्य, फैशन शो, फैंसी ड्रेस, मैजिक शो व प्रशनोत्तरी प्रतियोगिता हुई | जादूगर राजतिलक ने मैजिक के जरिये ‘पहला सुख निरोगी काया’ का संदेश दिया |

प्रशनोत्तरी में सही जवाब देने वाले प्रतिभागियों को सीएमएचओ डॉ. दिनेश खराड़ी, अभियान प्रभारी डॉ. मनीष सिंह चौधरी एवं एनसीडी नोडल अधिकारी डॉ. विकास अहारी ने पुरस्कृत किया । देशभक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुतियां भी दी गई ।

फैंसी ड्रेस में स्वाइन फ्लु, कोरोना वायरस बनकर इससे बचने, जागरूक रहने व स्वच्छता रहने का संदेश दिया । ईधर, हेल्थ एजुकेटर्स को एचआइवी एड्स विषयक प्रशीक्षण सीएमएचओ खराड़ी एवं डिप्ती सीएमएचओ डॉ. राघवेन्द्र राय ने देते हुए इसके दुष्परिणाम, बचने के उपाय एवं इलाज की जानकारी दी |

कार्यक्रम में निदेशक सुमित कटारिया ने आगे भी ऐसे कार्यक्रम करते रहने का वादा किया, कार्यक्रम का ऑनलाइन आउटरीच पार्टनर one2all था

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लेकसिटी के विभिन्न चौराहों पर पीले रंग की ड्रेस में ट्रैफिक कंट्रोल करते नजर आ रहे ये युवा अब ट्रैफिक वोलेंटियर के रूप में अपनी पहचान रखते हे, उदयपुर जिला पुलिस की यातायात शाखा ने यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए नवाचार करते हुए विद्यार्थियों को ट्रैफिक वोलेंटियर बनाने की योजना तैयार की हे | इस अनूठी योजना में ट्रायल के तोर पर डॉ अनुष्का ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूट को चुना गया हे . जिसमे अनुष्का ग्रुप के कॉलेज एवं कोचिंग के तीस छात्र – छात्राओ को पहले चरण में वोलेंटियर बनाया गया हे.
आज इसकी विधिवत शुरुआत हुई जिसमे एएसपी गोपाल स्वरुप मेवाडा ने भी बच्चो को टिप्स देकर यातायात सुधारने के लिए बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित किया. शुरुआती दोर में अनुष्का ग्रुप के छात्र छात्राए वोलेंटियर के रूप में शहर के प्रमुख चौराहों देहली गेट, चेतक सर्किल, कोर्ट चौराहा, कुम्हारों का भट्टा एवं सेवाश्रम चौराहे पर अपने अपने समयानुसार खड़े होंगे. आज पुलिस के आलाधिकारियो ने इन सभी वोलेंटियर को चौराहे पर तैनात किया और पुलिस कर्मियों से उन्हें ट्रेंड करने को कहा हे. ट्रैफिक पुलिस ने ओड़िसा के भुवनेश्वर में इस योजना की सफलता से प्रेरित होकर उदयपुर में भी इसके प्रयोग पर विचार किया हे, ऐसे में ट्रायल के दोरान वोलेंटियर के उत्साह, आमजन का रेस्पोंस और ट्रैफिक व्यवस्था का फीडबैक लेकर इसे बड़े स्तर पर शुरू करने की भी योजना बनाई गयी हे.
अनुष्का ग्रुप के वोलेंटियर बनाये गए इन स्टूडेंट्स में भी खाश उत्साह देखा जा रहा हे और ये चौराहे पर तैनातगी के बाद बिलकुल उसी तरह कम करते नजर आ रहे जैसे कोई ट्रैफिक पुलिस का जवान यातायात व्यवस्था बनाये रखने के लिए तैनात हो. इन्हें चौराहे पर पहले व्यवस्थाये बनाये रखने के लिए ट्रेनिंग दी गयी हे और उसी के आधार पर कार्य करने के लिए समझाया भी गया हे. अनुष्का ग्रुप के संस्थापक डॉ. एस एस सुराणा ने कहा की सभी विद्यार्थियो को एक एक विशेल भी दी गयी हे जिससे यातायात को सुचारू रूप से रख सके एवं यातायात को कंट्रोल करने में आसानी हो. इन वोलंटियर की पहचान के लिए इन्हें पीले रंग की ड्रेस पहनाई हे और उसपर स्टूडेंट ट्रैफिक वोलेंटियर लिखवाया गया हे, ताकि वहां चालक इनके द्वारा समझाने पर इनके साथ सुव्यवस्था बनाने में मदद कर सके . इस अवसर पर यातायत उप अधीक्षक सुश्री सुधा पालावत एवं नेत्रपाल सिंह के साथ साथ अनुष्का ग्रुप के निदेशक राजीव सुराणा , अध्यापक एवं स्टाफ भी उपस्थित थे .
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एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी जैसलमेर से 128 k.m. पहले भादरिया गाँव(पोकरण तहसील) में स्थित है | भादरिया माता मंदिर के नीचे बनी इस लाइब्रेरी में लगभग 4000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है | हर साल लाइब्रेरी के रख-रखाव में 7 से 8 लाख रूपये खर्च होते हैं | 562 कांच के स्लाइडर शेल्फ वाली अलमारी में करीब 9 लाख से ऊपर किताबें हैं | ज्यादातर किताबें हिंदी में हैं जिनमें अधिकतर पुरातन हिंदी ग्रन्थ हैं | यहाँ पर कई तरह की atlas, अनेकों भाषाओं की dictionaries और भारतीय इतिहास से सम्बन्धित किताबें भी हैं |

