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Dr. Arvinder Singh, the esteemed CEO and Chairman of Arth Group, based in Udaipur, has recently made headlines on the global stage by securing a coveted spot in Crunchbase’s prestigious Top 20 Global Influencers list. This remarkable achievement unfolded on a momentous day, September 7, 2023, when he was also honored by the British Parliament. This dual recognition not only signifies a personal milestone for Dr. Singh but also holds profound significance for the entire nation, particularly Rajasthan.

Crunchbase, a renowned platform originating from the United States, employs a dynamic ranking methodology that takes into account various factors such as online presence, leadership prowess, and community engagement. Dr. Singh’s ascent to the 19th position places him in the distinguished company of industrial giants like Elon Musk (12th) and Mark Zuckerberg (59th), an accomplishment that fills our nation with pride. Notably, even the acclaimed actor Leonardo DiCaprio is ranked 70th in comparison.

Dr. Singh’s extensive credentials as a medical practitioner, an accomplished graduate of the esteemed IIM, and a holder of an LLB degree from Oxford University, specializing in Medical Law, distinctly set him apart as a global influencer. His unique blend of medical expertise, legal acumen, and financial savvy has earned him prestigious titles like ‘Business Leader’ and ‘Young Entrepreneur,’ in addition to numerous accolades from the Indian government.

His inclusion in the prestigious Crunchbase Top 20 list, coupled with the accolade from the British Parliament, serves as a shining testament to his exceptional contributions in the realms of healthcare and business. His groundbreaking initiatives, such as IMBBS and IBCD, hold the potential to revolutionize healthcare and dermatological education, establishing him as an inspiring exemplar of unwavering commitment to excellence.

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In an extraordinary development, Aackriti Malik has emerged as the face of India on the global stage, as she takes on the prestigious role of a mentor at Moscow’s Skolkovo Institute of Science and Technology (Scoltech). 🌟📚

This international event boasts participation from a total of 26 countries, making it a true melting pot of cultures and expertise from around the world. 🌏🤝

Aackriti’s journey to Moscow is nothing short of inspirational. Her selection as India’s representative underscores her unwavering commitment to education and her dedication to nurturing the minds of future leaders. 🎓💡

Aackriti Malik, the Pride of India, Represents Nation at Scoltech University in Moscow!

As a mentor, Aackriti is poised to share her wealth of knowledge and experience with students from diverse backgrounds, further solidifying her role as a global ambassador of Indian education. 🌐📖

This achievement is a testament to what can be accomplished when passion meets determination, and it highlights the immense potential of Indian talent on the international stage. 🚀🌈

The entire nation applauds Aackriti Malik for her exceptional journey and wishes her continued success in her role as an educator and mentor at Scoltech University. 🇮🇳👏

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उदयपुर के रह्यूमेटोलॉजिस्ट को भारतीय फिज़ीशियन्स संघ का राष्ट्रीय स्तर का सम्मान

उदयपुर के रह्यूमेटोलॉजिस्ट (गठिया व इम्यून रोग विशेषज्ञ) डॉ. मोहित गोयल को भारतीय फिज़ीशियन्स संघ (ए. पी. आई.) के राष्ट्रीय स्तर के डॉ शूरवीर सिंह ट्रस्ट विज़िटिंग प्रोफेसरशिप सम्मान 2023 के लिए चयनित किया गया। इस सम्मान के लिए प्रति वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर मेडिसिन व सम्बद्ध स्पेशिलिटीज़ से एक चिकित्सक का चयन किया जाता है।

उदयपुर के चिकित्सक के लिए विशेष महत्व

उदयपुर के किसी भी चिकित्सक के लिए इस सम्मान का विशेष महत्व है क्योंकि भारतीय फीज़ीशियन्स संघ ने इस सम्मान का नाम र.ना.टै. मेडिकल कॉलेज, उदयपुर के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. शूरवीर सिंह की स्मृति में रखा है। डॉ. गोयल ने दिल्ली से रह्यूमेटोलॉजी शिक्षा प्राप्त करने से पूर्व, एम. बी. बी. एस. व एम. डी. की पढ़ाई यहीं र.ना.टै. मेडिकल कॉलेज, उदयपुर से करी है।

