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क्या आप नहीं चाहते कि आपका बच्चा किताबों से हटकर भी कुछ सीखे ? असल में आजकल बच्चे किताबों में इतना ज्यादा घुस गए हैं कि सही प्रैक्टिकल नॉलेज तो इन्हें मिल ही नहीं पाती | और क्या ये किताबी ज्ञान जीवन को गहराई से समझने के लिए काफी है ? नहीं, आज की पीढ़ी को और बहुत कुछ जानना समझना है और उन सब बातों के लिए सिर्फ किताबी ज्ञान काफी नहीं है | “Alternative schooling” इन सब बातों का हल है | प्रचलित पढ़ाई के तरीकों से हटकर जो शिक्षा दी जाती है उसे “Alternative schooling” कहते हैं | यह पद्यति हमारे देश के लिए नई नहीं है | शिक्षा के वैदिक और गुरुकुल तरीके इस का उदाहरण हैं |

आजकल स्कूल में पढ़ाई के एक क्रमबद्ध तरीके को अपनाया हुआ है | कोर्स की किताबों के अलावा ज्यादा कुछ अनुभव नहीं कर पाते हैं आजकल के विद्यार्थी | इसी के चलते कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहाँ “Alternative schooling” को अपनाया गया है | वैदिक और गुरुकुल काल में विद्यार्थियों को खुले आसमान के नीचे प्रकृति के बीच शिक्षा दी जाती थी | यह सिर्फ मान्यता नहीं बल्कि एक सच्चाई है कि खुले वातावरण में इन्सान का दिमाग ज्यादा अच्छी तरह से सोच पाता है | हम आपको कुछ ऐसे विद्यालयों के बारे में बताते हैं जहाँ बच्चों का मानसिक विकास किताब और प्रकृति के मिलेजुले तरीकों से किया जाता है | अनुभव के आधार पर पाई हुई शिक्षा विद्यार्थियों का सम्पूर्ण मानसिक विकास करती है |

ईशा होम स्कूल – कोयम्बटूर

कोयम्बटूर,तमिलनाडु में है ईशा होम स्कूल | इसकी स्थापना 2005 में सद्गुरु द्वारा की गई थी | सद्गुरु की विचारधारा यह कहती है कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ बच्चे के दिमाग को तेज़ करना नहीं होता, बल्कि पूरी गहराई से जीवन के हर बिंदु को संतुलित करना होता है | इस स्कूल में “घर” और “स्कूल” के बीच तालमेल बैठाकर एक पाठ्यक्रम बनाया गया है जहाँ बच्चा परीक्षा के डर और दबाव से बिलकुल मुक्त है | इस स्कूल के बेहतरीन शिक्षक भी विद्यार्थियों को “Symbiotic learning process” के माध्यम से शिक्षित करते हैं |

SECMOL- लद्धाख

कुछ युवा लद्धाखियों ने अपनी यूनिवर्सिटी की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद Students’ Educational and Cultural Movement of Laddakh(SECMOL) के नाम से यह संस्था खोली | उन्होंने विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा को लेकर कई कठिनाइयों का सामना करते देखा था | उन्होंने ये भी समझा कि ये विद्यार्थी सांस्कृतिक तौर पर काफी कश्मकश में थे और उनका ध्यान केन्द्रित भी नहीं था | अतः सरकारी स्कूलों की शिक्षण पद्यति को सुधारने हेतु उन्होंने 1988 में सिन्धु घाटी में ‘फ़े’ नामक गाँव में यह संस्था खोली | इस संस्था के माध्यम से उन्होंने छात्र-छात्राओं को अधूरी शिक्षा से होने वाले नुक्सान से अवगत कराया | इन बातों को बेहतरीन रूप से समझाने के लिए उन्होंने विडियो, रेडियो प्रोग्राम का सहारा लिया और साथ ही सौर ऊर्जा वाली इको-फ्रेंडली बिल्डिंग का निर्माण कर सभी को जाग्रत किया | उनके द्वारा किये गए शिक्षा सुधारों के अंतर्गत स्थानीय भाषा की किताबें जिससे भाषा की दिक्कत ना हो और अच्छे कुशल अध्यापकों की नियुक्ति भी है जो बच्चों को सही और आसान तरीकों से पढ़ा सकें |

ऋषि वैली स्कूल – आंध्रप्रदेश

यह स्कूल Jiddu Krishnamurthy ने पारंपरिक विषयों के साथ पर्यावरण की सराहना और संरक्षण, कला और संगीत, एथलेटिक्स को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया | उन्होंने अपने जन्म स्थान आंध्रप्रदेश के मदनापल्ली में यह स्कूल खोला | शिक्षा के अलावा कम्युनिटी सर्विस और अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियाँ, विचारों का आदान प्रदान, परिचर्चाएं और क्लब मीटिंग्स भी होती हैं | पुरानी घाटी के रिशिकोंडा पहाड़ियों के नीचे स्थित इस स्कूल का नाम वहां साधना करने वाले ऋषियों को समर्पित है |

शिबुमी स्कूल – बेंगलुरु

यह स्कूल भी Jiddu Krishnamurthy की सोच पर ही आधारित है | यहाँ भी स्वच्छंद वातावरण में सहयोग के आधार पर शिक्षा प्रदान की जाती है | बातचीत और चिंतन के आधार पर स्वयं को समझने की कला पर आधारित यह स्कूल साउथ बेंगलुरु के सोमनाहल्ली गाँव में है |

सहयाद्री स्कूल – पुणे

तिवई हिल पर स्थित यह स्कूल समुद्र से 770 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है | इस स्कूल में होड़ या प्रतियोगिता को प्राथमिकता नहीं दी जाती | यहाँ हर संभव प्रयास किये जाते हैं कि विद्यार्थी हर क्षेत्र में कुशलता हासिल करें और शिक्षक के साथ उनका नजदीकी संपर्क बना रहे | तात्पर्य यह कि आपसी सदभाव, आदर और तालमेल से विद्यार्थियों के लिए सीखने का उचित माहौल बनाया जाता है |