जमीन से 16 फीट नीचे (underground) बनी यह लाइब्रेरी अनेकों विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के आकर्षण का केंद्र है जो अक्सर यहाँ आते रहते हैं | पर्यटकों में भी इस लाइब्रेरी का ख़ासा आकर्षण है |

इस लाइब्रेरी के जनक यहाँ पर रहने वाले संत श्री भादरिया महाराज थे | ये मूलतः पंजाब के रहने वाले थे और इनका असली नाम हरबंश सिंह निर्मल था | स्वभाव से अपने नाम स्वरुप निर्मल इन संत पुरुष ने अनेकों जगहों से किताबें एकत्रित कर इस लाइब्रेरी का निर्माण किया था जिसे पूर्ण होने में 2 साल लगे थे |

यह लाइब्रेरी अन्दर से बेहद साफ़ सुथरी है और किताबें इतने करीने से लगी हुई हैं कि उन्हें छूने में भी डर लगे| रख-रखाव करने वाले पूरी तन्मयता और भक्ति से इन किताबों की देखभाल करते हैं | मुख्य सड़क से भादरिया माता मंदिर तक जाने वाली सड़क भी बहुत अच्छी है जिसका निरीक्षण मंदिर परिसर में रहने वाले लोग एवं अन्य कर्मचारी समय समय पर करते रहते हैं |

लाइब्रेरी कब बनी थी, यह तारीख ज्ञात नहीं किन्तु इसे बने 25 साल से ऊपर हो चुके हैं |

Inspirational Story

17 नवम्बर 1913 को बांसवाड़ा साक्षी रहा था एक ऐसे जनसंहार का जिसमें 1500 आदिवासी लोगों पर गोलियां दागी गई थी जिसमें से 329 मारे गए थे | ये जनसंहार अंग्रेजों द्वारा किया गया था | इस जनसंहार को राजस्थान का “जलियांवाला बाग” कहा जाता है | ये आदिवासी मानगढ़ की चोटी पर एकत्रित हुए थे जो कि राजथान-गुजरात सीमा पर है | सभी आदिवासी अपने नेता गोविन्द गुरु से प्रेरित होकर अंग्रेजों को देश से बाहर फेंकने के इरादे से एकत्रित हुए थे | गोविन्द गुरु ने स्वामी दयान्द सरस्वती से प्रेरित होकर “भीलों का भगत आन्दोलन” चलाया था जिसमें समस्त भीलों से शाकाहारी होने और समस्त प्रकार के नशे से दूर रहने की शपथ ली गई थी | यह आन्दोलन धीरे धीरे अंग्रेजों से खिलाफ़त करते हुए राजनीतिक मोड़ लेने लगा और अंग्रेजों द्वारा लगाये गए करों का विरोध किया जाने लगा | इस आन्दोलन से घबराकर अंग्रेजों ने इसे दबाने का निश्चय किया | गोविन्द गुरु अपने दल को मानगढ़ पर एकत्रित होकर अपने आन्दोलन को सक्रिय करने में लगे थे | अंग्रेजों ने उनसे मानगढ़ की पहाड़ी छोड़ने के लिए कहा जिसके लिए आदिवासियों ने मना कर दिया | तब 17 नवम्बर को अंग्रेजों ने मेजर एस. बेली और कैप्टेन ई.स्टाइली के कहने पर तोपों और बंदूकों से हमला बोल दिया | आंकड़ों को अभी तक सत्यापित नहीं किया जा सका है किन्तु वहां के लोगों के अनुसार लगभग 2500 लोग मारे गए थे | गोविन्द गुरु को पकड़ कर उस इलाके से बाहर निकाल दिया था | इस जगह को आज मानगढ़ धाम के नाम से जाना जाता है |

Tradition

Mandana paintings are wall and floor paintings of Rajasthan and Madhya Pradesh. Mandana is drawn to protect home and hearth, welcome gods into the house and as a mark of celebrations on festive occasions.

Village women in the Sawai Madhopur area of Rajasthan possess the skill for developing designs of perfect symmetry and accuracy. The art is typically passed on from mother to daughter and uses white khariya or chalk solution and geru or red ochre. They use twigs to draw on the floors and walls of their houses, which are first plastered with clay mixed with cow dung. More tools employed are a piece of cotton, a tuft of hair, or a rudimentary brush made out of a date stick. The design may show Ganesha, peacocks, women at work, tigers, floral motifs, etc.

In the Meena villages of Rajasthan women paint not just the walls and floors of their own homes to mark festivals and the passing seasons, but public and communal areas as well, working together and never leaving individual signatures.

Famed for warding off evil and acting as a good luck charm, the tribal paintings are derived from the word ‘Mandan’ referring to decoration and beautification and comprises simple geometric forms like triangles, squares, and circles to decorate houses.

Though Mandana art has seen a drastic drop in visibility and has less of takers among villagers due to the rise in the number of concrete houses, the art still holds the rustic charm, and its paintings adorn walls of patrons. According to experts in the Mandana art form, the traditionally drawn designs bear architectural and scientific significance.