विज़िटिंग प्रोफेसरशिप के तहत कार्य

विज़िटिंग प्रोफेसरशिप सम्मान के अंतर्गत डॉ. गोयल ने 25 से 27 अगस्त तक कर्नाटक के सुप्रसिद्ध कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल में शिक्षण कार्य किया एवं वहाँ के छात्रों, शिक्षकों एवं क्षेत्र के अन्य चिकित्सकों के लिए स्टेरॉयड के दुष्प्रभावों से बचने की रणनीतियों पर व्याख्यान दिया। मणिपाल यूनिवर्सिटी एवं ए. पी. आई. के पदाधिकारियों द्वारा डॉ. गोयल का कर्नाटक के परम्परागत पेटा, शॉल, माला पहना व फल और श्रीकृष्ण की प्रतिमा भेंट कर सम्मान किया गया। इनके व्याख्यान को सराहा गया एवं चिकित्सकों ने स्टैंडिंग ओवेशन दिया।

सम्मान का कारण

भारतीय फीज़ीशियन्स संघ ने यह सम्मान डॉ. गोयल को उनके क्लीनिकल व शिक्षण कार्यों एवं चिकित्सा क्षेत्र में आये नए आयामों में उनके शोध कार्यों के योगदान के लिए दिया है|

डॉ. गोयल के बारे में

नई दिल्ली से रह्यूमेटोलॉजी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद डॉ. गोयल 2017 से उदयपुर में गठिया एवं इम्यून रोग विशेषज्ञ के रूप में सेवाएं दे रहे हैं|इनके 32 शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित किये गए हैं व इन्होंने विभिन्न रह्यूमेटोलॉजी पुस्तकों में 20 चैप्टर्स लिखे हैं| डॉ. गोयल ने आर्थरिटिस पर तीन पुस्तकों एवं इंडियन जर्नल ऑफ़ रह्यूमेटोलॉजी के दो विशेषांकों का सम्पादन किया है| वे इंडियन जर्नल ऑफ़ रह्यूमेटोलॉजी एवं रह्यूमेटोलॉजी एडवांसेज इन प्रक्टिस (ऑक्सफ़ोर्ड प्रकाशन) जर्नल्स के एडिटर भी हैं|

उदयपुर की ख्याति बढ़ी

उदयपुर के चिकित्सक को यह सम्मान मिलने से शहर एवं यहाँ के चिकित्सा क्षेत्र की ख्याति बढ़ी है|

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क्या सलूक किया जाए? क्या बचपन की सुधार प्रक्रिया सही नहीं होती?

एक परिवार से मिलना हुआ | बहुत दुखी थे वो लोग | उनके किसी अपने ही सदस्य ने उनके साथ धोखा किया | सुनकर आश्चर्य तो होता ही है | मगर यह भी सत्य है कि अपने ही सबसे पहले दुःख देते हैं | इस नाज़ुक स्थिति का अवलोकन किया गया तो समझ में आया कि बचपन की पिटाई बहुत हद तक इन्सान का जीवन सुधारती है | 

विदेशों में यदि आप किसी बच्चे पर हाथ उठाते हैं तो जेल जाने की नौबत आती है | उनके यहाँ के संस्कार भारत के संस्कारों से बहुत ही अलग हैं | इसलिए हम वहां के कायदे क़ानून का विश्लेषण नहीं करेंगे | मगर बच्चों को सुधारने की जहाँ तक बात है, तो भारत इस मामले में सही है | यदि बच्चा कोई छोटी गलती करे तो उसे समझाया जा सकता है | मगर यदि वह बहुत बड़ी गलती करे तो एक चांटा उसको लगाना ज़रूरी होता है | इससे बच्चे को स्थिति की गंभीरता समझ में आती है | 

