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Dr. Arvinder Singh of the Arth Group set a world record by riding a quad bike across the rugged and difficult Khardung La pass in close proximity to Leh, Ladakh. The fact that Dr. Arvinder Singh accomplished this feat while having an 80 percent disability made it all the more remarkable. As the first person ever to complete this endeavor, Dr. Arvinder Singh’s name was registered in the World Book of Records, London.
Dr. Arvinder Singh Made World Record At Khardungla Pass Ladakh
The Honorable Governor of Ladakh, Shri BD Mishra, acknowledged and awarded Dr. Arvinder Singh the feat of crossing the highest motorable pass at his official house, Raj Niwas, in Leh, Ladakh with the Certificate of the World Record for his historic accomplishment and congratulated him via an official tweet. Dr. Arvinder Singh has shown that obstacles are just as restrictive as we let them be with his accomplishment at Khardungla Pass. Dr. Arvinder is a symbol of success over adversity because of his accomplishments, which symbolize a message of tenacity, commitment, and ongoing self-improvement. Regardless of the field, his unwavering dedication to greatness serves as a source of inspiration for individuals all around the world.
World Book of Records, World Recors Certificate
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रॉकवुड्स स्कूल का एक्सेस मिशीगन कॉलेज अलायन्स के साथ टाईअप

12वीं के बाद इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के द्वितीय वर्ष में प्रवेश पा सकते हैं छात्र

उदयपुर, 13 जुलाई। उदयपुर के रॉकवुड्स स्कूल ने अंतरराष्ट्रीय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनूठा कदम बढ़ाते हुए एक्सेस मिशीगन कॉलेज अलायन्स से करार किया है।

राजस्थान के एकमात्र विद्यालय रॉकवुड्स स्कूल के साथ हुए इस करार के तहत 9वीं से 12वीं कक्षा के प्रतिभावान विद्यार्थी सामान्य पाठ्यक्रम के साथ वैकल्पिक रूप में एक्सेस एमसीए का जो भी पाठ्यक्रम पढ़ना चाहेंगे, पढ़ सकेंगे। इसका फायदा यह होगा कि यदि वे 12वीं के बाद विदेश जाकर पढ़ना चाहते हैं तो नामी इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में वे सीधे सेकंड ईयर में प्रवेश के पात्र होंगे।

रॉकवुड्स के निदेशक दीपक शर्मा ने बताया कि एक्सेस एमसीए मिशीगन कॉलेज के साथ यह एक सहयोगी कार्यक्रम है। इसके माध्यम से मिशीगन कॉलेज के प्राध्यापकों द्वारा विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम को ऑनलाइन सेमिनार के माध्यम से रॉकवुड्स के विद्यार्थीयो को पढ़ाया जाएगा। इसमें विद्यार्थी मिशीगन कॉलेज ट्रांसक्रिप्ट पर कॉलेज क्रेडिट अर्जित कर पाएगा। विद्यार्थी अपने देश में रहते हुए कॉलेज का पहला साल ऑनलाइन पूरा कर सकते हैं। छात्रों को यह पाठ्यक्रम पूरा करने पर संबंधित कॉलेजों में सीधा प्रवेश मिल पाएगा। इसे एक तरह से विद्यालयी शिक्षा के साथ स्नातक की शिक्षा का आरंभ कहा जा सकता है। छात्र, इस शिक्षा को कक्षा 9वीं में शुरू कर सकते हैं और प्रति सेमेस्टर एक पाठ्यक्रम पढ़ते हुए, हाई स्कूल खत्म करने तक कॉलेज के पहले साल का पूरा पाठ्यक्रम पढ़ चुके होंगे।