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MIRAMBIKA FREE PROGRESS SCHOOL

यह स्कूल श्री औरोबिन्दो घोष और मदर टेरेसा की दी हुई शिक्षाओं और आधारित है | यह दिल्ली के औरोबिन्दो आश्रम में स्थित है | यहाँ की शिक्षा इस बात पर आधारित है कि हर इंसान का जन्म किसी न किसी तरह के विकास के उद्देश्य से होता है | सबका आदर सम्मान, अनेकता में एकता और अनुशासनपूर्ण स्वतंत्रता इस स्कूल का ध्येय है |

अभया स्कूल, हैदराबाद

हैदराबाद के रंगारेड्डी जिले में जून 2002 में अभया स्कूल की स्थापना हुई थी | बच्चे की आयु के हिसाब से जिस तरह तीन चरणों में विकास होता है और उसी हिसाब से विज्ञान, कला और मानविकी विज्ञान के अनुसार शिक्षा प्रदान करी जाती है | यहाँ माना जाता है कि बुद्धिमता का अर्थ है दिल, दिमाग और हाथों के बीच का सामंजस्य, न कि रटने की क्रिया |

द हेरिटेज स्कूल – गुडगाँव, रोहिणी, वसंत कुञ्ज

हेरिटेज स्कूल में प्रयोगात्मक शिक्षा पर ज़ोर दिया जाता है | अनुशासन पर कोई भी ढील दिए बगैर प्रयोग की स्वतंत्रता के आधार पर स्वयं की रूचि के हिसाब से विषय चुनने की छूट देते हुए यहाँ शिक्षा दी जाती है | यहाँ बच्चे स्व-विश्लेषण करते हुए बहुत कुछ सीखते हैं |

मरुदम फार्म स्कूल – तमिलनाडु

2009 में अलग अलग सामाजिक पृष्ठभूमि वाले कुछ छात्रों और शिक्षकों के एक समूह ने इस स्कूल की स्थापना करी | यहाँ तमिल और अंग्रेजी भाषा में पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं | प्रकृति से गहरे सम्बन्ध बनाते हुए यहाँ के छात्र-छात्राएं वन संरक्षण, आर्गेनिक फार्मिंग करते हैं | यहाँ आर्ट एंड क्राफ्ट, फिजिकल एजुकेशन और खेल-कूद को भी प्राथमिकता दी जाती है |

सेंटर फॉर लर्निंग – बेंगलुरु

सेंटर फॉर लर्निंग विद्यार्थियों के इन्द्रियों और भाषा एवं संख्यात्मक गुणों को निखारने के उद्देश्य से शुरू किया गया था | यहाँ सभी दिशाओं में बच्चों के विकास पर ध्यान दिया जाता है | उनकी रूचि के अनुसार कला, प्रकृति, विचारशील होने की क्षमता, शारीरिक विकास और अनुशासन के आधार पर शिक्षा दी जाती है | हर एक छात्र को उसकी क्षमता के के आधार पर ही आँका जाता है, ज़रूरत से ज्यादा हुनर निखारना या दिमाग के विकास पर ध्यान देना इस संस्था का उद्देश्य नहीं है | यहाँ माना जाता है कि सबकी एक सीमा होती है, उससे ज्यादा कोई भी आगे नहीं बढ़ सकता |

THE SCHOOL, KFI, CHENNAI

Jiddu Krishnamurthy की ही विचारधाराओं और आधारित यह स्कूल 1973 में POES Garden में खोला गया और फिर 1979 में इसे Damodar Gardens of The Theosophical Society में स्थानांतरित कर दिया गया |

 

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A number of people wish to work from home and many wish to have a job where they are not stuck in the office walls. The growth of technology in the modern world has come to rescue for such people. The most amazing point here is that various such options are now available where you can work to your heart’s content. An..these options are not limited to metros or other bigger cities. Even the so called smaller cities are now open to a lot of options where you can start exhibiting your talent and make people buy it. And that is how many start-ups have explored themselves in the initial stage going forward to create a name for themselves.
Freelancing is a term that everyone is aware of nowadays. To move ahead in life by being your own boss, you can now avail the benefits of your talents. All you need to do is BE FIRM. Have the will power to stay undeterred and carry on with your own skills and make a comfortable earning for yourselves.
In the range of freelancing, there are many options. The biggest one or the smallest one, it doesn’t matter. If it is your baby, you need to make it grow. Sometimes you do not need any investment for your own work, but sometimes you may…though to the bare minimum, profits of which can turn out to be multiple than what you invested. You can also start working in your free time at home when once you are done with your routine job, if any. Else if you are looking for something other than a job, then being the master of your field or the bag of talents that you have can be put into action.
The easiest thing as on today seems to be the work of a content writer. Just a few skills and mastering yourself with words, you can earn a comfortable sum while sitting at home. This work is certainly most apt for females. 3 to 4 hours in a day and writing on various topics where internet comes to help, you can transform things in your way and be a blogger. The paid blogging sites keep searching for people who can provide word value to their blog.
The most important point here is that you should not run for the money at the first go. Your talent needs to be explored by yourself first, then obviously you will improvise, then get it forth to the public and see the difference you will make. People sometimes do not want to be told things, they need to be drawn to things like bear to honey. Meaning, you need to polish your skills, make them shine enough to catch people’s eye which will eventually force them to follow you.
You have the choices for content in almost all fields. From needle to sword, nothing would sell if you don’t say what their purpose is. History, culture, education, food, tourism, mannerisms, songs, movies, child-care, home remedies….you think and you have the topic to write.

Image result for content writingNow that you have read this, do we need to say more? You have definitely understood what we are trying to tell you. If you haven’t understood, then probably you haven’t read it well enough. And if you did, then this is what content writing is about!!! The first option in freelancing… content writing.