इस परिवार में कई लोग हैं, शामिल परिवारों में ऐसा ही होता है | जब बच्चे छोटे थे, तो सभी को गलतियों के लिए डांट और मार झेलनी पड़ती थी | मगर ये जो सबसे बड़ा बच्चा था, वो हर समय बड़ा होने के कारण ऐसी स्थितियों से बचता गया | ज़ाहिर सी बात है कि अक्सर परिवारों में सबसे बड़े बच्चे को अक्सर माफ़ कर दिया जाता है | शायद सबसे बड़ा होने की वजह से वह सबका लाड़ला होता है, लाड़ला ना भी हो तो उसके साथ घर के लोगों का बर्ताव अक्सर पक्षपात वाला होता है | इस बच्चे ने भी गलतियाँ कर कर के मौके का फायदा उठाना शुरू कर दिया और कई बार उसकी हरकतों की किसी को कानों कान खबर भी नहीं होती थी | 

अब यही बच्चा बड़ा होकर अपने ही घरवालों के साथ धोखेबाजी कर अपनी ज़िंदगी मजे से बिताने में परहेज़ नहीं करता | अब जब उसकी कारस्तानियाँ पकड़ में आ गईं हैं, तो सवाल यह है कि अब उसके क्या सलूक किया जाए | परिवार वाले भावुक हो जाते हैं कि अपनी औलाद को अब क्या कहें, कैसे कहें | मगर इसका हल निकालना उनके लिए अब ज़रूरी है, बाकी लोगों की ज़िंदगी का सवाल जो है | 

हमको यह समझ लेना चाहिए कि बच्चों से मार पिटाई गलत नहीं है, बल्कि उनका जीवन सही राह पर लाने के लिए आवश्यक है | हम यह नहीं कहते कि सब बच्चे एक जैसे होते हैं, मगर आजकल पैसा बहुतों के सर चढ़कर बोलने लगा है | लोग अपनों की पीठ में खंजर मारने जैसा काम करते हैं | 

इस परिस्थिति के आधार पर आप क्या कहते हैं ? क्या बच्चों को मारना गलत है ? उचित मार्गदर्शन के लिए उठाया जाने वाला पिटाई का कदम क्या गलत है ?

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ये तो हम सभी जानते हैं कि हर बात को कहने के कई तरीके होते हैं | Expression या feeling चेंज होते ही बात का मतलब बदल जाता है | “ये क्या हो गया!!” इस बात को अगर गुस्से में कहा जाये तो अलग मतलब निकलेगा, आश्चर्य से कहा जाए तो अलग, प्यार से कहा जाए तो अलग, हंस के कहा जाए तो अलग, यानि जितने भाव उतने मतलब, उतना ही असर | तो ये तो हुई बात को कहने के अंदाज़ की बात | अब सोचिये अगर इस बात को आप मेसेज में लिखते हैं तो क्या होगा ? पढ़ने वाला उसको अपने मूड के हिसाब से ही पढ़ेगा ना? तो भई smiley और emoji के ज़रिये आप इस बात को कहेंगे तो पढ़ने वाला समझ जायेगा कि आप सीरियस हैं या मज़ाक के मूड में | 

कुल मिलाकर बात यह है कि अगर smiley और emoji ना होते आज की मेसेजिंग की दुनिया में तो न जाने कितने रिश्ते,जैसे दोस्ती,प्यार-मोहब्बत,अपनापन,इज्ज़त सब मिट्टी में मिल जाते | ये तो इन smileys और emojis का कमाल है कि आप बिना बोले ही अपनी बात सामने वाले के सामने रख देते हैं और आपका अंदाज़ सही तरीके से बयां हो जाता है | ना जाने कितने लोगों के बीच में टेक्स्ट मेसेज की वजह से झगड़े हुए हैं और ना जाने कितनों ने अपने रिश्ते बचा लिए हैं | 

हम यह नहीं कहते कि आप बातचीत बंद कर दें,हम सिर्फ यह कह रहे हैं कि अपने रिश्तों को अहमियत दीजिये | उन्हें संभाल कर रखिये और बिगड़ने से बचाने के लिए कोशिश करते रहिये | अच्छे रिश्ते बने रहेंगे तो दुनिया भी शान्ति से चलती रहेगी | Smiley और emoji का उदाहरण तो हमने सिर्फ बातों के सही अंदाज़ को समझाने के लिए और आपसी रिश्तों को बनाये रखने के इरादे से दिया है | बाकी आप खुद समझदार हैं !!  