दीपक शर्मा ने बताया कि छात्र एमसीए एक्सेस के सदस्य कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में तो प्रवेश ले ही सकते हैं, साथ ही वे अन्य चुनिंदा कॉलेजों में भी आवेदन कर सकते हैं, जहां एमसीए एक्सेस उनके अर्जित क्रेडिट हस्तांतरित कर देता है। इनमें अमेरिका के शीर्ष निजी विश्वविद्यालय और कॉलेज एड्रियन कॉलेज एल्बियन कॉलेज, अल्मा कॉलेज एंड्रयूज यूनिवर्सिटी, एक्वा ऑनर्स कॉलेज, केल्विन यूनिवरसिटी, डेट्रायट, मर्सी हिलसाइड कॉलेज, होप कॉलेज, कलाम कॉलेज, मैडोना यूनिवर्सिटी, ओलिवेट शामिल हैं। सिएना हाइट्स यूनिवरसिटी और स्प्रिंग आर्बर यूनिवरसिटी में भी छात्र आवेदन कर सकते हैं।

भावीन शाह, सीईओ एजुकेशन वर्ल्ड, एमडी – एक्सेस मिशीगन कॉलेज अलायन्स ने बताया कि इसमें छात्रों को गारंटीड एडमिशन प्राप्त होगा।

एमसीए एक्सेस के पाठ्यक्रमों में जीव विज्ञान क्षेत्र में सामान्य जीव विज्ञान व तंत्रिका विज्ञान, बिजनेस क्षेत्र में बुनियादी निवेश व्यवसाय के मूल सिद्धांत व उद्यमिता के मूल सिद्धांत, रसायन विज्ञान क्षेत्र में रसायन विज्ञान व सामान्य रसायन विज्ञान का परिचय, संचार क्षेत्र में पब्लिक स्पीकिंग, गणित के क्षेत्र में डिडक्टिव रीजनिंग और क्वांटिटेटिव इंफोर्मेशन डिफरेंशियल कैलकुलस, इंटीग्रल कैलकुलस, लीनियर अलजेब्रा, मल्टी वेरिएबल कैलकुलस शामिल हैं। इनके साथ ही छात्र कम्प्यूटर विज्ञान, अर्थशास्त्र, अभियांत्रिकी, अंग्रेजी साहित्य, पर्यावरण विज्ञान और स्थिरता, इतिहास, दर्शन, भौतिक विज्ञान, मनोविज्ञान, समाज शास्त्र आदि विषयों का भी चयन कर सकता है।

उल्लेखनीय है कि यह पाठ्यक्रम अंतरराष्ट्रीय स्तर के होने से इसका लाभ छात्रों को बेहतर भविष्य में मिलेगा। इंटर्नशिप और नौकरी के अवसरों में भी उनके पास कई विकल्प मौजूद रहेंगे।

इस दौरान अमेरिका से मिस शेला, सीईओ – एक्सेस मिशीगन कॉलेज अलायन्स , रेमंड, एसोसिएट डीन एंड डायरेक्टर ऑफ़ स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी, प्री कॉलेजिएट स्टडीज़ भी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े रहें।

