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प्रयाग गिरि महाराज ने तपस्या की, वो जगह कहलाती है धूणी: महाराणा प्रताप ने शुरू की थी धूणी दर्शन की परंपरा, उदयपुर सिटी पैलेस के हैं अंदर।

विश्वराज ने 40 साल बाद सिटी-पैलेस में किए धूणी दर्शन, सुबह किए एकलिंगजी के दर्शन

उदयपुर के पूर्व राजपरिवार में राजतिलक की रस्मों को लेकर छिड़ा विवाद अब खत्म हो गया है। परंपरानुसार राजतिलक की रस्म के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ बुधवार शाम करीब 6:30 बजे सिटी पैलेस में धूणी दर्शन किए।

विश्वराज सिंह मेवाड़ के साथ सलूंबर के देवव्रत सिंह रावत, रणधीर सिंह भींडर, बड़ी सादड़ी राज राणा समेत 5 लोग धूणी दर्शन करने पहुंचे।

धूणी दर्शन के बाद एकलिंगजी मंदिर के दर्शन करने होते है। जिस धूणी को लेकर विवाद हुआ। उसका इतिहास क्या है और क्यों राजतिलक की रस्म के बाद धूणी के दर्शन करना जरूरी है। इस बारे में मेवाड़ जन संस्थान के संयोजक प्रताप सिंह झाला ‘तलावदा’ से जानकारी ली। वहीं एकलिंगजी के दर्शन करने की परंपरा के बारे में भी जाना।

पहाड़ी के बीच तपस्या करते मिले थे साधु —
चित्तौड़गढ़ के किले में दो बार जौहर होने के कारण तत्कालीन महाराणा उदय सिंह ने माना था कि ये राजधानी सुरक्षित नहीं है। उन्होंने सुरक्षा को लेकर पर्वतों से घिरी मेवाड़ की नई राजधानी बनाने तय किया। इसके लिए वे लंबे समय तक पहाड़ों में घूमे थे।

वर्तमान में जहां सिटी पैलेस हैं, वहां की पहाड़ियों उन्हें सही लगी। वे पहाड़ी के ऊपर पहुंचे। वहां एक साधु तपस्या करते हुए नजर आए। साधु ने उदय सिंह से पूछा कि आप किस वजह से यहां आए हैं। उदय सिंह ने बताया कि वे नई राजधानी के लिए जगह तलाशने आए हैं।

वह साधु प्रयाग गिरि महाराज थे। उन्होंने उदय सिंह को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए आशीर्वाद दिया और बोले कि इस धूणी को बीच में लेकर राज महलों का निर्माण शुरू करो। यहां से तुम्हारी सत्ता कायम रहेगी। इसके बाद महाराणा उदय सिंह ने 1553 ईस्वी में 15 अप्रैल अक्षय तृतीया के दिन इन राज महलों की नींव रखी, जो आज सिटी पैलेस के नाम से जाना जाता है।

प्रयागगिरि महाराज की तपस्या वाली जगह कहलाती धूणी
सिटी पैलेस के बीच में आज भी वह धूणी कायम है। बता दें कि यह धूणी वही है, जहां साधु प्रयाग गिरि महाराज तपस्या कर रहे थे। उन्होंने बताया कि हजारों सालों से यह परंपरा चली आ रही है कि कोई भी राजा राजतिलक होने के बाद सबसे पहले इसी धूणी के दर्शन करता है। उसके बाद वह भगवान एकलिंग नाथ के दर्शन के लिए पहुंचता है। धूणी दर्शन की परंपरा महाराणा प्रताप से शुरू होती है।
यह परंपरा महाराणा प्रताप के समय से शुरू हुई जो अब तक जारी है। उन्होंने बताया कि इससे पहले दिवंगत पूर्व सांसद और पूर्व महाराणा महेंद्र सिंह मेवाड़ का भी राजतिलक सिटी पैलेस प्रांगण में हुआ था, फिर उसी धूणी के उन्होंने दर्शन किए थे।