Image result for photography

Going ahead with options, Photography is never behind, it actually goes hand in hand with your writing. Naturally, there are other fields where you can explore your ‘still-capturing talents’. Each one of us has an eye for beautiful things. The only thing we need to mention here is that “Beauty lies in the eye of the beholder”. Since we all have mobile cameras, we tend to click pictures here and there. Some of them may turn out to be good, some bad, some superb and some breathtakingly superb. All you need to do is search for sites which invite amateur photography and thereafter move ahead with other sites and/or professions once your photographic skills are noticed and appreciated. You may also need lessons on this since the world of photography is much wider than any lens would offer. With the people going hi-tech wanting to capture their memories life-size, working as a photographer covering the most precious moments and arranging them in personalised album creating beautiful memories for a life time, can also be a rewarding option. This includes a view for the right kind of angle for specific occasions and any photographer must know the specific rituals to be captured. Certainly, a little study of traditions helps a lot. Without pain, no gain fits in here and of course it is worth it. Making the simplest of the moment look beautiful is what is required. And as you get deeper into it, your way of ‘viewing’ things changes, bringing forth the beauty of that moment. Through your own clicks, you also add value to your words. And you also put deeper feelings into it. Hence, your choice of being a photographer is most welcome in today’s world both by means of still photography and videography. India is not short of occasions, and with too many rituals and ceremonies going on, everybody needs a photographer.

Image result for graphic designerGraphic Designer – Since the day you are born, you have played around with designs. From the smallest toy to the biggest book, from watching and advertisement and feeling tempted, from wanting to buy a dress to eating the right food….technology has played an important role. You have always been drawn to designs. Just think, a simple black and white newspaper doesn’t attract you the way a banner on the road does. Also, there was a time when you made greeting cards and designed them with your own ideas to suit the occasion. This is also an area where you can test your skills and make a career out of it. This field of Graphic designing which makes a piece of news or even a name look more beautiful is on the rise. Making a simple line appeal to the crowd is the work of a graphic designer. You simply need to think hard, but isn’t that what you have been doing while scratching the ground with a piece of twig? Graphic designing is an area where you combine various ideas regarding one topic and present them in such a way that everyone is drawn to the concept. As a freelance Graphic Designer, you can earn really well as the growing corporate companies who are facing tough competition hire such people to give a new look to their name and make it more expressive than it already is.Image result for advertisementWhen we talk of buying a new dress and our cupboard is already full, we do make up stories to which our parents finally give in. This skill can add a lot to the advertisement world since ads are made to sell a particular product and what can be more appealing than our very own natural thought pattern to make an idea click. The world of advertisements also comes to your rescue when you want to work as freelancer. You need to make your own story to be accepted, your own idea to circulate and when these things combine you actually succeed in selling a company’s product. The advertisement world welcomes new opinions in the cut-throat competition where there are thousands of products coming up each day. Rolling a product in the market is the work of an advertisement designer or creator. There are lots of companies surviving only on the basis of their catchy advertisements. There is enough work in this area which can also be done while sitting at home and at office level both. This is one field which like photography which never ceases to employ people.
Image result for emceeWith all these skills, you display your attitude among people. So to all the people out there who can express themselves loud and through attractive words, the work of an Anchor is a fantastic option. Keeping people stuck to their seats through mesmerizing dialogues, through fun and laughter is an anchor’s job. Freelancing as an anchor can take you places. With so many event companies looking for fresh ideas to keep people enthralled right from the moment they fix their ears on the person behind the mike, the option of anchoring can be equally rewarding… more so if you have the skill to captivate people through your expressive words, you can also get opportunities to travel abroad for your anchoring skills. An anchor is required to have a good knowledge of the event and the topics covered in it. Since you are made aware of a program much in advance, you can comfortably create outlines for topics to speak on. To many, anchoring comes very naturally. Once you recognize your own talent of public speaking or taking hold of the stage without fear, the field of anchoring brings in more than pocket-money which you can combine with the skills of the content writer as well.

Image result for digital marketing bannerWe cannot miss the Digital marketer when we talk of all the above choices. When we analyse a product’s worth in the market before buying, we definitely think about a lot of things. From the product’s need to its popularity in the market, we check a lot on the net to read reviews of the product so that we don’t end up being cheated. Did you ever think that by doing all this, you have actually worked as a digital marketer would do? Following basic steps to reassure that you get the right thing, you are almost half way through the post. A few things about this work can be learned as you go ahead with the work. As a person who is interested in working from home or as a freelancer, the option of Digital marketing specialist is open for those who have an eye for the assessment of a product’s market value. Now that is something you can explore even more as a professional since you are born with this.
Freelancing can be very satisfying in a lot of senses. First and foremost, it doesn’t need too much of investment or infrastructure, to begin with. Secondly, you are at your own free will to combine different tasks to suit your temperament. Third and yet most important, you get enough time to be yourself, with your family and friends. Of course, all you need is discipline and everything falls into place.

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क्या हम बिल्डर्स, इंटीरियर डिजाइनर्स, केटरर्स और डेकोरेटर्स के लिए कमा रहे हैं ???

हम बड़े बड़े क़ीमती मकानों और बेहद खर्चीली शादियों से किसे इम्प्रेस करना चाहते हैं ???

क्या आपको याद है कि, दो दिन पहले किसी की शादी पर आपने क्या खाया था ???

जीवन के प्रारंभिक वर्षों में क्यों हम पशुओं की तरह काम में जुते रहते हैं ???

कितनी पीढ़ियों के खान पान और लालन पालन की व्यवस्था करनी है हमें ???

हम में से अधिकाँश लोगों के दो बच्चे हैं। बहुतों का तो सिर्फ एक ही बच्चा है।

हमारी जरूरत कितनी हैं और हम पाना कितना चाहते हैं ???
इस बारे में सोचिए।

क्या हमारी अगली पीढ़ी कमाने में सक्षम नहीं है जो, हम उनके लिए ज्यादा से ज्यादा सेविंग कर देना चाहते हैं !?!

क्या हम सप्ताह में डेढ़ दिन अपने मित्रों, अपने परिवार और अपने लिए स्पेयर नहीं कर सकते ???