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उदयपुर के 2 युवाओं ने लहराया साइक्लिंग में परचम, कायम किया 30 दिन में 5000 से अधिक किलोमीटर्स साइक्लिंग का रिकॉर्ड उदयपुर। ये एक सत्यालंग फिटनेस के लिए और पर्यावरण के लिए बहुत फायदेमंद होती है लेकिन कई बार इसी साइकिलंग से कई ऐसे रिकार्ड पर जाते हैं जिनके बारे में सोच कर हैरानी होती है। उदयपुर के युवाओं आशोष वित्तीय और गौरव पशिष्ठ से एक चैलेन्ज के तहत जून माह में 30 दिन में 5000 किलोमीटर्स से अधिक साइकिलंग कर के रिकॉर्ड कायम कर दिया है जिसके बारे में अधिकांश साइक्लिस्ट्स सोध नहीं पाते हैं, इस चैलेन्ज में आशीष और गौरव ने 30 दिन में लगभग 180 किमी प्रतिदिन के एयरेंज में 5000 किलोमीटर्स की दूरी अलग अलग तय की है, दोनों ने ये साईकिल राईड्स एक साथ एक दूसरे को मोटिवेट करते हुए को और इसमें कई व्यक्तिगत कीर्तिमान बनाये। 1 जून से शुरू हुए इस चैलेन्ज में आशीष और गौरव ने एक बार 300 किलोमीटर्स को राइड उदयपुर भीलवा-उदयपुर कम्प्लीट की, उसके अलावा एक बार 200 किलोमीटर्स की राइट उदयपुर-गोमतो चौराहा- उदयपुर साथ में कम्प्लीट की, अगर साइक्लिंग रोज की बात की जाए तो आशीष ने जून माह के 30 दिन में 36 सेंचुरी राईड्स (100 किमी या उससे अधिक) और गौरव ने इसी दौरान 35 सेंचुरी राईड्स (100 किमी या उससे अधिक) कम्प्लीट को, जून की तपती धूप एवं गर्मी, विपरीत हवाएं और चक्रवात विपरजॉय भी इन दोनों की हिम्मत को नहीं डिगा सका। आशीष और गौरव ने इस रिकॉर्ड को कायम करने के क्रम में क्रमश: 8 एवं 9.5. किसी वजह कम किया । रिकॉर्ड कायम करने वाले आशीष चित्तौड़ा (5300 किमी.) ने बताया कि शुरुआत में 1500 किलोमीटर करने के बाद हिम्मत जवाब देने लगी थी मगर जब चक्रवात विपरजॉय को भयानक बारिश में 200 किलोमीटर कम्प्लीट किये तब मन को ये विश्वास हो गया कि अब तो ये राइड लम्बी चलने वाली है और अब रुकना नहीं है|

यही आशीष के साथ एवं 5002 किमी कम्प्लीट करने वाले गौरव वशिष्ठ ने बताया कि शुरुआत में तो इस रिकॉर्ड के बारे में सोचा भी नहीं था लेकिन जब 3500 किमी कम्प्लीट किया उसके बाद आरजे अंशुमान में हम दोनों को बताया कि 5000 का आंकड़ा अब तक अचीव नहीं हुआ हैए अंशुमान ने हम दोनों को ये आंकड़ा अचीव करने का चैलेन्ज दिया। इसे पूरा करने के लिए दोनों साइक्लिस्ट्स ने कई दिन तो सुबह और शाम दोनों समय सेंचुरी राईड्स को इन राईड्स के दौरान इन दोनों ने उदयपुर, चित्तौड़, भीलवाड़ा, गोमती चौराहा, मावली, नाथद्वारा और आबू हाइवे पर इंसवाल एवं गोगुन्दा तक कई बार और विपरीत स्थितियों में साइक्लिंग की । इस दौरान कई बार पंचर होने, ट्यूब फटने, साइक्लिंग का क्रॅक सेट डैमेज होने जैसी समस्याओं के बावजूद एवं ऑफ्सि एवं व्यवसाय को मैनेज करते हुए भी इन दोनों का हौसला नहीं डिगा एवं उन्होंने साइक्लिंग कम्युनिटी में उदयपुर का नाम रौशन किया। इस रिकॉर्ड को कायम करने के दौरान जून माह में स्ट्रावा एप्लिकेशन को इंडिया रैंकिंग में आशीष और गौरव ने इंडिया लेवल पर क्रमशः नंबर 1 और नंबर 2 पोज़िशन, वहीं वर्ल्ड रैंकिंग में क्रमश: 20वांएवं 21वां स्थान हासिल किया। दोनों ने इस रिकॉर्ड को अचीव करने के लिए अपने माता- पिता, अपने शुभचिंतकों एवं क्लब के साथी साइक्लिस्ट्स का धन्यवाद दिया है. 55 साल की महिला संतोष वशिष्ठ ने जून माह में 1000 किलोमीटर्स की दौड़ पूरी करने का रिकॉर्ड बनाया 55 वर्षीया श्रीमती संतोष वशिष्ठ ने जून माह में 30 दिन में लगभग 33 किलोमीटर्स प्रतिदिन की औसत से कुल 1000 किलोमीटर तक का अनोखा रिकॉर्ड रनिंग के जरिये बनाया जिसके लिए उन्होनें जून की तपती धूप और चक्रवात विपरजॉय की वजह से बिगड़े मौसम की परवाह न करते हुए लगातार रनिंग की। इस दौरान उन्होंने लगभग पूरे उदयपुर शहर, बड़ी लेक और खासतौर पर रानी रोड पर काफी अधिक रनिंग करते हुए लोगों को मोटिवेट किया। इस चैलेन्ज के दौरान रनिंग की कैटेगरी में श्रीमती संतोष वशिष्ठ नंबर 1 पर रही एवं लगभग 7 किलो वजन कम किया। श्रीमती संतोष वशिष्ठ ने इस अचीवमेंट के लिए अपने परिवार, स्पेशली साइक्लिंग में 5000 किमी का रिकॉर्ड बनाने वाले पुत्र गौरव वशिष्ठ एवं समस्त मित्रों एवं क्लब की महिलाओं एवं पुरुषों का धन्यवाद दिया।