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एक गाना था “छुई मुई सी तुम लगती हो”…. क्या आप जानते हैं कि ये छुई-मुई क्या है ? 

छुई-मुई एक ऐसे पौधे का नाम है जिसे हाथ लगाओ तो वो अपनी पत्तियां बंद कर देता है | आजकल यह पौधा गिने चुने स्थानों पर ही दिखता है, मगर पहले अक्सर घरों में इसे लगाया जाता था | इसे इंग्लिश में touch-me-not या shy plant कहते हैं | शर्माता हुआ से ये पौधा छूने पर अपनी पत्तियां सिकोड़ लेता है और थोड़ी देर बाद खोल देता है | भारत के अलावा यह पौधा बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, फ़िलीपीन्स, थाईलैंड और जापान में पाया जाता है | यह अधिकतर छांवदार जगह या पेड़ों के नीचे मिलता है | इसमें हलके गुलाबी रंग के फूल खिलते हैं जो बड़े ही सुन्दर दिखते हैं | 

इस पौधे का दवाई के रूप में भी इस्तेमाल होता है | इसकी पत्तियों के रस से घाव जल्दी भर जाते हैं | ऐसा माना जाता है कि इसका रस सांप के ज़हर के असर को भी कम कर देता है | मगर ज़हर उतारने के लिए इसे किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही काम में लिया जाना चाहिए | पाइल्स, अल्सर, दस्त, सूजन, डायबिटीज़, फंगल इन्फेक्शन, लीवर आदि बीमारियों में भी इसका इस्तेमाल होता है | 

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आजकल हर किसी को आँखों की कोई न कोई समस्या रहती है | जलन, आँख से पानी बहना, आँखों की थकान वगैरह-वगैरह | ये बहुत ही सामान्य सी बात हो गई है कि हम बहुत ज्यादा समय कंप्यूटर के सामने बिताते हैं, और जब कंप्यूटर बंद कर रखा हो तो मोबाइल फ़ोन पर लगे रहते हैं | ऐसी स्थितियों में सबकी आँखें कमज़ोर हो ही रही हैं |

असल में हम कंप्यूटर के सामने इतने ज्यादा घंटे बिताते हैं कि पलकें झपकाना तो भूल ही जाते हैं | इस कारण से हमारी आँखों में ड्राईनेस की समस्या आम हो चली है | कंप्यूटर के सामने बैठने के बाद हमको बार बार पलकें झपकाना बहुत ज़रूरी है | ऐसा करना अगर हमारी आदत में नहीं है, तो हमको आगे चलकर बहुत परेशानी उठानी पड़ सकती है | आप सोचने लगे होंगे कि हाँ ये बात तो सही है, हम एकटक कंप्यूटर स्क्रीन को देखते रहते हैं और पलकें झपकाने का विचार हमारे आस-पास भी नहीं फटकता |

अब ये तो लगभग असंभव सी बात है कि हम कंप्यूटर को तिलांजलि दे दें | हमारे सारे काम पेपर-फ्री क्रान्ति के चलते कंप्यूटर के द्वारा ही होते हैं | आसान भी लगता है कि घर बैठे हम अपने अलग अलग बिल का पेमेंट भी ऑनलाइन कर रहे हैं, लाइन में लगने के झंझट से बच रहे हैं | तो बस इतना ध्यान रखिये कि पलकें झपकाना बेहद ज़रूरी है | ऐसा करने से दिमाग भी सक्रिय होता है और पलकें झपकाने के फलस्वरूप आँखों में जो लिक्विड यानि तरल बनता है वो हमारी आँखों को ड्राईनेस से बचाता है | तो यह आदत स्वयं भी डालें और अपने साथियों को भी बीच-बीच में टोककर उन्हें पलकें झपकाने की याद दिलाते रहें | जब भी घर में फ्री बैठे हों, पांच मिनट का समय अपनी आँखों के लिए निकालें और ककड़ी की स्लाइसेस अपनी आँखों पर रखकर कुछ देर आराम भी कर लें | 