क्या आप अपनी मासिक आय का 5 % अपने आनंद के लिए, अपनी ख़ुशी के लिए खर्च करते हैं ???
सामान्यतः जवाब नहीं में ही होता है।

हम कमाने के साथ साथ आनंद भी क्यों नहीं प्राप्त कर सकते ???

इससे पहले कि आप स्लिप डिस्क्स का शिकार हो जाएँ, इससे पहले कि, कोलोस्ट्रोल आपके हार्ट को ब्लॉक कर दे, आनंद प्राप्ति के लिए समय निकालिए !!!

हम किसी प्रॉपर्टी के मालिक नहीं होते, सिर्फ कुछ कागजातों, कुछ दस्तावेजों पर अस्थाई रूप से हमारा नाम लिखा होता है।

ईश्वर भी व्यंग्यात्मक रूप से हँसेगा जब कोई उसे कहेगा कि, ” मैं जमीन के इस टुकड़े का मालिक हूँ ” !!

किसी के बारे में, उसके शानदार कपड़े और बढ़िया कार देखकर, राय कायम मत कीजिए।

हमारे महान गणित और विज्ञान के शिक्षक स्कूटर पर ही आया जाया करते थे !!

धनवान होना गलत नहीं है बल्कि सिर्फ धनवान होना गलत है।

आइए जिंदगी को पकड़ें, इससे पहले कि, जिंदगी हमें पकड़ ले…

एक दिन हम सब जुदा हो जाएँगे, तब अपनी बातें, अपने सपने हम बहुत मिस करेंगे।

दिन, महीने, साल गुजर जाएँगे, शायद कभी कोई संपर्क भी नहीं रहेगा। एक रोज हमारी बहुत पुरानी तस्वीर देखकर हमारे बच्चे हम से पूछेंगे कि, ” तस्वीर में ये दुसरे लोग कौन हैं ?? ”

तब हम मुस्कुराकर अपने अदृश्य आँसुओं के साथ बड़े फख्र से कहेंगे—” ये वो लोग हैं, जिनके साथ मैंने अपने जीवन के बेहतरीन दिन गुजारे हैं। ”

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  • Guest Article
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Today is International Women’s day. People expect women to talk about their achievements, their struggles. I want to share a lot today.
एक बार मैं एक जॉब के लिए गई | मुझे जॉब मिलने में कोई तकलीफ नहीं हुई | भगवान की कृपा रही है कि इस सिलसिले में कभी तकलीफ नहीं हुई | मगर ऐसा भी कुछ हुआ कि फिर दोबारा किसी की नौकरी बजाने की इच्छा नहीं हुई | जॉब देते समय मुझसे कहा गया कि तुम एक फीमेल हो, इसलिए हम ये जॉब तुमको ही देंगे| सुनकर अच्छा लगा था और अजीब भी | खैर नौकरी शुरू हुई | एक दिन मुझसे कहा गया कि जाओ और बैंक में पैसे जमा करके आओ | अमाउंट था करीब तीन लाख रूपये | मई की तपती गरमी, माइग्रेन की अक्सर होने वाली समस्या के चलते मैंने मना किया | मगर नौकरी की ज़रूरत बताते हुए मुझे भेजा गया | ऑफिस से बैंक बहुत दूर था | किसी तरह मैं काम करके लौट आई, काम जल्दी हो गया था | बॉस ने हँसते हुए मुझे कहा कि तुम फीमेल हो, इसलिए तुम्हें भेजा क्योंकि मुझे पता है कि फीमेल को देखकर लोग काम जल्दी कर देते हैं | यह बात मुझे आहत कर गई | मगर यह सिलसिला रुका नहीं | मुझे अक्सर ऐसे काम दिए जाते थे, क्योंकि (पुरुष)बॉस को मेरे महिला होने का फायदा मिलता था | मैंने नौकरी छोड़ दी |
आज मैं अपने घर बैठकर अपने काम करती हूँ | अपने पिता का ध्यान रखती हूँ | मेरे लिए मेरे पिता सबकुछ हैं | मेरे पिता ने कभी भी बेटे बेटी में फर्क नहीं किया, इसीलिए आज दुनिया भर के तनाव के चलते भी मैं दृढ़ होकर खड़ी हुई हूँ | उनसे मैंने मुस्कुराना सीखा है, हर तरह की तकलीफों को हँसते हुए झेलना सीखा है | महिला होने का मैंने कभी फायदा उठाने की कोशिश नहीं करी | कई दफ़ा मुझसे लोगों ने कहा कि हमारा फलां फलां काम कर दो क्योंकि तुम्हें देखकर काम जल्दी हो जायेंगे | मैंने इन बातों का सख्ती से विरोध शुरू कर दिया | इसकी वजह से बहुत से लोग मुझसे दूर हो गए जिसका मुझे कोई गम नहीं | आज जब मैं बहुत से महिलाओं के साथ होते अत्याचार देखती हूँ, सुनती हूँ, तो मुझे लगता है कि कहीं न कहीं हमारी परवरिश में भी कमी है | जब सभ्य घर के पुरुष ही ऑफिस की महिला के महिला होने का फायदा उठाना चाहते हैं, तो सड़क पर घूमते लोगों का क्या कहें |

AdvertisementI believe that God didn’t make a woman to be suppressed by man. HE made her to spread the feelings of affection and care, which she can do even while working in office, by showing concern over the right issues. Loving and caring do not mean physical concern, they are meant on humanitarian grounds. Man and woman were created to keep a balance on earth, so why should a woman be killed and suppressed and tortured? Why should a woman be “used” as a weapon to get things done?
My title WO(HU)MAN says it all. Every woman is a human just like everyone else. She is not an article. She may be physically weak as compared to men but that is how God made her. She did not become so by choice. She is a mother, daughter, sister, friend and mother again in all senses. Men deserve equal respect. It is only a matter of respecting each other, it is not about treating each other as per wish. The boundaries created between men and women were not mean to suppress a woman. They were meant to safeguard a woman so that the eternal balance of nature can be maintained.
और ज्यादा कुछ कहना अति होगी | इसलिए सभी से निवेदन है कि किसी महिला का फायदा उठाने के बजाए उसका उतना आदर तो करें जितना अपनी माँ या बहन का करते हैं | उसे पहले इंसान मानें