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 विगत दिनों सेन्ट एंथोनी स्कूल में आयोजित अन्तविद्यालयी स्केटिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इस प्रतियोगिता में रॉकवुडस हाई स्कूल के विद्यार्थियों का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा और संस्था का गौरव  बढ़ाया।

प्राचार्या श्रीमती अंजला शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि रॉकवुडस हाई स्कूल के विद्यार्थियों ने अंडर – 7 से 9 वर्ष की आयु वर्ग में निवृति वाई परमार कक्षा तीन ने रजत पदक, अंडर – 11 से 14 वर्ष की आयु वर्ग में सौमिल कक्षा छः ने स्वर्ण पदक, समीधा दादासो दलवी कक्षा सात ने रजत पदक, रिधम मेहता कक्षा आठवीं ने स्वर्ण पदक व निर्मन्यु सिंह चैहान कक्षा नवीं ने कांस्य पदक हासिल किए।

इस अवसर पर संस्था निदेशक श्रीमान् दीपक शर्मा ने विजेता विद्यार्थियों को बधाई प्रेषित की।

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राजस्थान में तपती धूप में भी व्यापार करने के लिए गाँव वालों को अकसर गाँव-गाँव शहर-शहर जाना पड़ता है| अब धूप हो तो प्यास तो लगेगी ही | जब वाटर कैम्पर या मिल्टन टाइप की बोतल का चलन नहीं था, तब भी ऐसी एक चीज़ थी जो पानी को ठंडा रखती थी | नहीं, हम सुराही की बात नहीं कर रहे | सुराही को तो सफर में ले जाना संभव नहीं, टूटने का डर जो रहता है |

पानी को ठंडा रखने के लिए जो चीज़ काम में आती थी उसे स्थानीय भाषा में छागल कहा जाता है | छागल बनाने के लिए चमड़े का या मोटे कैनवास नुमा कपड़े का इस्तेमाल किया जाता था | ये आज भी चलन में हैं | अक्सर फौजी लोग जो रेगिस्तान में ऊँट की सवारी करते हुए इधर उधर जाते हैं, वे छागल में ही पानी भरके ले जाते हैं |

छागल में पानी उतना ही ठंडा या नार्मल टेम्परेचर पर रहता है जितना किसी भी आम मिट्टी के घड़े में | जब पानी ख़त्म हुआ, किसी टाँके से पानी भरा और बढ़े चले सफर पर | एक रस्सी के साथ छागल को ऊँट की गर्दन से लटका दिया जाता है | लू के थपेड़ों का भी असर नहीं होता पानी के तापमान पर | 

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कहाँ गए वो दिन…कुछ यादें

वो मेरा बचपन था | आज भी जब गाँव के लोगों को सर पर लकड़ी तोकते देखती हूँ, तो याद आता है कि ऐसी लकड़ियों की तलाश हमको भी रहती थी जब हम बच्चे थे | अच्छी लकड़ी ढूंढ कर के उसको छीलना, उसके एक कोने को नुकीला करना और एक छोटा टुकड़ा लेकर उससे गिल्ली बनाना … याद आया न आपको भी बचपन का वो गिल्ली-डंडा | आज तो जगह ही नहीं बची इस खेल को खेलने के लिए | अब फुर्सत भी कहाँ है किसी के पास कि बच्चों के लिए हम गिल्ली और डंडा तैयार कर के दें | 

कल ही कहीं से आवाज़ आ रही थी …टिन के डब्बों की | बाहर जाकर देखने की जिज्ञासा को रोक नहीं पाई, फिर से बचपन जो याद आ गया था | गाँव का एक बच्चा या शायद किसी मजदूर का बच्चा गधे की पीठ पर बैठा तेज़ी से गधों को हांकता ले जा रहा था | गधों की पीठ पर ईटें लदी हुई थीं और जिस गधे पर वो खुद बैठा था उसपर टिन के कई खाली डब्बे बंधे थे | डब्बों की वो टन-टन किसी संगीत से कम नहीं थी और मन को भा रही थी… बचपन में डब्बे बजा-बजा कर खेलते जो थे | आजकल तो नए-नवेले म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स होते हैं मगर वो मजा नहीं क्योंकि अपनेपन का एहसास तो हमारे बचपन में था | बिना खर्चे का संगीत हर समय हमारे पास उपलब्ध रहता था |