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अगर सारे राज़ खुल जाएँ तो इतिहास का क्या होगा ? इतिहास गवाह है कि कुछ राज़ खुले तो तबाही हुई है और कुछ राज़ ऐसे हैं जिनके बारे में चर्चा होती ही रही है मगर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया क्योंकि राज़ खुल जाएँ तो फिर शोधकर्ता बेचारे क्या करेंगे ? 

ऐसे बहुत से किस्से हैं जो आज भी ‘राज़’ ही हैं | सबसे बड़ा किस्सा है UFO का यानी Unidentified Flying Objects. उड़न-तश्तरी…यह शब्द सभी ने सुना है | ये UFO आखिर क्या बला है ? यूं तो बहुत सी बातें UFO के बारे में कही जाती हैं, किन्तु आज तक इनका अस्तित्व कोई नहीं जान पाया है | अजीबो गरीब अलग अलग प्लेनेट से आने वाली, फ्लाइंग सॉसर सा इसका आकार, कुछ और भी अलग डिजाईन वाली, ये अनजानी सी वस्तुएं सभी के लिए आश्चर्य का कारण हैं | 

कोई कहता है एलियंस होते हैं जो इन UFO में आते हैं, मगर कहाँ से आते हैं इस बारे में कई कहानियां हैं जो सबने सुनी या पढ़ी हैं |  यह अत्यंत रोचक विषय है | कहीं किसी दूर दराज इलाके में अगर एक सामान्य से बड़ा गढ्ढा दिख जाए और आस पास की घास फूस जली हुई हो, तो बन गया UFO का जबरदस्त चर्चा वाला टॉपिक | मंगल गृह के विषय में कई बार कहानियां और फिल्में बनीं हैं जिनमें वहां के प्राणी धरती पर आकर तबाही मचाते हैं या फिर धरतीवासियों से संपर्क साधने की कोशिश करते हैं | इन प्राणियों यानी एलियंस को मनुष्य का दोस्त होने का खिताब भी दिया गया है | कुल मिलाकर बात यह है कि इनके विमान बड़े ही अजीब और जबरदस्त टेक्नोलॉजी वाले बताये गए हैं | यही विमान UFO के नाम से जग में प्रसिद्द हो चले हैं | वैज्ञानिकों में से कुछ मानते हैं कि UFO एक वास्तविकता हैं | कुछ का कहना है कि दृष्टिभ्रम है | अब असलियत क्या है यह बात आज भी राज़ है | इस राज़ पर से पर्दा उठाने के लिए कई लोगों ने अपनी जानें गंवाई हैं | 

एक रूसी तथ्य के अनुसार करीब चालीस पायलट्स ने UFO का सामना किया है | जब उन पायलट्स ने UFO का पीछा करके उनका राज़ जानने की कोशिश करी, तो कुछ पायलट्स संदिग्ध रूप से गायब हो गए और कुछ के प्लेन क्रेश हो गए | कुछ स्थानों पर राडार के द्वारा UFO का पता करने की भी कोशिश करी गई | राडार के द्वारा अजीब तरह की कोड भाषा में सन्देश प्राप्त हुए | इसके आधार पर माना गया कि UFO का अस्तित्व तो है किन्तु ज्यादा जानकारी के अभाव में बात राज़ ही रही | साबित करना संभव ही नहीं हुआ कि ऐसा कुछ है जो इंसान की पहुँच से बहुत दूर है किन्तु धरती के अलावा भी किसी और गृह पर जीवन है यह बात स्थापित कर दी गई | आज भी माना जाता है कि UFO के बारे में जानकारी हासिल करी जा सकती है और अब भी कई वैज्ञानिक इस बारे में पता करने लगे हुए हैं | ऐसा भी कहा गया है कि ये अजीबो गरीब उड़ने वाले विमान इंसान के लिए उपहार भी छोड़ गए, कुछ अपने गृह की वस्तुएं छोड़ गए जिससे कि धरती के लोगों को विशवास हो जाए कि कहीं और भी जीवन है | 