– Monika Goyal

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1 दुसरो से ईर्ष्या कीजिये- दुसरो से जलिए और अपनी जिंदगी को नरक बनाने का अभूतपूर्व आनंद पाइये। इससे आपकी तबियत भी खराब रहेगी और आप नारकीय अनुभूतियों को प्रोत्साहित करते रहेंगे।

2 छोटी छोटी बातो पर गुस्सा हो जाइये- ये अपनी बोरिंग खुशहाल जिंदगी को नरक बनाने का रामबाण तरीका है। इसमें आपको क्या करना है में बताती हूँ – अगर किसी से थोड़ी सी भी गलती हो जाये तो गुस्सा हो जाइये और उस पर धनाधन बरस पढ़िए, हर समय चिड़चिड़े रहिये। वादा करती हूँ आपका जीवन एक खुशहाल नरक बन जायेगा जिससे आप लंबे समय तक आनंदित होते रहेंगे।

3 हमेशा ये सोचिये की लोग आपके बारे में क्या सोचते है- नरक भोगने में जिन्होंने पी.एच.डी. कर ली वो इस कला में पारंगत हो चुके है…….. इनको अपनी सोच से ज्यादा दुसरो के कहने का असर होता है अगर आप भी ये सब चाहते है तो ज्यादा कुछ नहीं करना बस हर काम को करने से पहले डरिये और लगातार सोचते रहिये की वो क्या कहेगा या वो क्या कहेगी। आपको नारकीय जीवन के सुखद परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे।

4 जितना कमाओ उससे ज्यादा उड़ाओ- आप सोच रहे होंगे की कैसे करेंगे ये सब… लेकिन ये सच में बहुत आसान है ……. अपने यार दोस्तों से उधार लीजिये…बैंक से लोन लीजिये और उसे चुकाने के बारे में भूल जाइये ….बेकार के खर्चे कीजिये फिर देखिये आपके जीवन में नरक का तड़का लग जायेगा और मन भी नरक में लगा रहेगा।

5 हिम्मत मत दिखाइए हमेशा वही जॉब करते रहिये जो आप नहीं करना चाहते- क्या आप जॉब नहीं करना चाहते और कुछ अलग करना चाहते तो ठहरिये आप ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि अगर आप ऐसा करेंगे तो आपका जीवन नरक कैसे बनेगा। बस उसी पुरानी घिसी पीटी जॉब से जुड़े रहिये …… अरे भाई इसी में तो नरक का मज़ा है।

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In the present fast paced times people are so busy, that they probably do not have time to take up the stress of planning their own affairs. That’s where the role of a Wedding planner/ Bridal Consultant comes in. Wedding planning is a segment of event management. Now let us discuss about who a Wedding planner/ Bridal Consultant is and about his/her duties.

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Wedding Planners often referred to as Bridal consultants, is one who assist couples in planning their wedding as per requirement. A career as a wedding consultant involves working with brides and grooms through out the wedding planning process. A wedding planner assists with the design, planning and management of a client’s wedding. Wedding planners ensure that the overall vision of the bride and groom is executed, which could include consulting with clients about the wedding’s theme and decor, ceremony, reception and even the costumes. The services of a wedding planner can include budget preparation, booking venues, hiring of wedding professionals and service providers including caterers, photographers, videographers, beautician, florists musicians etc. In this job, multitasking and the related pressure is inevitable and only an ardent passion for what you do will make you a successful wedding planner. The USP is getting best service for the clients at reasonable rates.

Wedding planner or Bridal consultant must have the following essential skills

  • Excellent organization skills
  • Attention to detail
  • Leadership and management skills
  • Good communication skills
  • Negotiation skills
  • Ability the get on well with different kinds of people
  • Good problem solving skills
  • Business acumen
  • A creative bent of mind as well as colour sense
  • Ability to keep calm under pressure
  • Awareness about the latest trends
  • Knowledge about customs and traditions
    Education requirement or qualification to become a wedding planner
    There are no set qualifications to become a wedding planner. Although education in hospitality, business or public relations can be helpful. Many have no formal education and learn on the job. They move into wedding planning from working in events, hospitality or catering. Being a self employed career, individuals interested in this field must have a strong business sense.

Employment Opportunities for a Wedding planner/ Bridal Consultant
In the current scenario of growing popularity of theme weddings, couples are looking for something more exotic, adventurous and different from a traditional home based wedding. This along with popularity for wedding tourism in India has increased the scope of employment for wedding planners in India.

If you enjoy meeting people, have good contacts and love organising things, this job could be perfect for you. Moreover you should have creative ideas to plan a theme and arrange food, rituals, decor, clothes, makeup for the whole family according to the theme. Wedding Planners can get employment in hotels, resorts, event management companies, banquet halls planning special events, bridal shops, caterers, florists, wedding planner firms and many more. At the entry level, one can work under wedding planner firms, bridal shops or event planners. After gaining experience they can start their own enterprise.

How much a Wedding planner/ Bridal Consultant earns
It is difficult to define exactly how much a Wedding planner/ Bridal Consultant earns, every wedding planner will find their own way to charge for their services and depending on location and clients requirements salaries will vary. If you work under a firm or event planner what you earn depends on the reputation of the firm and it can be as salary on monthly basis. On the other hand, where you are the boss of your own enterprise then what you earn from this field is lucrative, you can charge based on your work and client. One can earn a minimum of Rs.10,000- Rs. 20,000 per service.