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रेडियंट एकेडमी (कामर्स डिविजन)
सी.ए. इंटरमीडिएट मई 2023 में शानदार परिणाम
100% परिणाम के साथ उदयपुर में रचा इतिहास

द इंस्टीट्यूट आॅफ चार्टर्ड एकाउन्टेंट्स आॅफ इंडिया की ओर से आयोजित सीए इंटरमीडिएट मई 2023 परीक्षा में रेडियंट एकेडमी कामर्स डिविजन के विद्यार्थियों ने इतिहास रच दिया। रेडियंट एकेडमी, एक प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान, अपने कामर्स डिविजन के छात्रों के पहले बैच की उत्कृष्ट उपलब्धि की घोषणा करते हुए प्रसन्न है, जिन्होंने सीए-इंटर (चार्टर्ड अकाउंटेंसी इंटरमीडिएट) परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की है।

द रेडियंट एकेडमी का कामर्स डिविजन व्यापक वाणिज्य शिक्षा के साथ युवा दिमागों को समर्पित रूप से पोषित और सशक्त बना रहा है, जिसका लक्ष्य लेखांकन और वित्त के क्षेत्र में उच्च कुशल पेशेवरों को तैयार करना है। सीए-इंटर परीक्षा में छात्रों के पहले बैच की हालिया सफलता अकादमिक
उत्कृष्टता और छात्रों की सफलता के प्रति अकादमी की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

द रेडियंट एकेडमी कामर्स डिविजन हेड सी.ए. मुकेश धाकेड़ा जी ने बताया की रेडियंट एकेडमी ने सीए इंटरमीडिएट मई 2023 की परिक्षा में उदयपुर में 100% परिणाम दिया संस्था के विद्यार्थी श्रेया जैन, आर्यन बापना, मिताक्ष गौड व हर्षित चपलोत सीए इंटर में चयनित हुए। सीए-इंटर परीक्षा चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) बनने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और इसमें कठोर तैयारी और विभिन्न लेखांकन, कराधान, लेखा परीक्षा और वित्तीय प्रबंधन विषयों का गहन ज्ञान शामिल है। इन छात्रों की उपलब्धि उनकी कड़ी मेहनत, दृढ़ता और रेडियंट अकादमी में वाणिज्य प्रभाग द्वारा प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता को दर्शाती है। हमारे पहले बैच के छात्रों पर बेहद गर्व है, जिन्होंने चुनौतीपूर्ण सीए-इंटर परीक्षा उत्तीर्ण की है। उनकी उपलब्धि उनके समर्पण के साथ-साथ हमारे संकाय सदस्यों के अथक प्रयासों का प्रमाण है जिन्होंने उन्हें एक असाधारण सीखने का माहौल प्रदान किया है। हम अपने छात्रों को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई देते हैं और कामना करते हैं कि वे अपने शैक्षणिक क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए निरंतर सफलता प्राप्त करें।