क्या UFO यानी उड़न-तश्तरियां वास्तव में होती हैं ? आपका क्या कहना है? क्या आप मानते हैं UFO को?

#one2all #UFO #flyingsaucers #secretsofUFO #aliens 

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किस्सा टाली का
“ऐ ऐ देख यो कई पड़्ग्यो “
“अरे केरी कोई नी या तो टाली मरगी “
“गज्या थारा हाथ ऊं टाली मरी अबे गणो पाप चड़ेला “
भैया क्या हुआ है,टाली क्या होता है? , मैंने पूछा
“थू चुप रे मुन्नी अबार टेंशन वेई गी है” गजू भैया डाटते हुए बोले। पर हुआ क्या है मैने दिनू भाई और तल्लू भाई की तरफ देखते हुए पूछा ।
“अरे यार मुन्नी,थारे अणी गज्जु भैया ने केरी तोड़ने के लिए जो पत्थर नाका था तो वो टाली के माते पड़ गया ।
और वा नीसे पड़ीने मर गई। ” दिनू भैया और तल्लू भैया जो मेरे मामा के बेटे गज्जु भैया के दोस्त थे मुझे अपनी सो काल्ड हिन्दी में समझाते हुए बोले।
ओह ! फिर तो हमसे बड़ा पाप हो गया , हां वाईस वात है अबे कितर उरण होंगे पाप से।
“भैया सबसे पहले इस गिलहरी का कुछ करें।”
वो तीनों ना समझने के भाव से मुझे देखने लगे । अरे भैया टाली को हिन्दी में गिलहरी बोलते हैं। उन तीनों के चेहरे पर आश्चर्य की रेखा और बड़ी हो गई।
इतने सालों में वो टाली को टाली ही बोलते थे गिलहरी जैसा भद्र शब्द बहुत नया था ।
खैर दीनू भैया ने टूटे फूटे मंत्रो का उच्चारण किया ,तल्लु और गज्जु भैया ने अन्तिम संस्कार और मैंने ईश्वर से माफी मांगी लेकिन हम चारों का पाप बहुत बड़ा था एक जीव हत्या का पाप ।
अतः हमारे दल ने बच्चों की पंचायत बुलाई सभी बच्चों में हिन्दी एवं अंग्रेजी की ज्ञाता मैं ही थी क्योंकि शहर के स्कूल में पढ़ती तो मुझे सबमें बहुत सम्मान दिया जाता ।
नानी के घर गर्मी की छुट्टीयों में एक अलग ही आनन्द था। खैर बच्चों की पंचायत ने सर्वसम्मति से निर्णय किया कि हम चारों के कारण टाली की हत्या हुई है इसलिए हमें पाप मुक्ति के लिए 2 दिन बाद पड़ने वाली निर्जला एकादशी का निर्जल उपवास करना होगा । और उस दिन गांव से 3 किमी दूर स्थित महादेव के मन्दिर में माफी मांगनी होगी।
ग्यारस के पहले कि रात्रि 12 बजे तक हम लोगों ने खूब खाया और खूब पानी पिया ताकि उपवास के दिन कोई कष्ट न हो ।
हम 11-12 साल के बच्चों को ये क्या पता कि पेट एक अन्धा कुआं है जिसे रोज भरना पड़ता है।
मनुष्य स्वभाव है जिस दिन व्रत करता है उसी दिन भूख ज्यादा लगती है। खैर रात्रि को दो दिवस का भोजन पेट में ठूसने के बाद हम निश्चित होकर सो गये ।