Institutes In Rajasthan
EduWings (UDAIPUR) – www.eduwingsudiapur.com
Picaso (JAIPUR) – www.paoem.com/
NAEMD (JAIPUR) – www.naemd.com/
IIEMR (JAIPUR) – www.iiemr.com/

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(Source – Career.Webindia)
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अगर आप टी ब्रेक मैं कुछ पढ़ने के लिए ढूंढ रहे हैं तो माफ़ कीजिये यह वो नहीं क्योंकि इसका सम्बन्ध तो आपके बच्चों से है इसलिए इसे तब पढ़िए जब आप अपने बच्चो के भविष्य के लिए चिंतित हों
मैं यहाँ Monika Goyal जी का ध्यान खींचना चाहूंगा आपका पिछले लेख मुझ बहुत पसंद आया था और यह लेख लिखने की प्रेरणा भी मुझे उसी से मिली

एक बच्चा था, माँ, बाप का लाडला जैसा हर बच्चा होता है. लेकिन इस पर ध्यान कुछ ज्यादा ही दिया गया। शादी के 10 साल बाद बच्चे का होना उस समय आम बात नही थी इसलिए प्यार बहुत ज्यादा दिया जाता था। बच्चा भी स्वभाव से चंचल और शरारती था और जहां प्रेम अधिक हो वहां जिद का होना स्वाभाविक है। तो बड़े मज़े से कट रही थी उसकी की अचानक पता चला कल से स्कूल जाना पड़ेगा ? चूंकि स्कूल का नाम सुना था,नई पोशाख मिलेगी, नए दोस्त मिलेंगे। आखिर बच्चे को स्कूल भेजा गया पहला हफ्ता ज़रा मुश्किल था क्योंकि माँ नज़र नही आती थी। पर अब ज़रा ज़रा आदत होने लगी थी वक्त गुज़रा नर्सरी और के.जी. कक्षा की दीवारें लांघ कर बच्चे ने पहली कक्षा में प्रवेश लिया। लेकिन अचानक एक घटना हुई जिसने उस बच्चे को एक अलग ही मनोस्थिति में डाल दिया एक रोज़ कक्षा की अध्यपिका ने एक सवाल पूछ लिया की “सभी बच्चे बताएं, सीधा हाथ कौनसा है?” बच्चा असमंजस में पड़ गया हालांकि सीधा और उल्टा शब्द वो पहले भी सुन चुका था किन्तु इस सवाल ने उसे घुमा दिया। बच्चा सोचने लगा
सीधा ??
मतलब वो हाथ जो सीधा हो…
और वो हाथ जिस से में खाना खाता हूँ…
और वो हाथ जिस से मैंने अभी पेन्सिल पकड़ी थी…

ठीक मतलब यही हाथ है सीधा, बच्चा हाथ उठाता उस से पहले अध्यपिका ने बड़ी ज़ोर से उसका हाथ पकड़ कर ऊपर उठा दिया “यह होता है सीधा हाथ, कल ही तो बताया था, बेवकूफ”
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यह क्या हुआ ? अचानक हुए इस हमले ने बच्चे को डरा दिया वह जिसे घर पर सभी होशियार और तेज़ दिमाग कहते थे उसे बेवकूफ क्यों कहा गया ?खैर बात आई गई हो गई अब तो बच्चा तीसरी कक्षा में था लेकिन उस दिन के बाद तो घटनाओं की झड़ी सी लग गई थी एक रोज़ एक झन्नाटेदार थप्पड़ उस बच्चे को पड़ा और एक गर्जीलि रोबदार आवाज़ बच्चे के कान से टकराई “इतने बड़े हो गए फिर भी “ई” और “इ” की मात्रा में फर्क नही पता मूर्ख….एकाएक सारी कक्षा में ठहाके लग गए। आँखे लाल हो गई गुस्सा, शर्म, डर तीनो का मिलाजुला भाव उस बच्चे के चेहरे पर था।
अब तो बात बहुत आगे बढ़ चुकी थी. जो बच्चा घर में सबका लाडला था वो अब एक आँख नही भाता था, परीक्षा के ताने, अधूरे गृहकार्य पर गालियां आम बात हो गई थी लेकिन इन सब के बीच एक बात अलग थी वो था शौक…उसे शौक था बिजली तारों का, जलती बुझती बत्तियों का, ढेरों पुराने नए सेल और कई सारी छोटी छोटी एलइड़ी इकट्ठा करने का, उनकी रोशनी में, खिलौनों से निकली हुई मोटरों की आवाज़ में वो तमाम सारी बेइज़्ज़ती को भूल जाने लगा।

मगर क्या करता ज़माने से लड़ने के लिए ये सब नाकाफी था। आठवीं कक्षा में पहली बार फेल हुआ वह और हिम्मत हार गया। सोच लिया की अब नही पढूंगा चाहे जो हो जाये, में स्कूल नही जाऊंगा लेकिन एक सवाल अभी भी था जिसका जवाब उसे ढूंढना था की जब उसकी लिखाई की समस्या है तो वह भविष्य में क्या करेगा ? उसने निर्णय लिया की वह अपने लिए लिखी गई हर बात हर नोट अंग्रेज़ी में लिखेगा और बाकी लोगों के लिए वह हिन्दी में लिखेगा क्यों की लोगों के सामने boy को doy लिख के शर्मिन्दा होने से “लड़की” को “लड़कि” लिखना थोड़ा कम शर्मनाक था। लेकिन भविष्य में क्या करेगा ? क्योंकि सपने तो उनके भी होते हैं जो देख नही पाते
निर्णय फिर हुआ की जिस तरह एकलव्य ने मूर्ति को गुरु बनाया था में हर एक व्यक्ति को गुरु बनाऊंगा, सभी से सीखूंगा अब बच्चा जवानी की देहलीज़ पर आ गया था पहली बार उसने अपने ज्ञान को अपने ही भीतर से अर्जित किया, अपनी पहली जीत पक्की की पहला सर्किट बोर्ड बनाकर, घरवालों को भी यकीन नही हुआ किन्तु था सत्य, इसके बाद उसने जीत का बिगुल कइ जगह बजाया, Micro controllers programming से लेकर PHP में स्वयं का SSSTP SERVER जैसे काम उसने अपने बेनाम गुरुओं की मदद से किये लेकिन सवाल आज उन शिक्षा के ठेकेदारों से है की वो कहते हैं की हम आपके बच्चे का भविष्य बनाएंगे जबकि वो तो हमारे बच्चों को जानते तक नहीं…तो ऐसे में इस एक बच्चे जैसे कइ बच्चे हमारे आसपास हैं लेकिन उनका हाथ पकड़ कर मदद करने वाला कोई नही, आमिर खान की एक फिल्म में डिस्लेक्सिया का जिक्र है लेकिन हमने उसे सिर्फ मनोरंजन तक लेकर छोड़ दिया। तो क्या बस वही जिंदा रहेगा जो इन स्कूलों के नियमों के अनुरूप चलेगा ?? हर बच्चा एक सा नही होता।