दरअसल ये लिखते लिखते मंदिर की आरती भी बहुत याद आई जो अब कम जगहों पर ही होती है ना ना… आरती होती तो है मगर उस आरती की बात ही कुछ और थी | वो नगाड़ों की धमक, वो घंटियों की आवाज़, वो अगरबत्तियों की महक अब नहीं मिलती हर जगह | अब तो आरती भी इलेक्ट्रॉनिक साज़ों से होती है | नगाड़ों की धमक में खो जाने को दिल करता था और सही मायनों में पूजा का एहसास, ईश्वर के आगे नतमस्तक होने का एहसास और वो ख़ास प्रसाद जिसमें नारियल की चटक, चना-गुड़ और देसी गुलाब की पत्तियाँ होती थी…आह!हा!! क्या आनंद था उन सबमें |

मिट्टी की सोंधी-सोंधी खुशबू तो सभी को लुभाती है मगर उस गुज़रे ज़माने की मिट्टी की बात ही कुछ और थी… वो मिट्टी में खेलना, लिपे-पुते घर में घुसने पर डांट खाना और हिदायतें मिलती थीं कि पहले बाहर नल पर या बगीचे में लगे पाइप से हाथ-पैर धो कर आओ फिर अन्दर घुसना | अब तो हर पल इन्फेक्शन का डर सताता है और अब मिट्टी भी अपनी वो सोंधी खुशबू खो चुकी है या फिर अब सोंधेपन की उम्र को प्रदूषण ने छोटा कर दिया है |

कहाँ गए वो दिन… जो मेरे अपने थे और जब सब मेरे अपने थे | अब न वो दिन हैं, ना ही वो अपनापन … अब सुरक्षा का ध्यान रखना पड़ता है और तब बारिश में नहाना तो पूरे मोहल्ले का काम था | ज़माना गुज़र गया, शराफ़त ताक में गई, मेरी मिट्टी अब घायल है, मन उद्विग्न है… मोहल्ला पराया है और ज़मीनों पर तेज़ दौड़ती गाड़ियों का हक है … मेरा क्या है … बस मेरी यादें मेरी हैं और कुछ नहीं |
 

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जयपुर की मीनाकारी बहुत प्रसिद्द है | मीनाकारी हमेशा से सभी को अपनी ओर आकर्षित करती रही है |
मीनाकारी की खूबसूरती ने हर किसी के मन में सवाल भी उठाएं है कि आखिर ये है क्या ? हमने जब इसके
बारे में पढ़ना शुरू किया तो बहुत ही मजेदार तथ्य पता चले जो हम यहाँ आपको बता रहे हैं |
फ़ारसी भाषा में मीना यानि आकाश का नीला रंग |

इरानी कारीगरों ने इस कला की खोज करी और मंगोलों ने इसे भारत और दूसरे देशों तक पहुँचाया | एक फ्रेंचपर्यटक, जो कि ईरान घूमने गए थे, ने नीले,हरे,लाल औरपीले रंगों में बने पक्षियों और जानवरों का ज़िक्र किया है जो कि तामचीनी के बने हुए थे | मीनाकारी के काममें स्वर्ण का भी इस्तेमाल पारंपरिक तौर पर किया जाता है क्योंकि इसकी तामचीनी यानि enamel work परअच्छी पकड़ होती है और इससे enamel की चमक उभर कर आती है |

कुछ समय के बाद चांदी का भी प्रयोगकिया जाने लगा जो डब्बे, चम्मच और दूसरी कलात्मक वस्तुएं बनाने के काम में आने लगा | इन सबके बादजब स्वर्ण पर रोक लगने लगी तो ताम्बे का प्रयोग किया जाने लगा | शुरू में मीनाकारी के काम को ज्यादातवज्जो नहीं मिली क्योंकि इसका प्रयोग सिर्फ कुंदन या बेशकीमती रत्नों के गहने बनाने के लिए होता था |इतिहास के हिसाब से मीनाकार सुनार जाति से सम्बंधित हैं और इन्होंने मीनाकार या वर्मा नाम से पहचानबनाई |