चयनित विद्यार्थी मिताक्ष गौड़ ने बताया की द रेडियंट एकेडमी की फेकल्टी, स्टडी मटेरियल एवं टेस्ट सीरिज की वजह से ही यह परिणाम संभव हो पाया है। अन्य चयनित विद्यार्थी श्रेया जैन ने अपनी सफलता का श्रेय फेकल्टी टीम के नोट्स व पर्सनल गाइडेन्स को दिया।

इस परिणाम के अवसर पर संस्था निदेशक शैलेन्द्र सोमानी सर एवं शिक्षक सी.ए. राकेश राठी, मिलन चैबिसा, भुमिजा समदानी एवं छवि सिंह राव ने सभी विद्यार्थियों को बधाई दी व सीए फाइनल परीक्षा की सफलता के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की एवं उज्जवल भविष्य की कामना की। सीए-इंटर परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों के पहले बैच की सफलता द रेडियंट एकेडमी के कामर्स डिविजन की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

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ये तो हम सभी जानते हैं कि हर बात को कहने के कई तरीके होते हैं | Expression या feeling चेंज होते ही बात का मतलब बदल जाता है | “ये क्या हो गया!!” इस बात को अगर गुस्से में कहा जाये तो अलग मतलब निकलेगा, आश्चर्य से कहा जाए तो अलग, प्यार से कहा जाए तो अलग, हंस के कहा जाए तो अलग, यानि जितने भाव उतने मतलब, उतना ही असर | तो ये तो हुई बात को कहने के अंदाज़ की बात | अब सोचिये अगर इस बात को आप मेसेज में लिखते हैं तो क्या होगा ? पढ़ने वाला उसको अपने मूड के हिसाब से ही पढ़ेगा ना? तो भई smiley और emoji के ज़रिये आप इस बात को कहेंगे तो पढ़ने वाला समझ जायेगा कि आप सीरियस हैं या मज़ाक के मूड में | 

कुल मिलाकर बात यह है कि अगर smiley और emoji ना होते आज की मेसेजिंग की दुनिया में तो न जाने कितने रिश्ते,जैसे दोस्ती,प्यार-मोहब्बत,अपनापन,इज्ज़त सब मिट्टी में मिल जाते | ये तो इन smileys और emojis का कमाल है कि आप बिना बोले ही अपनी बात सामने वाले के सामने रख देते हैं और आपका अंदाज़ सही तरीके से बयां हो जाता है | ना जाने कितने लोगों के बीच में टेक्स्ट मेसेज की वजह से झगड़े हुए हैं और ना जाने कितनों ने अपने रिश्ते बचा लिए हैं | 

हम यह नहीं कहते कि आप बातचीत बंद कर दें,हम सिर्फ यह कह रहे हैं कि अपने रिश्तों को अहमियत दीजिये | उन्हें संभाल कर रखिये और बिगड़ने से बचाने के लिए कोशिश करते रहिये | अच्छे रिश्ते बने रहेंगे तो दुनिया भी शान्ति से चलती रहेगी | Smiley और emoji का उदाहरण तो हमने सिर्फ बातों के सही अंदाज़ को समझाने के लिए और आपसी रिश्तों को बनाये रखने के इरादे से दिया है | बाकी आप खुद समझदार हैं !!  

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राजस्थान में तपती धूप में भी व्यापार करने के लिए गाँव वालों को अकसर गाँव-गाँव शहर-शहर जाना पड़ता है| अब धूप हो तो प्यास तो लगेगी ही | जब वाटर कैम्पर या मिल्टन टाइप की बोतल का चलन नहीं था, तब भी ऐसी एक चीज़ थी जो पानी को ठंडा रखती थी | नहीं, हम सुराही की बात नहीं कर रहे | सुराही को तो सफर में ले जाना संभव नहीं, टूटने का डर जो रहता है |

पानी को ठंडा रखने के लिए जो चीज़ काम में आती थी उसे स्थानीय भाषा में छागल कहा जाता है | छागल बनाने के लिए चमड़े का या मोटे कैनवास नुमा कपड़े का इस्तेमाल किया जाता था | ये आज भी चलन में हैं | अक्सर फौजी लोग जो रेगिस्तान में ऊँट की सवारी करते हुए इधर उधर जाते हैं, वे छागल में ही पानी भरके ले जाते हैं |