– Rishi Khatri

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4पेपर में आज ये शब्द देखते ही बहुत सारे ख़याल मन में उमड़ने लगे | सत्य ही तो है न कि बच्चों का बचपन लगभग छिन गया है | हम गाँव के बच्चों को मजदूरी करते देखते हैं | जिस उम्र में बच्चों को खेलना कूदना और पढ़ना चाहिए, उस उम्र में वे तगारी उठाये कमठानों पर भारी पत्थरों और मिट्टी का बोझा इधर से उधर ले जा रहे हैं | कुछ बच्चे छोटे मोटे होटलों और ढाबों में बर्तन साफ़ करने या खाना परोसने का काम कर रहे हैं | इन बच्चों के लिए तो मिट्टी में खेलना भी नसीब नहीं हो रहा | जिस उम्र में स्लेट और बरतना पकड़ कर आड़ी-तिरछी रेखाएं खींची जाती हैं, उस नाजुक उम्र में ये मासूम कितना कुछ झेल रहे हैं | बात सिर्फ गाँवों के बच्चों की नहीं है, शहर के बच्चों का बचपन भी छिन गया है | किताबों के बढ़ते बोझ, टेक्नोलॉजी के विकास, अभिभावकों के अत्यंत बिज़ी टाइम टेबल और एकल परिवारों के बढ़ते चलन ने सभी बच्चों को एकाकी जीवन जीने को मजबूर कर दिया है जिसके चलते वे अब जानते ही नहीं कि बचपन के खेल क्या होते हैं, मासूमियत तो गायब ही हो गई है | बचपन का वक़्त वो वक़्त होता है जब सभी बच्चे अपने मासूम सवालों से लोगों का मन मोहते हैं, अपनी नादान हरकतों से समझाइश के दौर से गुज़रते हैं और दुनिया के गलत चेहरे से दूर रहते हैं | आज तो सभी बच्चे तन से बच्चे मगर मन से बड़े हो गए हैं जो कि उनके सही विकास में बाधक है |
सर्वप्रथम स्कूल की किताबों का बोझ इतना ज्यादा है कि पढ़ने समझने में बचपन उलझ गया है | किसी और प्रकार के क्रियाकलापों के लिए अवसर ही नहीं मिलता | और जो थोड़ा बहुत समय मिलता है वो टेक्नोलॉजी में खो जाता है | जगजीत सिंह की एक ग़ज़ल बहुत सटीक बैठती है – ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो, भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी, मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन , वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी” | शायद जब तक बच्चे कागज़ की नाव के उन चंद मस्ती भरे पलों को समझने लगेंगे, तब तक बहुत समय व्यर्थ हो चुका होगा | ये बचपन के सुनहरे पल यादें बन जाएंगे और यही ग़ज़ल दिल के कोने में एक दर्द की तरह दबी रहेगी | हमें आज भी अपने बचपन के पल याद हैं, मगर इन बच्चों के पास याद करने के लिए क्या है ? यादों के सुंदर पल टेक्नोलॉजी और एकाकीपन से नहीं बनते न ?

Knowledge

timemanagement

“Time” means several different things to different things to different people, as situations & tasks change. Eg: ‘one hour’ is ‘too short’ for a child playing with friends and ‘too long’ when forced to study a subject which the child is not interested in.

“Management” has a more universal understanding and includes areas like:

REGULATION, CONTROL, ADMINISTRATION & SUPERVISION.

Yes, this is the Nature, the Process of Management, i.e. getting things done.

Always remember these five points:

  1. Everything seems to be hard (not impossible) in the world until we start doing it.

Eg: A task given to a fatty person or a couch potato to run a mile nonstop.

  1. The day/moment you start doing a thing it starts Regulating. And this the very first step to make a hard thing a simpler one.
  1. The more you practice the above step you start to get a Control over it.
  1. As soon as you get the Control you see the thing simpler now. And this how you become an Admin of your execution and practice area.
  1. The day you become an Admin, you can then Supervise your own Life Activities and can Supervise/Guide others too.

“Remember, Beginning may cause you discomfort”

BUT

“Just don’t give up in between these five steps.”

‘Applying this Principle helps in maximizing the value of time by including those activities which produce positive results and rejecting those activities which either waste time or produce negative results.’

Students must therefore,SELF-INTROSPECT by asking:

  • Did I do the most productive things I could have done with each moment of my day today?
  • What corrective measures can I take to improve my productivity every day?

Basics Tricks: (Time Management is not about managing time, it’s about managing the activities on time)

  1. Always do things on time. Be on time.
  • You can set a stop watch to note how long a task take to complete.
  • You can set a playlist of your favourite songsto a xyz time period. Play it from starting while beginning with your task and stop at the last song. Don’t look at the watch. Focus on the activity. This how you can know how to complete a task before the last song ends.
  1. Always study methodical, logical, analytical subjects like maths & science, objective type questions, grammar in morning time. This is the time when our minds strength is full to grasp & understanding a thing.
  1. While going through the theoretical subjects like social studies etc. You can speak loud for fast learning, you can use different tones of your voice to crack the lengthy answers.
  • Visualize the theory into images or a scene for better learning. Because our mind first thinks about an image.
  • Apply the Music theory. Ever noticed why we learn the lyrics of a song very fast…? Sing your answers. Make your own tone.
  • Take a short nap after learning the theory. This helps you to solidify the answers in your memory for a longer period.
  1. Eat Healthy. Follow a Diet.
  1. Take 7 to 8 hours of maximum sleep. Not more than this.
  1. Keep asking your teachers, tutors and elders about your queries.
  1. Play outdoor games or do exercise at least for 45 min to 1 hour max.
  1. Do not watch TV, Computer or Mobile Games in Exam Times. It reduces minds recalling power, i.e. memory.
  1. Be Positive. Be Confident. Do not fear.
  1. Take a new topic everyday with the revision of an older one.
  1. Laugh a Lot with your Friends and Family.
  1. Set daily targets and commit yourself to complete that task even if you get bored. Be true with your own nature.