मीनाकारी का कार्य वंश के हिसाब से चलता रहता है और ऐसा बहुत कम होता है कि मीनाकार लोगअपने हुनर की जानकारी किसी और को दें | मीनाकारी की वस्तुएं बनाने का क्रम बहुत लम्बा और गहन होताहै और इसे कई कुशल हाथों से गुजरना होता है | मीनाकारी सिर्फ गहने तक सीमित नहीं है, इससे कई सजावटकी वस्तुएं भी बनाई जाती हैं |

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In the previous several decades, India’s non-governmental organisations have grown and strengthened as a result of their good work. Only a handful of them, however, have had an influence on society, and others are still hard at work and supporting the community. Despite being surrounded by all of our country’s problems, it lacks openness and has a high rate of corruption. Some of the top ngo in udaipur have reached a point where the Indian community recognises their work, while others wish to go further.

This blog provides comprehensive information on the list of best ngo in Udaipur, including how they are making a positive impact on society by performing outstanding work in India. They will provide comprehensive information on NGOs and how they may reach the highest levels of government.

Top 10 Ngo In Udaipur

Before we go into knowing the Top NGO in Udaipur, there are a few things to know about these organisations.

What is an NGO?

A non-governmental organisation (NGO) is an association in which the government plays no role. Others with a lot of money or a lot of business support people through non-profit organisations. Non-governmental organisations (NGOs) are a subset of organisations founded by people, such as local organisations that provide services to its members and others; an organisation dedicated to societal welfare. The best ngo in rajasthan performs a variety of social services, including providing shelter for widowed women, teaching destitute orphans, and safeguarding women.

An Overview

NGO Non-Governmental Organisation
Types of NGO Trust Act of 1882

Society Act of 1860

Section 8 Act 2013

Tax Benefits 80G, 12AA
FCRA Foreign Contribution (Regulation) Act 2010
Work Areas Education, Health, Environment, Agriculture, Women’s and Child, Sports, Old Age etc.
Working All over INDIA
Orientation Charities, Service, Participation, Empowerment

List Of  Top NGO In Udaipur

  • Narayan Seva Sansthan

Narayan Seva Sansthan was founded in 1985 in Udaipur with the goal of satisfying the objectives, ambitions, and wishes of the differently abled. Later, they were able to develop a network of NGOs with 480 branches around the country and 49 branches abroad. They’ve helped over 3, 33,427 individuals for free, and they’ve been operating various comprehensive initiatives on a regular basis since then.

Website – https://www.narayanseva.org/

Areas of Work:

Total Operation of Differently Abled, Aids and Appliances, Skill Development, Food & Cloth Distribution, Free Treatment, Operation of Differently Abled

  • Seva Mandir

Seva Mandir has been undertaking numerous development programmes for more than 45 years, focusing on giving employment to women and children in several undeveloped villages in Rajasthan. Gender Equality and Education for All are two important social concerns they advocate. Currently, they employ around 360,000 people.

Areas of Work:

Education & Literacy, Land Resources, Environment & Forests, Agriculture, Women’s Development & Empowerment, Children, Health & Family Welfare, Water Resources

Annapurna Seva Sansthan is a charitable organisation that helps the destitute and hungry. Especially for persons who, on a daily basis, work long hours and are unable to provide food for their family, primarily women and children from slum regions. We operate similarly to a bank, acting as a middleman between the supplier and the seeker. It is one of the best NGO in Rajasthan to donate and do charity in.

Areas of Work:

Food & Cloth Distribution, Medical & Healthcare, Family Welfare, Animal Aid & Help, Covid-19 Welfare

  • Animal Aid Unlimited

It is yet another amazing project that began in Udaipur in 2002 with the goal of treating wounded or ill street animals. The organisation’s major goal was to give animal equality because stray animals were prone to abuse and violence, which resulted in their unhappiness. They’ve rescued and rehabilitated over 65,000 stray animals so far. Any frail animal in need of medical attention can be reported to the hotline numbers listed below.