छागल में पानी उतना ही ठंडा या नार्मल टेम्परेचर पर रहता है जितना किसी भी आम मिट्टी के घड़े में | जब पानी ख़त्म हुआ, किसी टाँके से पानी भरा और बढ़े चले सफर पर | एक रस्सी के साथ छागल को ऊँट की गर्दन से लटका दिया जाता है | लू के थपेड़ों का भी असर नहीं होता पानी के तापमान पर | 

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एक गाना था “छुई मुई सी तुम लगती हो”…. क्या आप जानते हैं कि ये छुई-मुई क्या है ? 

छुई-मुई एक ऐसे पौधे का नाम है जिसे हाथ लगाओ तो वो अपनी पत्तियां बंद कर देता है | आजकल यह पौधा गिने चुने स्थानों पर ही दिखता है, मगर पहले अक्सर घरों में इसे लगाया जाता था | इसे इंग्लिश में touch-me-not या shy plant कहते हैं | शर्माता हुआ से ये पौधा छूने पर अपनी पत्तियां सिकोड़ लेता है और थोड़ी देर बाद खोल देता है | भारत के अलावा यह पौधा बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, फ़िलीपीन्स, थाईलैंड और जापान में पाया जाता है | यह अधिकतर छांवदार जगह या पेड़ों के नीचे मिलता है | इसमें हलके गुलाबी रंग के फूल खिलते हैं जो बड़े ही सुन्दर दिखते हैं | 

इस पौधे का दवाई के रूप में भी इस्तेमाल होता है | इसकी पत्तियों के रस से घाव जल्दी भर जाते हैं | ऐसा माना जाता है कि इसका रस सांप के ज़हर के असर को भी कम कर देता है | मगर ज़हर उतारने के लिए इसे किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही काम में लिया जाना चाहिए | पाइल्स, अल्सर, दस्त, सूजन, डायबिटीज़, फंगल इन्फेक्शन, लीवर आदि बीमारियों में भी इसका इस्तेमाल होता है | 

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अपनी मिट्टी से जुड़े रहने का फायदा हम सभी जानते हैं | अपनी यादें, अपनी ज़मीं, सब कुछ अपना सा, वही अपनी मिट्टी | मिट्टी से लिपी हुई जगह और उसपर केलू की छत पड़ी हो तो उसकी ठंडक का आनंद कुछ और ही है | एसी में वो मजा नहीं, जो खुली हवा खुले आसमान के नीचे ऐसी किसी जगह में है जिसे हम नेचुरल एसी कह सकते हैं |  

केलू की छत बहुत ठंडक देती है गर्मी में | गांवों में आज भी केलू वाले घर दिख जायेंगे, शहर में तो लोग स्टाइल के तौर पर लगाने लगे हैं | ऐसे लोग भी हैं, जो अपनी पुरानी यादों को ताज़ा रखने के लिए घर की छत को केलू से ढकते हैं | पहली बारिश में भीगे केलू जो सोंधी सोंधी महक देते हैं, उसके लिए हम शहर वाले तरसते हैं | 

कभी किसी ऐसी जगह में जाकर बैठिएगा इन गर्मियों में जहाँ केलू लगे हों, हवा चल रही हो, पत्ते भी उड़ रहे हों, सूखे पत्तों की सरसराहट भी बहुत कुछ कहती है | एक तरफ सूखी घास से ढकी हुई जगह, एक तरफ से खुली हुई, ऊपर केलू और आप वहां बैठे हों और छाछ का मजा ले रहे हों, कुछ दोस्त साथ हों और स्कूल कॉलेज के दिनों की यादें ताजा करी जा रही हों, घास से ढकी जगह में से छनती हुई धूप आ रही हो और अगर उसी समय बूंदाबांदी शुरू हो जाए तो पिकनिक वाला समा बंध जाए …ऐसा चाहेंगे न आप ? इससे बढ़िया ब्रेक क्या मिलेगा तनाव भरी ज़िंदगी से !!