 You have got 1440 minutes in a day. Its upto you now that how much time you dedicate to your each activity.

 Ways to Improve Time Management:

 Stop doing the things which you like. Start doing the things which are Important.

  1. Be Discipline. This makes you a STUDENT.
  2. Do not procrastinate.
  3. Develop Interest for better results.
  4. Set a proper reference groups or surrounding that can help and motivate you to achieve your goals.
  5. Set Priorities. Write on a paper what’s more important to you and do that task first.
  6. Always do the most difficult topic, subject, task first.
  7. Do it NOW.
  8. Put things in Writing.
  9. Use wasted time.

“A lazy person can’t do everything. But a busy person can do everything.” Because he/she is busy in doing.

“Value your activities. Value your time. It’s precious. Very Precious!”

Analyse why Time is Money…?

How much Money has been invested on you..? From your Childhood to your College Life.

It’s all about your Self Concern and Self Introspection. The more you analyse and ask yourself for your betterment. The more you will get BUSY in managing the time and activities to get money & success.

LOKIT KAVDIA

Founder and Director at Healing Hours Optimally – H2O

Knowledge

जीने का हक सभी को है | और सिर्फ जीने का नहीं बल्कि तरीके से जीने का | हर इंसान समय और मौसम के अनुसार अपने आपको व्यवस्थित करता है | जिनके पास साधनों की कमी नहीं है, उन्हें किसी भी प्रकार की परिस्थिति में ज्यादा सोचना नहीं पड़ता | अगर हम समय और मौसम की बात करें, तो समय के साथ मौसम का बदलना प्रकृति का नियम है जिसे कोई भी परिवर्तित नहीं कर सकता, किन्तु हमारे देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें स्वयं को व्यवस्थित करने के लिए सम्पूर्ण साधन भी सुलभता से नहीं मिलते | प्लैटिनम ग्रुप के संस्थापक श्री प्रवीण रतलिया की इसी नेक सोच ने जन्म दिया सुहानी सर्दी आंदोलन को ।

गरीब जनता या गरीबी की रेखा के नीचे आने वाली जनता के लिए मौसम ख़ास तौर पर सर्दियों का मौसम कहर बनके तब टूटता है जब उनके पास खुद के शरीर को ढंकने और कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए उचित परिधान उपलब्ध नहीं होते | ऐसी जनता साधन बंटोर भी नहीं पाती है | दुःख तब होता है जब नन्हें मुन्ने या स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों के पास ठण्ड में तन को ढंकने लायक कपड़े नहीं होते | ऐसे में हम कैसे अपेक्षा करें कि ये बच्चे आसानी से पढ़ लिख कर देश की तरक्की में योगदान देंगे | जो खुद को नहीं बचा पाते, वो देश के लिए क्या सोचेंगे, क्या करेंगे ?

सुहानी सर्दी एक ऐसा मिशन है जो कि इन बच्चों के लिए सर्दी के अनुरूप वस्त्र वितरण करने का उद्देश्य लिए उनके जीवन को सुरक्षित कर उनके स्वास्थ्य को खराब होने से बचाने के लिए अग्रसर है, सुहानी सर्दी आंदोलन गरीब छात्र छात्राओं की सहायता हेतु 2015 में शुरू किया गया था | ये बच्चे सर्दी में राहत पाकर अपनी शिक्षा का आनंद लें और ख़ुशी ख़ुशी देश के लिए अपने विचार व्यक्त कर सकें, ऐसा इस मिशन का ध्येय है |

इस मिशन के प्रथम चरण में 10,000 स्कूली बच्चों को नए स्वेटर वितरित किये गए जो कि राजस्थान के सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं | इस योजना के लिए किसी भी प्रकार का कोई डोनेशन नहीं लिया गया | यह कार्य प्लैटिनम ग्रुप ऑफ़ कॉलेज द्वारा किया गया | सबसे बड़ी बात यह है की श्री प्रवीण अक्सर यह कहते है की वो कोई समाज सेवा नहीं कर रहे है, यह काम वो अपने मन के सुकून के लिए करते है, उन्हे अच्छा लगता है ।

दुसरे चरण के कार्य के लिए इसी कार्य से प्रेरणा लेकर यह विचार किया गया कि और भी कई अनाथ, गरीब और सड़कों पर गुजर-बसर करने वाले अनेकों लोग हैं जो कि सर्दी की मार झेल रहे हैं | विचार कुछ इस प्रकार आया कि हम सभ्य तबके के लोगों के पास कई पुराने स्वेटर रखे होते हैं जो कि हम अलमारी में बंद कर देते हैं जिनका उपयोग बदलते फैशन के कारण नहीं किया जाता | इन ऊनी वस्त्रों को सही रूप में प्रयोग लाने का सबसे उचित तरीका है इन्हें दान कर देना | इसलिए ऐसे सभी ऊनी वस्त्रों को एकत्रित कर ज़रूरतमंद लोगों में बांटा गया |

इस परोपकार को आगे बढ़ाने के लिए सभी उदयपुरवासियों से विनम्र निवेदन है कि वे आगे आयें और अपने घरों में रखें पुराने ऊनी एवं अन्य वस्त्रों को इन बेहद ज़रूरतमंद लोगों को देकर उनके तन ढंकने में योगदान दें|

यदि आप भी इस आंदोलन मे हिस्सा लेना चाहे तो हेल्पलाइन नम्बर 9785151777 पर संपर्क करें या वैबसाइट देखें ।