Areas of Work:

Rescue Animals, Hospital and Medical Care, Spay & Neuter, Sanctuary, Outreach and Education, Cruelty Response, Training Programmes

    • Robin Hood Army

A community of largely students and young working professionals with a mission to help those who are hungry and unable to buy a healthy meal. Starvation is the leading cause of death in India; a kid dies of hunger every 10 seconds. They hold surplus food drives at regular intervals, with the help of willing restaurants eager to donate excess food. The Robin Hood Army calls each volunteer a ‘Robin,’ and there are currently over 16542 Robins serving in over 77 cities, serving over 6473564 individuals.

Website – https://robinhoodarmy.com/

Areas of Work:

Volunteering, Food Distribution, Cloth & Shelter, Education and Empowerment, Medical Relief, Covid-19 Plasma Warriors

  • Alakh Nayan Mandir

The major goal of Alakh Nayan Mandir is to provide long-term eye treatment to patients regardless of their socioeconomic level. There are a number of eye patients who cannot afford the most basic eye care procedures; Alakh Nayan is a godsend for these patients since they give free eye treatment to those in need. They also participate in the National Program to Control Blindness and run a number of community awareness activities to educate people about eye diseases.

Areas if Work:

Adult Comprehensive Eye Care, Free Diagnostic investigations, Child Eye Care, Door To Door Services, Free Eye Checkup Camps, Free Cataract Surgery to Needy, Etc.

  • Rajasthan Bal Kalyan Samiti

They work towards the community’s holistic development. Their initiative has benefitted about 30000 indigenous households. RBKS has educated 17800 youngsters via its education centres and organisations. They’ve helped over 8500 households improve their livelihoods via agriculture and horticulture. Nearly 5275 students have been enrolled in college, and around 300 families have benefited from their Cash Crop and Vegetable Promotion.

Areas of Work:

Child development, improved livelihoods, eradicating poverty, rural development, management of natural resources, skill development, agricultural and livestock management, the establishment of drinking water sources, microcredit, and so on.

  • Pukaar Org.

Pukaar: Voice of Earth, founded in November 2013, is a non-profit organisation made up of young kids who dream of a pollution-free Earth and seek to safeguard the environment and make the world a better place. Until January 2018, the group had spent 190 Sundays reviving plants in over 20 public parks. Pukaar’s long-term goal is to empower rural India by promoting social entrepreneurship and assisting farmers in adopting Organic Farming practises and other productivity-enhancing measures.

Areas of Work:

Social Entrepreneurship, Teaching Organic Farming Techniques, Youth & Urban Knowledge Production, Urbanism, Healthy Cities Wealthy Cities

  • Foster Care India

Foster Care India seeks to empower current systems and increase their capacity. Foster care and kinship care are promoted as best practices for vulnerable children and protection in their vision, ‘Every child’s right to a family.’ They provide family maintenance, foster care, adoption, and rehabilitation services for children who are in need of safety and treatment in order to teach them what it means to be a part of a family.

Areas of Work:

Family Maintenance, Foster Care, Adoption, Rehab Services for Children, etc.

  • Development Action Awareness Nationwide: D.A.A.N. Foundation

The DAAN Foundation is dedicated to problems of awareness and education. Their focus is on youth ages 4 to 15 years old on themes such as gender, sexual reproductive health, age-related changes in the body, and other social concerns such as caste, religion, and gender. The group aims to educate children in these areas so that they may become self-sufficient adults with a greater grasp of these challenges. Positive aspiration, positive assertiveness, and positive change are among their goals.

Areas of Work:

Providing Education for: gender, sexual reproductive health, age-related changes in the body, and other social concerns such as caste, religion, and gender, etc.

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Weddings are always one of the most special days in a person’s life and he or she gives it his or her best shot to make this day the most memorable one and perfect. In recent times, a destination wedding is a hit idea for a beautiful fairy tale wedding.

According to Magic Lights, when it comes to a destination wedding in India, Udaipur, a city in the state of Rajasthan is always amongst the top preferences. There are many reasons to love the city and pick it for your perfect destination wedding.