सुबह आंख तब खुली जब दीनू भैया अपनी छत से हमें आवाज देते मिले । मैं उठी तो देखा गज्जु भैया अभी घोड़े बैंच कर सोये थे।
“का मुन्नी थारे अबी तक परबात नी वी क्या घड़ी हात बजरी है।”
“तवड़ा भी आ गया है।”
आपण को मादेवजी के जाणा है जल्दी हापड़ो ।”
“हां भैया हम आते हैं।”
मैंने जल्दी से गज्जु भाई को उठाया । नहा धोकर जब मैं घर के बाहर निकली ।
गेट पर गज्जु भाई, दीनू और तल्लू भाई के साथ लगभग बेहोशी की अवस्था में मिले।
“क्या हुआ।”
“क्या हुआ करीरी अबे , केरी खाणी केरी खाणी रे चक्कर में वा टाली मरगी ने अबे मा तीनी हांज हुदी परा मरांला देखजे।” गज्जु भैया चिल्लाते हुए बोले।  ऐ मुन्नी मेरी हां नी आरी है राते अतरा पाणी पिया तो भी तर लग गई अबार। बहुत ही विकट परिस्थिति प्यास मुझे भी लगी थी लेकिन इन सबकी हालत देखते हुए आकस्मिक बच्चों की पंचायत बुलाई गई और निर्णय हुआ कि केवल उपवास रखा जाये क्योंकि हत्या अनजाने में हुई,पानी पी सकते हैं। बस फिर क्या पानी का मटका और हम चार ,खैर पानी आज तक कभी इतना स्वादिष्ट न लगा था । इतने में मामी जी ने आवाज दी लो आज उपवास है तो आमरस बनाया है सब पीलो । हे ईश्वर ये कैसी परिक्षा खैर आमरस भी तो तरल ही है। सो हम सबने बिना कुछ सोचे फटाफट गटक लिया। पेट का कुआ एक बार भर चुका था और हम चारों तैयार थे महादेव के दर्शन यात्रा पर जाने के लिए।
क्रमश: रास्ते में पानी पीते प्रभु गुण गाते नाचते कूदते हम आखिर मन्दिर के लगभग करीब पहुंच चुके थे । मन्दिर के 100 मीटर परिधि में मेले जैसा माहौल था ,कितनी दूकाने सुसज्जित थीं। प्रसाद-फूल माला की , खिलौनों की और और ओह यह क्या ये कैसी खुशबू हवाओं में फैली थी गरम गरम तेल में कूद कूद कर हमें अपनी ओर बुलाते आलू के पकोड़े, अपनी रसभरी घुमावदार आकृति से रस टपकाती जलेबियां , छम आवाज के साथ देशी घी में तैरते मालपूए, मोतियों जैसे चमकती साबूदाना खिचड़ी। अहा मुंह में इतनी लार का जमावड़ा आज से पहले कभी ना हुआ था । खैर हमने मन को कठोर किया और मन्दिर में प्रवेश कर दर्शन करने पहुंचे महादेव के अद्भुत दर्शन करने के बाद हमने पास ही स्थित ठाकुर जी के मन्दिर में भी दर्शन किये। लेकिन पेट की अन्तड़ियां अब सूखने लगी थी ,लगता था जैसे भोजन को खाये जाने कितने दिन हो चुके,बाहर से आती स्वादिष्ट व्यंजनों की गंध ने हमें ओर कमजोर कर दिया था ।