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अगर सारे राज़ खुल जाएँ तो इतिहास का क्या होगा ? इतिहास गवाह है कि कुछ राज़ खुले तो तबाही हुई है और कुछ राज़ ऐसे हैं जिनके बारे में चर्चा होती ही रही है मगर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया क्योंकि राज़ खुल जाएँ तो फिर शोधकर्ता बेचारे क्या करेंगे ? 

ऐसे बहुत से किस्से हैं जो आज भी ‘राज़’ ही हैं | सबसे बड़ा किस्सा है UFO का यानी Unidentified Flying Objects. उड़न-तश्तरी…यह शब्द सभी ने सुना है | ये UFO आखिर क्या बला है ? यूं तो बहुत सी बातें UFO के बारे में कही जाती हैं, किन्तु आज तक इनका अस्तित्व कोई नहीं जान पाया है | अजीबो गरीब अलग अलग प्लेनेट से आने वाली, फ्लाइंग सॉसर सा इसका आकार, कुछ और भी अलग डिजाईन वाली, ये अनजानी सी वस्तुएं सभी के लिए आश्चर्य का कारण हैं | 

कोई कहता है एलियंस होते हैं जो इन UFO में आते हैं, मगर कहाँ से आते हैं इस बारे में कई कहानियां हैं जो सबने सुनी या पढ़ी हैं |  यह अत्यंत रोचक विषय है | कहीं किसी दूर दराज इलाके में अगर एक सामान्य से बड़ा गढ्ढा दिख जाए और आस पास की घास फूस जली हुई हो, तो बन गया UFO का जबरदस्त चर्चा वाला टॉपिक | मंगल गृह के विषय में कई बार कहानियां और फिल्में बनीं हैं जिनमें वहां के प्राणी धरती पर आकर तबाही मचाते हैं या फिर धरतीवासियों से संपर्क साधने की कोशिश करते हैं | इन प्राणियों यानी एलियंस को मनुष्य का दोस्त होने का खिताब भी दिया गया है | कुल मिलाकर बात यह है कि इनके विमान बड़े ही अजीब और जबरदस्त टेक्नोलॉजी वाले बताये गए हैं | यही विमान UFO के नाम से जग में प्रसिद्द हो चले हैं | वैज्ञानिकों में से कुछ मानते हैं कि UFO एक वास्तविकता हैं | कुछ का कहना है कि दृष्टिभ्रम है | अब असलियत क्या है यह बात आज भी राज़ है | इस राज़ पर से पर्दा उठाने के लिए कई लोगों ने अपनी जानें गंवाई हैं | 

एक रूसी तथ्य के अनुसार करीब चालीस पायलट्स ने UFO का सामना किया है | जब उन पायलट्स ने UFO का पीछा करके उनका राज़ जानने की कोशिश करी, तो कुछ पायलट्स संदिग्ध रूप से गायब हो गए और कुछ के प्लेन क्रेश हो गए | कुछ स्थानों पर राडार के द्वारा UFO का पता करने की भी कोशिश करी गई | राडार के द्वारा अजीब तरह की कोड भाषा में सन्देश प्राप्त हुए | इसके आधार पर माना गया कि UFO का अस्तित्व तो है किन्तु ज्यादा जानकारी के अभाव में बात राज़ ही रही | साबित करना संभव ही नहीं हुआ कि ऐसा कुछ है जो इंसान की पहुँच से बहुत दूर है किन्तु धरती के अलावा भी किसी और गृह पर जीवन है यह बात स्थापित कर दी गई | आज भी माना जाता है कि UFO के बारे में जानकारी हासिल करी जा सकती है और अब भी कई वैज्ञानिक इस बारे में पता करने लगे हुए हैं | ऐसा भी कहा गया है कि ये अजीबो गरीब उड़ने वाले विमान इंसान के लिए उपहार भी छोड़ गए, कुछ अपने गृह की वस्तुएं छोड़ गए जिससे कि धरती के लोगों को विशवास हो जाए कि कहीं और भी जीवन है | 

क्या UFO यानी उड़न-तश्तरियां वास्तव में होती हैं ? आपका क्या कहना है? क्या आप मानते हैं UFO को?