Some of those reasons are listed below.

  1. NATURAL SCENIC BEAUTY
    The city is mesmerizing and full of natural landscape beauty with serene peaceful lakes around, mountains, and an amazing climate to make your special day. In all the wedding preparations, decorations, and everything, the scenic beauty is like a cherry on top. All the wedding pictures have different vibrance and joy to them owing to such a beautiful backdrop. The atmosphere of the city is so serene, peaceful and has romance and love all in the air which is perfect for an ideal wedding.
  2. ROYALNESS
    The city of Udaipur is a place of rich heritage and culture. It imbibes strong royal vibes and carries the legacy of rich royalty and rich historic past from generations to generations. This royal touch to the wedding is the icing on the cake that adds to the elegance, class and grace to the wedding and the arrangements. There are many royal palaces, forts and resorts that are culturally rich where the weddings and the rituals or ceremonies can take place.
  3. LUXURIOUS ACCOMMODATIONS
    Keeping in mind the royalty of the city, there are many resorts and hotels that have opened up that offer luxurious accommodation and logistics to the host couple. They are tightly integrated with the traditional heritage along with all the modern facilities available. These resorts and hotels take care of accommodations, logistics, decorations, music, and also provide a core team to help the host with all the preparations. They are usually situated strategically so that the local market is easily accessible but also keeping close to the scenic beauty that the city is known for.
  4. GOOD CONNECTIVITY OF THE CITY
    Udaipur city is situated in a very good location as it has good connectivity with the rest of the country. It has airports, road transport options as well as all other major transports available to make the logistics and traveling easy and well-manageable for the hosts and their esteemed guests. All the major cities of the country like Jaipur, Ahmedabad, Delhi, Mumbai, Chennai, Hyderabad, etc. are all well-connected to the city. The resorts and the hotels are also connected well with local markets making the last minute wedding shopping easy.
  5. GOOD WEATHER
    The Udaipur city is also known for its good weather conditions. Unexpected rains, extreme heat or cold are a big turn off in a wedding but that is not a problem to be worried about in Udaipur. It has a pleasant climate owing to nature that surrounds it. It is an ideal condition for a wedding with a pleasant sun in the day and cool relaxing breezes in the evening. And the monsoons are just surreal and magical.
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एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी जैसलमेर से 128 k.m. पहले भादरिया गाँव(पोकरण तहसील) में स्थित है | भादरिया माता मंदिर के नीचे बनी इस लाइब्रेरी में लगभग 4000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है | हर साल लाइब्रेरी के रख-रखाव में 7 से 8 लाख रूपये खर्च होते हैं | 562 कांच के स्लाइडर शेल्फ वाली अलमारी में करीब 9 लाख से ऊपर किताबें हैं | ज्यादातर किताबें हिंदी में हैं जिनमें अधिकतर पुरातन हिंदी ग्रन्थ हैं | यहाँ पर कई तरह की atlas, अनेकों भाषाओं की dictionaries और भारतीय इतिहास से सम्बन्धित किताबें भी हैं |

जमीन से 16 फीट नीचे (underground) बनी यह लाइब्रेरी अनेकों विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के आकर्षण का केंद्र है जो अक्सर यहाँ आते रहते हैं | पर्यटकों में भी इस लाइब्रेरी का ख़ासा आकर्षण है |

इस लाइब्रेरी के जनक यहाँ पर रहने वाले संत श्री भादरिया महाराज थे | ये मूलतः पंजाब के रहने वाले थे और इनका असली नाम हरबंश सिंह निर्मल था | स्वभाव से अपने नाम स्वरुप निर्मल इन संत पुरुष ने अनेकों जगहों से किताबें एकत्रित कर इस लाइब्रेरी का निर्माण किया था जिसे पूर्ण होने में 2 साल लगे थे |

यह लाइब्रेरी अन्दर से बेहद साफ़ सुथरी है और किताबें इतने करीने से लगी हुई हैं कि उन्हें छूने में भी डर लगे| रख-रखाव करने वाले पूरी तन्मयता और भक्ति से इन किताबों की देखभाल करते हैं | मुख्य सड़क से भादरिया माता मंदिर तक जाने वाली सड़क भी बहुत अच्छी है जिसका निरीक्षण मंदिर परिसर में रहने वाले लोग एवं अन्य कर्मचारी समय समय पर करते रहते हैं |