अत: मन्दिर परिसर में हमारी एक और आकस्मिक वार्ता हुई जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय किया गया की हम सभी गिलहरी के नाम से गाय को चारा खिलायेंगे और आधे दिवस का व्रत भी हम उसको समर्पित करते हैं लेकिन अब भूखे रहे तो किसी भी क्षण मृत्यु हमारा वरण कर लेगी। अहा ! हम सबने पकवानों कि दुकानों के बाहर ऐसे दौड़ लगाई जैसे इससे ज्यादा बड़ा सुख क्या। कोई साबुदाना खिचड़ी ,तो कोई पकौड़े तो कोई मालपूए पर टूट पड़ा। पेट की आग को मिटा हम सब एक स्वर्णिम आन्नद को प्राप्त कर चुके थे । खैर शाम ढलने को थी और हम सब खुश थे कि हमने आधा दिन उपवास , महादेव दर्शन और गाय को चारा खिलाकर उस टाली को एक सद्गति दे दी थी । जाते हुए सूरज ने हमें सिखाया था श्रद्धा, अनुराग और जीवों के प्रति अगाध प्रेम क्योंकि हम भारतीय सनातनी हैं जो कण कण में ईश्वर को देखते हैं|

जय श्री राम ।
✍️राधा
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टाई (NECK TIE)

करीने से सिला हुआ कपड़े का एक लम्बा टुकड़ा जिसे गले में शर्ट की कालर के नीचे बाँधा जाता है, टाई के नाम से जग में मशहूर है | इसे बाँधने के लिए अलग अलग प्रकार की गांठें होती हैं | यह ज्यादातर पुरुषों के परिधान का हिस्सा है, महिलाएं भी इसे ख़ास यूनिफ़ॉर्म के हिस्से के रूप में पहनती हैं और कुछ स्कूलों में भी यूनिफ़ॉर्म के साथ टाई का चलन होता है |

Origin of टाई

 

टाई की शुरुआत 1618 से 1648 के मध्य हुई थी | क्रोएशिया के लोगों ने अपनी फ्रेंच सर्विस के दौरान अपने पारंपरिक रूमालों/स्कार्फ को गले में बांधना शुरू किया था | स्कार्फ बाँधने की कला ने फ्रेंच लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था | क्रोएशियन शब्द Croats, Hrvati और फ्रेंच शब्द Croates में ज्यादा अंतर नहीं होने के वजह से इस स्कार्फ का नाम Cravat पड़ा | फ्रांस के नन्हे राजा Louis XIV ने 7 साल की उम्र में लेस से बने Cravat को 1646 में पहनना शुरू कर एक फैशन की शुरुआत करी | यह फैशन यूरोप में आग की तरह फैला और हर कोई इस तरह के कपड़े अपने गले में बाँधने लगा | इन Cravats को गले में बंधा रखने के लिए cravat strings को बो(bow) की तरह बाँधा जाता था | क्रोएशिया में इंटरनेशनल टाई दिवस 18Oct. को मनाया जाता है| 

आधुनिक टाई 

तब से लेकर अब तक टाई ने कई रूप बदले | First World War के पश्चात हाथ से पेंट करी हुई टाई का प्रचलन हुआ जिनकी चौड़ाई 4.5 इंच हुआ करती थी | इस किस्म की टाई 1950 तक चलन में रही | Second World War के समय आज के मुकाबले छोटी टाई का चलन था | मगर 1944 के आसपास टाई ना सिर्फ चौड़ी होती गई बल्कि काफी हद तक चटकीली और डिज़ाइनदार भी | 21वीं सदी के शुरुआत में टाई 3 ½ से 3 ¾ इंच चौड़ी हो गई और उसमें कई डिज़ाइन भी मिलने लगे | लम्बाई 57 इंच या उससे ज्यादा भी रखी जाने लगी | 2009 में टाई के चौड़ाई कुछ कम करी गई | 

टाई को कई तरह की गांठों द्वारा बाँधा जाता है और फैशन के आगमन ने टाई-पिन का भी निर्माण किया जो सोने-चांदी के एवं रत्नों से सज्जित भी होते हैं | टाई बांधना एक कला है, यह हर कोई आसानी से नहीं बाँध पाता, ठीक वैसे ही जैसे हमारे राजस्थान में पगड़ी बांधना एक कला है | टाई को ज्यादा कस कर नहीं बांधना चाहिए क्योंकि इसकी गाँठ बिलकुल गले के बीचों बीच की हड्डी पर आती है और कसने से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है |