#one2all #UFO #flyingsaucers #secretsofUFO #aliens 

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Firozabad glass work

उत्तरप्रदेश के फ़िरोज़ाबाद को “चूड़ियों का शहर” कहा जाता है | अकबर ने फ़िरोज़ शाह नामक व्यक्ति के नेतृत्व में एक सेना यहाँ भेजी थी ताकि लुटेरों का सफाया किया जा सके | फ़िरोज़ शाह का मकबरा आज भी यहाँ मौजूद है | इन्हीं फ़िरोज़ शाह के नाम से शहर का नाम फ़िरोज़ाबाद रखा गया था | 

 

शुरू से ही यह शहर कांच की चूड़ियों और कांच की ही अन्य कलात्मक वस्तुओं के लिए प्रसिद्द है | पुराने जमाने में कुछ आक्रमणकारी यहाँ कांच की वस्तुएं लेकर आये थे जिन्हें नकार दिया गया था | इन वस्तुओं को फिर एक भट्टी में गलाया गया | ये पारंपरिक भट्टियाँ आज भी अलीगढ़ में छोटी छोटी बोतलें और कांच की चूड़ियाँ बनाने के काम में आती हैं |

 

 

आधुनिक कांच उद्योग हाजी रुस्तम उस्ताद द्वारा शुरू किया गया था | सोफीपुरा में यमुना किनारे उनका मकबरा स्थित है जहाँ हर साल एक भव्य मेला लगता है | इस मेले में हर तबके के लोग शामिल होते हैं और हाजी रुस्तम उस्ताद को याद करते हैं | भट्टी में बनने वाली चूड़ी में एक भी जोड़ नहीं होता था | धीरे धीरे ये चूड़ियाँ आम जनता को पसंद आने लगी | इस तरह कांच उद्योग की शुरुआत हुई थी | तभी से फ़िरोज़ाबाद को कांच की चूड़ियों का गढ़ माना जाने लगा | शहर में घुसते से ही हर तरफ रंग बिरंगी चूड़ियों से सजी दुकानें देख कर आप समझ जाएंगे कि आप कौन से शहर में हैं | 

समय के साथ रंग बिरंगे कांच के टुकड़े तैयार किए जाने लगे जिनसे झाड़फ़ानूस(chandelier)बनाया जाता था | इन झाड़फानूस की राज दरबारों में और अमीरों के घरों में बहुत मांग रहती थी | फिर इसी तरह इत्र रखने के लिए शीशियाँ और अन्य कॉस्मेटिक चीज़ों के लिए डब्बे और बर्तन बनने लगे | फिर बढ़ती मांग के हिसाब से शादी ब्याह के मौकों के लिए बड़ी तादाद में चूड़ियों का उत्पादन आम जनता के लिए मांग के हिसाब से किया जाने लगा | 

फ़िरोज़ाबाद में लगभग 400 कांच उद्योग स्थापित हो चुके हैं जो कि विभिन्न प्रकार की कलात्मक वस्तुएं और चूड़ियाँ बनाते हैं | बहुत सारा सामान विदेशों में भी भेजा जाता है | कांच के गिलास(सभी प्रकार के) भी फिरोजाबाद में बनते हैं और सभी चीज़ों पर खूबसूरत कटवर्क देखकर वास्तव में हैरत होती है | 

कांच के मर्तबान, मोमबत्ती स्टैंड, फूलदान, रंगबिरंगी लाइट,शंख जैसे अन्य कई उत्पाद कांच उद्योग द्वारा तैयार किए जाते हैं | डिज़ाइनर बोतल, डिज़ाइनर टेबल, डिज़ाइनर गिफ्ट आइटम्स…ना जाने कितने ऐसे उत्पाद हैं जो फ़िरोज़ाबाद की फैक्ट्री से निकलते हैं जिन्हें देखकर सभी को खरीद लेने का मानस बन जाता है |