लाइब्रेरी कब बनी थी, यह तारीख ज्ञात नहीं किन्तु इसे बने 25 साल से ऊपर हो चुके हैं |

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आज दुनिया को लीडर्स की जरूरत है। लीडर परिवार का प्रमुख होता है, टीम के कोच बनते हैं, व्यवसाय चलाते हैं और दूसरों को सलाह देते हैं। इन लीडर को न केवल सफल होना चाहिए बल्कि उन्हें दूसरों के साथ अपनी सफलता की कहानियों को सही ढंग से संवाद करना भी आना चाहिए। निरंतर संबोधन देने, प्रतिक्रिया प्राप्त करने, टीमों का नेतृत्व करने और दूसरों को सहायक वातावरण में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मार्गदर्शन देकर, सच्चे लीडर्स बनना कैसे सम्भव होगा। उक्त विचार टोस्टमास्टर्स इंटरनेशनल द्वारा आयोजित प्रदेश के पहले कार्यक्रम”कन्वर्जेन्स19″ में सामने आये। रविवार को शहर के आर एन टी मेडिकल कॉलेज सभागार में आयोजित सेमिनार में मैनेजमेंट गुरु और अरावली ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के निदेशक डॉ आनंद गुप्ता ने जीवन में होने वाले आमूलचूल परिवर्तन और प्रबंध कौशल के गुर बताएं। उन्होंने जीवन के 20 – 20 कॉन्सेप्ट पर शरीर को स्वस्थ रखने के लिए फिजिकल मूवमेंट, वाकिंग, जॉगिंग, रनिंग,प्राणायाम,योगा, जिम जाने की सलाह दी। स्ट्रेस मैनेजमेंट, डाइट,स्ट्रेस,एक्सरसाइज से प्रबन्ध में प्रबल बनानें के गुर सिखाए। ऑथर डीटीएम अयान पाल ने क्रिएटिव राइटिंग द्वारा इमोशनल आउटलेट, आत्मविश्वास बढ़ाने,सोच को विकसित करने, नेतृत्व को बढ़ाने जैसे गुर सिखाएं। कार्यक्रम में श्रेयांश भण्डारी ,राहुल भटनागर ने भी अपने उदगार व्यक्त किये। कार्यक्रम संयोजक डीटीएम सोनिया केसवानी ने बताया कि प्रत्येक टोस्टमास्टर की यात्रा एक भाषण से शुरू होती है। यह उनकी यात्रा के दौरान है वे अपनी कहानियों को बताना सीखते हैं। वे सुनते हैं और जवाब देते हैं; योजना बनाते हैं और लीड करते हैं और प्रतिक्रिया देते हैं और इसे स्वीकार करते हैं। अपने साथियों के सहयोग से, वे स्वयं के लिए नेतृत्व का मार्ग तैयार करते हैं। टोस्टमास्टर्स का प्रमुख लक्ष्य व्यक्तियों को अधिक प्रभावी संवाददाता और लीडर बनने के लिए सशक्त बनाना है। कार्यक्रम में शहर के प्रमुख कॉलेज और विद्यालयों के छात्रों ने शिरकत की। कार्यक्रम में आयोजित ह्यूमरस स्पीच कॉन्टेस्ट में मनदीप सपरा विजेता रहे, सैंथिल कुमार फर्स्ट रनर अप और गौरव माहेश्वरी सैकंड रनर अप रहे, एवेलुएशन स्पीच कॉन्टेस्ट में कुणाल आडवाणी विजेता रहे,आकांक्षा देशवाल फर्स्ट रनरअप और अमित गिल्दिया सैकंड रनर अप रहे। कार्यक्रम के दौरान डीटीएम जैनिफर घोष, डीटीएम मुकेश कुलोरिया,नितेश गुप्ता, सिद्धार्थ बलासरिया, डॉ आर एस व्यास,राजेश भाटिया, विनोद लोहार सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे। कार्यक्रम में सिक्योर मीटर्स, टेक्नो एन जी आर कॉलेज, पायरोटेक इंडस्ट्रीज़, 18 कलर्स प्रोडक्शन हाउस, ई कनेक्ट ने मुख्य सहयोग रहा।

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One2all टीम का चुनावी हल्का फुल्का विश्लेषण

आखिर नगर निगम के चुनाव परिणाम आ गए, पिछले कुछ दिनों से शहर की तंग गलियों से सोश्यल मिडिया तक खूब हो हल्ला हुआ, सभी ने अपना दम भरा लेकिन लोकतंत्र में जनादेश से बड़ा कोई सानी नहीं

जैसा की हमने पहले ग्रुप में एक पोल भी करवाया तो और कई लोगों ने समर्थन किया था की इस बार चुनाव दिलचस्प होने वाले हैं और सुबह जब शुरू की 10 सीटों का परिणाम आया तब लग रहा था की वाकई कांटे की टक्कर होगी, हालाँकि पिछली बार के मुकाबले बीजेपी को वो परिणाम नहीं मिले परन्तु बोर्ड बीजेपी का बन रहा हैं क्योंकि बहुतमत के लिए 35 सीटें चाहिए और बीजेपी के खाते में उससे ज्यादा है

कई बड़े नेताओं की हार तो कुछ नए चेहरों की जीत ने सभी को चौकाया भी, दोनों प्रमुख पार्टियों के अलावा आम आदमी पार्टी, CPI, उदयपुर जनहित मोर्चा, उदयपुर बदलाव दल ने भी अपना भाग्य आजमाया तो कई बागी भी निर्दलीय के रूप में खड़े हुए, हर कोई अपना बोर्ड बनाने का दावा कर रहा था, सोश्यल मिडिया के कई वीरों ने तो ऐसा माहौल बनाया था की अगर उनकी प्रोफाइल 10 मिनट स्क्रोल कर लो तो लगता था मानो सारी की सारी सीट्स यही ले जाएँगें l

स्मार्ट सिटी के चलते जो जनता को असुविधा हुई उसकी झलक इन परिणामों में उदयपुर शहर में देखने को मिली तो कईयों की जमानतें भी जप्त हुई, खैर सोश्यल मिडिया के दम पर चुनाव लड़े और जीते नहीं जाते यह एक बार फिर साबित हुआ, व्यहवार, संपर्क और धरातल पर रह कर काम करने वालों की जीत हुई, हॉर्स ट्रेडिंग में फायदा कमाने के सपने देखने वालों के सपने चकनाचूर हुए, कई आज जश्न में डूबे हैं तो कई हार पर मंथन कर रहे हैं वही कई लोग भूमिगत से हो गए हैं l

बाड़े बंदी से लेकर जातिगत समीकरण, हाथ पाँव जोड़ने से लेकर चाय नाश्ता सब हुआ, मतदान भी कम हुआ जिसका नुक्सान भी देखने को मिला ऐसे में one2all का चुनावी चूं चूं सीरिज भी खूब लोकप्रिय रहा खैर जो जीते हैं वो आज कल में आशीर्वाद लेने आयेंगे, उन्हे जी भर कर कर देख लीजियेगा, उन्हें कहियेगा की सोश्यल मिडिया या मोबाईल के माध्यम से आपके संपर्क में रहे वरना फिर कहेंगें की शकल नहीं दिखाई, तो बंदोबस्त पूरा रखियेगा जाने नहीं देना बिना नंबर लिए l

खैर अब सब की निगाहें महापौर एवं उपमहापौर पर टिकी है, हमने हमारे फेसबुक ग्रुप एवं WhatsApp ग्रुप्स में लेटेस्ट अपडेट्स देने की पूरी कोशिश की जिसके लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से काम करने वाली टीम और हमारे विश्वस्त सूत्र सभी का दिल से धन्यवाद

सभी जीतने वालों को बधाई और अन्य प्रत्याशियों को भविष्य के लिए शुभकामनाएँ